जानिए, अपनी माता का वध क्यों किया था परशुराम ने और कहाँ मिली थी उन्हें मातृहत्या के पाप से मुक्ति ?

Parshuram And Mata Renuka

परशुराम भगवान विष्णु के आवेशावतार थे। उनके पिता का नाम जमदग्नि तथा माता का नाम रेणुका था। परशुराम के चार बड़े भाई थे लेकिन गुणों में यह सबसे बढ़े-चढ़े थे। एक दिन गन्धर्वराज चित्ररथ को अप्सराओं के साथ विहार करता देख हवन हेतु गंगा तट पर जल लेने गई रेणुका आसक्त हो गयी और कुछ देर तक वहीं रुक गयीं। हवन काल व्यतीत हो जाने से क्रुद्ध मुनि जमदग्नि ने अपनी पत्नी के आर्य मर्यादा विरोधी आचरण एवं मानसिक व्यभिचार करने के दण्डस्वरूप सभी पुत्रों को माता रेणुका का वध करने की आज्ञा दी। लेकिन मोहवश किसी ने ऐसा नहीं किया। तब मुनि ने उन्हें श्राप दे दिया और उनकी विचार शक्ति नष्ट हो गई।

अन्य भाइयों द्वारा ऐसा दुस्साहस न कर पाने पर पिता के तपोबल से प्रभावित परशुराम ने उनकी आज्ञानुसार माता का शिरोच्छेद कर दिया। यह देखकर महर्षि जमदग्नि बहुत प्रसन्न हुए और परशुराम को वर मांगने के लिए कहा। तो उन्होंने तीन वरदान माँगे-

माँ पुनर्जीवित हो जायँ,
उन्हें मरने की स्मृति न रहे,
भाई चेतना-युक्त हो जायँ और

जमदग्नि ने उन्हें तीनो वरदान दे दिये। माता तो पुनः जीवित हो गई पर परशुराम पर मातृहत्या का पाप चढ़ गया।

मातृकुण्डिया – चितौड़ – राजस्थान  (Matrikundiya – Chittorgarh – Rajasthan) :

Matrikundiya - Chittorgarh, Rajasthan

राजस्थान के चितौड़ जिले में स्तिथ मातृकुण्डिया वह जगह है जहाँ  परशुराम अपनी माँ की हत्या (वध) के पाप से मुक्त हुए थे। यहां पर उन्होंने शिव जी की तपस्या की थी और फिर शिवजी के कहे अनुसार मातृकुण्डिया के जल में स्नान करने से उनका पाप धूल गया था। इस जगह को मेवाड़ का हरिद्वार  भी कहा जाता है। यह स्थान महर्षि जमदगनी की तपोभूमि से लगभग 80 किलो मीटर दूर हैं।

परशुराम महदेव गुफा मंदिर (Parshuram Mahadev Gufa Temple) :

Parshuram Mahadev Gufa Temple
Image Credit wikipedia

मातृकुण्डिया से कुछ मील की दुरी पर ही परशुराम महदेव मंदिर स्तिथ है इसका निर्माण स्वंय परशुराम ने पहाड़ी को अपने फरसे से काट कर किया था। इसे मेवाड़ का अमरनाथ कहते है। इसके बारे में समूर्ण जानकारी आप यहाँ पढ़ सकते है  परशुराम महादेव गुफा मंदिर .

भारत में स्तिथ गर्म पानी के कुण्ड जहाँ नहाने से दूर होते हैं रोग

धरती पर कई जगह भौगोलिक गतिविधियों के कारण गर्म पानी के कुण्ड और झरने पाए जाते है। इनमे से अधिकतर कुंडों में विशेष औषधीय गुण होते है क्योंकि इनमे में कई तरह के खनिज तत्व उपस्थित होते हैं। इसलिए इन गर्म पानी के कुंडों में स्नान करने से कई तरह के रोग व बीमारियां ठीक हो जाती हैं, खासकर त्वचा सम्बन्धी। भारत में भी कई जगह ऐसे कुण्ड पाए जाते है जिनमे से कई धार्मिक तीर्थस्थल पर है जिनसे इनका महत्तव कई गुना बढ़ जाता है। धार्मिक जगह और औषधीय गुणों के कारण यहाँ पर साल भर भक्तो की भीड़ लगी रहती है। आइए जानते है भारत में स्तिथ कुछ ऐसे ही कुण्डों के बारे में।

  1. राजगीर के जल कुंड (Rajgir Hot Water Kund) –
    पटना के समीप राजगीर को भारत के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। यह कभी मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी। राजगीर न सिर्फ एक प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थस्थल है, बल्कि एक खूबसूरत हेल्थ रेसॉर्ट के रूप में भी लोकप्रिय है। देव नगरी राजगीर सभी धर्मो की संगमस्थली है। कथाओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र राजा बसु ने राजगीर के ब्रह्मकुंड परिसर में एक यज्ञ का आयोजन कराया था। इसी दौरान आए सभी देवी-देवताओं को एक ही कुंड में स्नान करने में परेशानी होने लगी। तभी ब्रह्मा ने यहां 22 कुंड और 52 जलधाराओं का निर्माण कराया था। वैभारगिरी पर्वत की सीढिय़ों पर मंदिरों के बीच गर्म जल के कई झरने हैं, जहां सप्तकर्णी गुफाओं से जल आता है। ऐसी संभावना जताई जाती है कि इसी पर्वत पर स्थित भेलवाडोव तालाब है, जिससे ही जल पर्वत से होते हुए यहां पहुंचता है। इस पर्वत में कई तरह के केमिकल्स जैसे सोडियम, गंधक, सल्फर हैं। इसकी वजह से जल गर्म और रोग को मिटाने वाला होता है। यहां पर आप 22 कुंडों में स्नान कर सकते हैं।
Rajgir Hot Water Kund
राजगीर के लक्ष्मी नारायण मंदिर में स्तिथ कुण्ड में स्नान करते श्रद्धालु
Image Credit  Wikipedia

इन कुंडों के नाम अलग-अलग हैं। ब्रह्मकुंड सबसे महत्वपूर्ण हैं। इसका तापमान 45 डिग्री सेल्सियस होता है। इसे पाताल गंगा भी कहा जाता है। सभी झरनों में स्नान करने के बाद इस कुंड में भी लोग स्नान करते हैं। जो सप्तधाराएं बहती हैं, उसके नाम भी ऋषि-मुनियों के नाम पर रखे गए हैं। 22 कुंडों में ब्रह्मकुंड के अलावा मार्कंडेय कुंड, व्यास कुंड, अनंत ऋषि कुंड, गंगा-यमुना कुंड, साक्षी धारा कुंड, सूर्य कुंड, गौरी कुंड, चंद्रमा कुंड, राम-लक्ष्मण कुंड। राम-लक्ष्मण कुंड में एक धारा से ठंडा और दूसरे से गर्म पानी निकलता है।

2. बकरेश्वर जल कुंड पश्चिम बंगाल (Bakreshwar Hot Spring, West Bengal) –

Bakreshwar Hot Spring, West Bengal
बकरेश्वर स्तिथ गर्म पानी का एक कुण्ड

बकरेश्वर, पश्चिम बंगाल का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। इसकी पश्चिम बंगाल के भ्रमण स्थलों में एक अलग पहचान है, क्योंकि यहां गर्म पानी के 10 कुंड स्थित है। जिसमे सबसे गर्म कुण्ड , अग्नि कुण्ड (67ºC) है। इसके अलावा यहाँ पर भैरव(65ºC), खीर(66ºC), नृसिंह(66ºC), सूर्या(66ºC), सौभाग्य कुण्ड(45ºC), पापहरा कुण्ड(48ºC) आदि अन्य कुण्ड है। यहां देश के कोने-कोने से लोग पवित्र कुंडों में स्नान के लिए आते हैं। इन कुंडों में स्नान से कई रोग दूर हो जाते हैं।

  1. मणिकरण हिमाचल प्रदेश (Manikaran Hot Water Spring, HImachal Pradesh) :-
    मणिकरण हिमाचल प्रदेश में कुल्लू से 45 किलोमीटर दूर है। यह जगह खासतौर पर गर्म पानी के चश्मों के लिए जानी जाती है। यहां के जल में अधिक मात्रा में सल्फर, यूरेनियम व अन्य रेडियोएक्टिव तत्व पाए जाते हैं। इस पानी का तापमान बहुत अधिक है। यह स्थान हिंदू व सिखों के लिए आस्था का केंद्र है। साथ ही, माना जाता है कि सिखों के पहले गुरु नानक देव अपने साथी मर्दाना के साथ यहां आए थे। यह गुरुद्वारा उन्हीं की याद में बना है। यहां एक प्रसिद्ध राम मंदिर है। कहा जाता है कि यहां एक मूर्ति अयोध्या से लाकर स्थापित की गई थी। इसके अलावा, वहां और भी कई मंदिर हैं। यहां आने वाले लोगों को गर्म पानी चश्मों से पानी लेकर दाल-चावल बनाते देखा जा सकता है। यहां की वैली को पार्वती वैली कहा जाता है और यहां फिशिंग का अपना ही मजा है। आप कुल्लू से बस या टैक्सी के जरिए मणिकरण पहुंच सकते हैं।
मणिकरण के गुरूद्वारे में स्तिथ गर्म पानी का कुण्ड  Image Credit Wikipedia

गर्म पानी चश्मों के लिए यहां भगवान शिव व देवी पार्वती से जुड़ी कई कहानियां प्रचलित हैं।ऐसी ही एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती के कान की बाली (मणि) यहां गिर गयी थी और पानी में खो गयी। खूब खोज-खबर की गयी लेकिन मणि नहीं मिली। आखिरकार पता चला कि वह मणि पाताल लोक में शेषनाग के पास पहुंच गयी है। जब शेषनाग को इसकी जानकारी हुई तो उसने पाताल लोक से ही जोरदार फुफकार मारी और धरती के अन्दर से गरम जल फूट पडा। गरम जल के साथ ही मणि भी निकल पडी। आज भी मणिकरण में जगह-जगह गरम जल के सोते हैं।

  1. अत्रि जल कुंड, ओडिशा (Atri Hot Water Spring, Odisha) :-
Atri Hot Water Spring, Odisha
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ओडिशा का अत्रि उसके सल्फर युक्त गर्म पानी के कुंडों के लिए प्रसिद्ध है। यह जलकुंड भुबनेश्वर से 42 कि.मी. दूर स्थित है। इस कुंड के पानी का तापमान 55 डिग्री है। कुंड में स्नान करने से बहुत ताजगी महसूस होती है व थकान दूर हो जाती है। इसके अलावा अत्रि जाएं तो वहां के हाटकेश्वर मंदिर के दर्शन करना न भूलें।

  1. यूमेसमडोंग सिक्किम (Yumesamdong Hot Water Spring) –
Yumesamdong Hot Water Spring
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यूमेसमडोंग सिक्किम के सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। उत्तर-पूर्वी राज्य में स्थित ये कुंड 15500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यूमेसमडोंग में 14 सल्फर के जल से युक्त कुंड हैं। जिनका तापमान लगभग 50 डिग्री रहता है। इनमे सबसे प्रसिद्ध बोरोंग और रालोंग है जहाँ साल भर पर्यटकों का तांता लगा रहते है।

  1. पनामिक लद्दाख (Panamik Nubra Valley Hot Water Springs) –
(Panamik Nubra Valley Hot Water Springs
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नुब्रा वैली का मतलब है फूलों की घाटी। यह वैली सियाचिन ग्लैशियर से 9 कि..मी. की दूरी पर स्थित है। यह स्थान गर्म पानी के कुंड के लिए भी जाना जाता है। यहां का पानी बहुत अधिक गर्म होता है। पानी से बुलबुले निकलते दिखाई देते हैं। पानी इतना गर्म होता है कि इसे छुआ नहीं जा सकता।

  1. तुलसी श्याम कुण्ड, गुजरात (Tulsi Shyam Hot Spring, Gujarat) –
Tulsi Shyam Hot Spring, Gujarat
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तुलसी श्याम कुण्ड, जूनागढ़ से 65 किलो मीटर की दुरी पर स्तिथ है।  यहाँ पर गर्म पानी के तीन कुण्ड है। इनकी खासियत यह है की तीनो में अलग-अलग तापमान का पानी रहता है। तुलसी श्याम कुण्ड के पास ही 700 साल पुराना रुकमणि देवी का मंदिर है। इसके अलावा गुजरात में ही टुवा टिम्बा (Tuva Timba) में भी गर्म पानी के कुण्ड है।

  1. झारखंड के 60 गर्म पानी के कुण्ड (60 Hot Springs Of Jharkhand) –
(60 Hot Springs Of Jharkhand)
Sidpur Hot Spring

गर्म पानी के स्रोतों के मामले में झारखण्ड, भारत में सबसे आगे है। यहाँ पर 60 हॉट वाटर स्प्रिंग्स है। जिनमे से कुछ प्रमुख है Tatloi, Tharai Pani, Numbil, Tapat Pani, Susum Pani, Raneshwar, Chark Khurd, Sidpur, Suraj kund, आदि।

मलाजपुर – बैतूल – यहां हर साल लगता है ‘भूतों का मेला’

हमारा देश भारत मेलों का देश कहलाता है। पुरे भारतवर्ष में हर साल हज़ारों की संख्या में मेले लगते है जिनमे से कुछ में आप भी कभी न कभी शरीक हुए होंगे। लेकिन क्या आपने कभी भूतों के मेले के बारे में सुना है? भले ही लोग इसे अंधविश्वास कहें, लेकिन बैतूल जिले से करीब 42 किलोमीटर दूर चिचौली तहसील के गांव मलाजपुर में हर साल मकर मकर संक्रांति की पहली पूर्णिमा से ‘भूतों का मेला’ शुरू होता है, जो महीनेभर चलता है। ऐसी मान्यता है कि 1770 में गुरु साहब बाबा नाम के एक संत ने यहां जीवित समाधि ली थी। कहा जाता है कि संत चमत्कारी थे और भूत-प्रेत को वश में कर लेते थे। बाबा की याद में हर साल यहाँ मेला लगता है।

जिन पर बुरी छाया, वे लगाते हैं उल्टी परिक्रमा
मेले में आने वाले भूत-प्रेत के साये से प्रभावित लोग समाधि स्थल की उल्टी परिक्रमा लगाते हैं। कई बार इस मेले को लेकर विवाद हुए। इसे अंधविश्वास के चलते बंद कराने के प्रयास किए गए, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। मेले में देशभर से लोग पहुंचते हैं। यहां पहुंचने वालों में ग्रामीणों की संख्या बहुत अधिक होती है।

उल्लेखनीय है कि मप्र के  कई आदिवासियों खासकर गोंड, भील एवं कोरकू जनजातियों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी से टोटका, झाड़ फूंक एवं भूतप्रेत-चुड़ैल सहित अनेक ऐसे रीति-रिवाज निवारण प्रक्रिया चली आ रही है। बैतूल आदिवासी बाहुल्य जिला है।

मान्यता है कि, पीड़ित लोग जब इस झंडे की परिक्रमा करते हैं, तो बुरी छाया समीप के बरगद पर जाकर बैठ जाती है।

ऐसा होता है दृश्य
किसी के हाथ में जंजीर बंधी है, तो किसी के पैरों में बेडिय़ां बंधी है। कोई नाच रहा है, तो कोई सीटियां बजाते हुए चिढ़ा रहा है। लोग कहते हैं कि ये वे लोग है, जिन पर ‘भूत’ सवार हैं।
लोग भले ही यकीन न करें, लेकिन यह सच है कि मेले में भूत-प्रेतों के अस्तित्व और उनके असर को खत्म करने का दावा किया जाता है। यहां के पुजारी लालजी यादव बुरी छाया से पीड़ित लोगों के बाल पकड़कर जोर से खींचते हैं। पुजारी कई बार झाड़ा भी लगाते हैं। यहां लंबी कतार में खड़े होकर लोग सिर से भूत-प्रेत का साया हटवाने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते देखे जा सकते हैं।

गुड़ से तौला जाता है
मान्यता है कि, जो पीड़ित ठीक हो जाते हैं, उसे यहां गुड़ से तौला जाता है। यहां हर साल टनों गुड़ इकट्ठा हो जाता है, जो यहां आने वाले लोगों को प्रसाद के तौर पा बांटा जाता है। कहा जाता है कि, यहां इतनी मात्रा में गुड़ जमा होने के बावजूद मक्खियां या चीटिंयां नहीं दिखाई देतीं। लोग इसे गुरु साहब बाबा का चमत्कार मानते हैं।

 

कुत्ते भी आरती में होते हैं शामिल
समाधि परिक्रमा करने से पहले स्नान करना पड़ता है। यहां मान्यता है कि प्रेत बाधा का शिकार व्यक्ति जैसे-जैसे परिक्रमा करता है, वैसे-वैसे वह ठीक होता जाता है। यहां पर रोज ही शाम को आरती होती है। इस आरती की विशेषता यह है कि दरबार के कुत्ते भी आरती में शामिल होकर शंक, करतल ध्वनि में अपनी आवाज मिलाते है। इसको लेकर महंत कहते है कि यह बाबा का आशीष है। इस मेले में श्रद्धालुओं के रूकने की व्यवस्था जनपद पंचायत चिचोली तथा महंत करते हैं।

पूर्णिमा की रात होती है महत्वपूर्ण
ऐसी धारणा है कि जिस भी प्रेत बाधा से पीड़ित व्यक्ति को छोडऩे के बाद उसके शरीर में समाहित प्रेत बाबा की समाधि के एक दो चक्कर लगाने के बाद अपने आप उसके शरीर से निकल कर पास के बरगद के पेड़ पर उल्टा लटक जाता है।  बाद में उसकी आत्मा को शांति मिल जाती है।

बाबा का इतिहास
उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस स्थल का इतिहास यह है कि विक्रम संवत 1700 के पश्चात आज से लगभग 348 वर्ष पूर्व ईसवी सन 1644 के समकालीन समय में गुरू साहब बाबा के पूर्वज मलाजपुर के पास स्थित ग्राम कटकुही में आकर बसे थे। बाबा के वंशज महाराणा प्रताप के शासनकाल में राजस्थान के आदमपुर नगर के निवासी थे। अकबर और महाराणा प्रताप के मध्य छिड़े घमसान युद्ध के परिणामस्वरूप भटकते हुये बाबा के वंशज बैतूल जिले के इस क्षेत्र में आकर बस गए। बाबा के परिवार के मुखिया का नाम रायसिंह तथा पत्नी का नाम चंद्रकुंवर बाई था जो बंजारा जाति के कुशवाहा वंश के थे। इनके चार पुत्र क्रमश: मोतीसिंह, दमनसिंह, देवजी (गुरूसाहब) और हरिदास थे।

श्री देवजी संत (गुरू साहब बाबा) का जन्म विक्रम संवत 1727 फाल्गुन सुदी पूर्णिमा को कटकुही ग्राम में हुआ था। बाबा का बाल्यकाल से ही रहन सहन खाने पीने का ढंग अजीबो-गरीब था। बाल्यकाल से ही भगवान भक्ति में लीन श्री गुरू साहेब बाबा ने मध्यप्रदेश के हरदा जिले के अंतर्गत ग्राम खिड़किया के संत जयंता बाबा से गुरूमंत्र की दीक्षा ग्रहण कर वे तीर्थाटन करते हुये अमृतसर में अपने ईष्टदेव की पूजा आराधना में कुछ दिनों तक रहें इस स्थान पर गुरू साहेब बाबा को ‘देवला बाबा’ के नाम से लोग जानते पहचानते हैं। गुरू साहेब बाबा उक्त स्थानों से चंद दिनों के लिये भगवान विश्वनाथ की पुण्य नगरी काशी प्रवास पर गये, जहां गायघाट के समीप निर्मित दरभंगा नरेश की कोठी के पास बाबा का मंदिर स्थित है।

गुरू साहब बाबा की समाधि स्थल पर देखरेख हेतु पारिवारिक परंपरा के अनुरूप बाबा के उतराधिकारी के रूप में उनके ज्येष्ठ भ्राता महंत गप्पादास गुरू गद्दी के महंत हुये। तत्पश्चात यह भार उनके सुपुत्र परमसुख ने संभाला उनके पश्चात क्रमश: सूरतसिंह, नीलकंठ महंत हुये। इनकी समाधि भी यही पर निर्मित है। वर्तमान में महंत चंद्रसिंह गुरू गादी पर महंत के रूप में सन 1967 से विराजित हुये। यहां पर विशेष उल्लेखनीय यह है कि वर्तमान महंत को छोड़कर शेष पूर्व में सभी बाबा के उत्तराधिकारियों ने बाबा का अनुसरण करते हुये जीवित समाधियाँ ली।

गाँव में नहीं होता है अग्नि संस्कार

सबसे बड़ी विचित्रता यह है कि बाबा के भक्तों का अग्नि संस्कार नहीं होता है। बाबा के एक अनुयायी के अनुसार आज भी बाबा के समाधि वाले इस गांव मलाजपुर में रहने वाले किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसके शव को जलाया नहीं जाता है चाहे वह किसी भी जाति या धर्म का क्यों ना हो। इस गांव के सभी मरने वालों को उन्हीं के खेत या अन्य स्थान पर समाधि दी जाती है।

क्या कहते हैं साइकोलॉजिस्ट

हालांकि कई साइकोलॉजिस्ट भूत-प्रेत के अस्तित्व को सिरे से खारिज करते हैं। उनके अनुसार ‘मेले में आने वाले लोग निश्चित ही किसी न किसी समस्या से ग्रस्त हैं। उनकी परेशानी मानसिक भी हो सकती है और शारीरिक भी। मानसिक रोग से ग्रस्त परिजनों को लोग यहां ले आते हैं। दरअसल किसी भी रोग के इलाज में विश्वास महत्वपूर्ण होता है। इलाज पर विश्वास होता है तो फायदा भी जल्दी मिलता है।’

द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया का रहस्य !!!

● द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया जो देती है चीन की दीवार को टक्कर, जानें इसका रहस्य ●
उदयपुर. चीन के दीवार का नाम विश्व में सभी जानते हैं | आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में भी एक ऐसी दीवार है जो सीधे तौर पर चीन के दीवार को टक्कर देती है | जिसे भेदने की कोशिश अकबर ने भी की लेकिन भेद न सका। जिसके दीवार की मोटाई इतनी है कि उस पर 10 घोड़े एक साथ दौड़ सकते हैं।
कैसे बनी ये 36 किलोमीटर लंबी दीवार ?
किले के दीवार की निर्माण से जुड़ी कहानी बहुत ही दिलचस्प है | 1443 में राणा कुंभा ने किले का निर्माण शुरू किया लेकिन, जैसे जैसे दीवारों का निर्माण आगे बढ़ा वैसे-वैसे दीवारें रास्ता देते चली गई। दरअसल, इस दीवार का काम इसलिए करवाया जा रहा था ताकि विरोधियों से सुरक्षा हो सके | लेकिन दीवारें थी की बंद होने का नाम ही नहीं ले रही थी | फिर कारिगरों ने राजा को बताया कि यहां पर किसी देवी का वास है।
इस किले के लिए चढ़ाई गई संत की बलि
देवी कुछ और ही चाहती हैं राजा इस बात पर चिंतित हो गए और एक संत को बुलाया और सारी गाथा सुनाकर इसका हल पूछा | संत ने बताया कि देवी इस काम को तभी आगे बढ़ने देंगी जब स्वेच्छा से कोई मानव बलि के लिए खुद को प्रस्तुत करे | राजा इस बात से चिंतित होकर सोचने लगे कि आखिर कौन इसके लिए आगे आएगा | तभी संत ने कहा कि वह खुद बलिदान के लिए तैयार है और इसके लिए राजा से आज्ञा मांगी |
संत ने कहा कि उसे पहाड़ी पर चलने दिया जाए और जहां वो रुके वहीं उसे मार दिया जाए और वहां एक देवी का मंदिर बनाया जाए | ठीक ऐसा ही हुआ और वह 36 किलोमीटर तक चलने के बाद रुक गया और उसका सिर धड़ से अलग कर दिया गया | जहां पर उसका सिर गिरा वहां मुख्य द्वार है और जहां पर उसका शरीर गिरा वहां दूसरा मुख्य द्वार है |
यह किला चारों तरफ से अरावली की पहाड़ियों की मजबूत ढाल द्वारा सुरक्षित है |
इसका निर्माण पंद्रहवी सदी में राणा कुम्भा ने करवाया था। पर्यटक किले के ऊपर से आस पास के रमणीय दृश्यों का आनंद ले सकते हैं | शत्रुओं से रक्षा के लिए इस किले के चारों ओर दीवार का निर्माण किया गया था | ऐसा कहा जाता है कि चीन की महान दीवार के बाद यह एक सबसे लम्बी दीवार है | यह किला 1,914 मीटर की ऊंचाई पर समुद्र स्तर से परे क्रेस्ट शिखर पर बनाया गया है। इस किले के निर्माण को पूरा करने में 15 साल का समय लागा |
दस घोड़े एक साथ दौड़ते है इसके दीवार पर
महाराणा कुंभा के रियासत में कुल 84 किले आते थे जिसमें से 32 किलों का नक्शा उसके द्वारा बनवाया गया था | कुंभलगढ़ भी उनमें से एक है | इस किले की दीवार की चौड़ाई इतनी ज्यादा है कि 10 घोड़ों को एक ही समय में उसपर दौड़ सकते हैं | एक मान्यता यह भी है कि महाराणा कुंभा अपने इस किले में रात में काम करने वाले मजदूरों के लिए 50 किलो घी और 100 किलो रूई का प्रयोग करता था |
यहां है “बादलों का महल”
बादल महल को ‘बादलों के महल’ के नाम से भी जाना जाता है | यह कुम्भलगढ़ किले के शीर्ष पर स्थित है | इस महल में दो मंजिलें हैं एवं यह संपूर्ण भवन दो आतंरिक रूप से जुड़े हुए खंडों, मर्दाना महल और जनाना महल में विभाजित हैं |
इस महल के कमरों के दीवारों पर सुंदर दृश्यों को अंगित किया गया है जो उन्नीसवीं शताब्दी के काल को प्रदर्शित करते हैं |
उस समय भी होता था एसी का प्रयोग
आज भी एसी का प्रयोग कर ऑफिसों में पाइपों के द्वारा ठंढ़क पहूंचाई जाती है | उस समय भी महल के इस परिसर में रचनात्मक वातानुकूलन प्रणाली लगा हुआ था जो आज भी है | यह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है जिसे देखना एक दिलचस्प बात है | इसमें पाइपों की एक श्रृंखला है जो इन सुंदर कमरों को ठंडी हवा प्रदान करती है और साथ ही कमरों को नीचे से भी ठंडा करती हैं | पर्यटक जनाना महल में पत्थरों की जालियों से बाहर का नजारा देख सकते हैं | ये जालियां रानियों द्वारा दरबार की कार्यवाही को देखने के लिए प्रयोग में लाई जाती थी |
सुरक्षा ऐसी कि परिंदा भी न मार सके पैर:
सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए इस दुर्ग में ऊंचे स्थानों पर महल, मंदिर व आवासीय इमारतें बनायीं गई और समतल भूमि का उपयोग कृषि कार्य के लिए किया गया वही ढलान वाले भागों का उपयोग जलाशयों के लिए कर इस दुर्ग को यथासंभव स्वावलंबी बनाया गया | इस दुर्ग के भीतर एक और गढ़ है जिसे कटारगढ़ के नाम से जाना जाता है यह गढ़ सात विशाल द्वारों व सुद्रढ़ प्राचीरों से सुरक्षित है |
इसे बनाते समय रखा गया वास्तु शास्त्र का ध्यान:
वास्तु शास्त्र के नियमानुसार बने इस दुर्ग में प्रवेश द्वार, प्राचीर, जलाशय, बाहर जाने के लिए संकटकालीन द्वार, महल, मंदिर, आवासीय इमारते, यज्ञ वेदी, स्तम्भ, छत्रियां आदि बने है |
सिर्फ एक बार छाया किले पर हार का साया
कुंभलगढ़ को अपने इतिहास में सिर्फ एक बार हार का सामना करना पड़ा जब मुगल सेना ने किले की तीन महिलाओं को जान से मारने की धमकी देकर अंदर प्रवेश करने का रास्ता पूछा | महिलाओं ने डर से एक गुप्त द्वार बताया लेकिन, इसके बाद भी मुगल अंदर जाने में सफल नहीं हो पाए। एक बार फिर अकबर के बेटे सलीम ने भी इस किले पर फतह करने की सोची लेकिन उसे भी खाली हाथ वापस लौटना पड़ा |
जिसे कोई और न मार सका उसके बेटे ने ही ले ली जान
महाराणा प्रताप की जन्म स्थली कुम्भलगढ़ एक तरह से मेवाड़ की संकटकालीन राजधानी रहा है | महाराणा कुम्भा से लेकर महाराणा राज सिंह के समय तक मेवाड़ पर हुए आक्रमणों के समय राजपरिवार इसी दुर्ग में रहा | यहीं पर पृथ्वीराज और महाराणा सांगा का बचपन बीता था |
धोखा देने पर चुनवा दिया दीवार में
कुछ समय बाद जब राजा को उस महिलाओं के बारे में पता चला तो उन्होंने तीनों को किले के द्वार पर दीवार में जिंदा चुनवा दिया | ऐसा कर राजा ने लोगों को यह संदेश दिया कि राज्य के सुरक्षा के साथ जो भी खिलवाड़ करेगा उसका यही अंजाम होगा |
यहाँ पहुँचाना है बेहद आसान
कुम्भलगढ़ किला उदयपुर शहर से 64 किलोमीटर की दूरी पर है | उदयपुर शहर से कुम्भलगढ़ किले तक आसानी से पहुंचा जा सकता है | पर्यटक आसानी से रेलमार्ग, वायुमार्ग या सडक द्वारा इस स्थान तक पहुंच सकते हैं |

Whatsapp Quotes

रोज भगवान को याद करते हो …..

पर कभी सोचा  है कि…..

किसी दिन भगवान  ने याद कर लिया तो… …………………….
…………………….
……………………
….लेने के देने पड जाएगेँ ।।।।।😛😛😛😛

“काम ऐसे करो
कि लोग आपको
.
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किसी दूसरे काम के लिए
बोलें ही नहीं”

आज के जमाने में सत्संग उसी संत का बढ़िया रहता है जिसके पंडाल में गर्म पोहा-जलेबी और अदरक वाली चाय मिले। वरना ज्ञान तो अब  वॉट्सएप पर भी बंटता है।

जिस पुरुष ने आज के समय में बीवी, नौकरी, कारोबार और स्मार्टफोन के बीच में सामंजस्य बैठा लिया हो, वह पुरुष नहीं महापुरुष कहलाता है!

आज सबसे बड़ी कुर्बानी वह होती है, जब हम अपना फोन चार्जिंग से निकाल कर किसी और का फोन लगा दें!

“दुनिया में हर चीज मिल जाती है,…. केवल अपनी गलती नहीं मिलती”…!!

मुस्कुराते रहो तो दुनिया आपके कदमों में होगी वरना आंसुओं को तो आंखें भी जगह नहीं देतीं।।

आसमान को छूने के लिऐ रॉकेट को भी बोतल कि जरूरत पडती है।………..
तो फिर इंसान क्या चीज है।

आप कितने ही अच्छे काम कर लें, लेकिन लोग उसे ही याद करते हैं, जो उधार लेकर मरा हो।

यदि पेड़ों से wi-fi के सिगनल मिलते.. तो हम खूब पेड़ लगाते। अफसोस कि वे हमे आक्सीजन देते है…

आजकल माता-पिता को बस दो ही चिंताएं हैं। इंटरनेट पर उनका बेटा क्या डाउनलोड कर रहा है और बेटी क्या अपलोड कर रही है i

बस के कंडक्टर सी हो गयी है जिंदगी यारो सफ़र भी रोज़ का है और जाना भी कही नही i

हर एक इंसान हवा में उड़ता फिरता है, फिर ना जाने जमीन पर इतनी भीड़ क्यों है

एक लड़की की इज्जत बचाने के लिए श्मशान बने 84 गांव!

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क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक लड़की की सुन्दरता न केवल उसके परिवार को बल्कि एक साथ 84 गांवों को रातों रात सुनसान उजाड़ में बदलने पर मजबूर कर दे। जैसलमेर के पास स्थित एक गांव कुलधारा की भी कुछ ऎसी ही कहानी है। सन 1291 में पालीवाल ब्रा±मणों द्वारा बसाया गया यह गांव 8 सदियों तक खूब फला-फूला। यहां पर पूरे भारत से और सुदूर विदेशों तक से व्यापार किया जाता था। परन्तु वर्ष 1825 में एक रात अचानक यहां सब कुछ बदल गया और कुलधारा तथा आस-पास के 84 गांव रातों रात सुनसान बीहड़ में बदल गए। सब कुछ अचानक और बिना किसी चेतावनी के हुआ।

कहा जाता है कि गांव के मुखिया के 18 वर्ष की बहुत ही सुन्दर कन्या थी। एक दिन गांव के दौरे के दौरान रियासत के मंत्री सलीम सिंह की नजर उस लड़की पर पड़ी। उसने मुखिया से मिलकर उससे शादी करने की इच्छा जाहिर की। परन्तु मुखिया ने इसे ठुकरा दिया। इस पर सलीम सिंह ने गांव पर भारी टैक्स लगाने और गांव बरबाद करने की चेतावनी दी।

इस घटना से क्रोधित कुलधारा तथा आसपास के 83 गांवों के निवासियों ने लड़की का सम्मान बचाने के लिए इस जगह को हमेशा के लिए छोड़ने का निश्चय किया। उन्होंने उसी रात को अपने पूरे घर-परिवार और सामान सहित गांव छोड़ कर चले गए। उन्हें जाते हुए न तो किसी ने देखा और न ही किसी को पता चला कि वे सब कहां गए।

कहा जाता है कि उन्होंने जाते समय गांव को श्राप दिया कि उनके जाने के बाद कुलधारा में कोई नहीं बस सकेगा। अगर किसी ने ऎसा दुस्साहस किया तो उसकी मृत्यु हो जा एगी। तब से यह गांव आज तक इसी तरह सुनसान और वीरान पड़ा हुआ है। हालांकि किसी जमाने में शानदार हवेलियों से लिए मशहूर कुलधारा में अब सिर्फ खंडहर ही बचे हैं लेकिन वहां जाकर रहने की किसी को इजाजत नहीं है। कुलधारा गांव का श्मशान कभी हवेलियों की ही तरह भव्य और सुन्दर था। आज सिर्फ शिलालेख बचे हैं।

भारत में मौजूद कुछ विडंबनाएँ

1) राजनेता हमें विभाजित करते हैं, और आतंकवादी हमें एकजुट।
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2) हरेक जल्दी में है, लेकिन कोई समय में नही पहुंचता है
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3) प्रियंका चोपड़ा मैरीकॉम अभिनय के लिए इतना धन अर्जित कर लेती है जितना मैरीकॉम अपने पूरे कैरियर में अर्जित नही कर पाती
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4) अजनबियों से बात करना खतरनाक हैं, लेकिन अजनबी से शादी करने मे कोई ऐतराज नही
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5) गीता और कुरान पर लड़ने के ज्यादातर लोग वो हैं जिन्होने शायद उन्हे कभी नहीं पढ़ा है
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6) बेटी पर शिक्षा के लिये खर्च करने से बहुत अधिक उसकी शादी पर खर्च कर देते हैं
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7) हम वातानुकूलित शोरूम में जूते खरीदते हैं,और खाने के लिये सब्जियां फुटपाथ से खरीदते हैं ..
8) हम एक पुलिसकर्मी को देखकर सुरक्षित नही बल्कि असुरक्षित महसूस करते हैं
9) भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा में, एक व्यक्ति दहेज एक सामाजिक बुराई है के बारे में 1500 शब्द निबंध लिखते हैं। एक साल बाद ही वो व्यक्ति एक करोड़ रुपये की दहेज की मांग इसलिये करता है,कि वो प्रशासनिक अधिकारी है
10) भारतीय बहुत शर्मीले होते हैं और 121 करोड़ को पार रहे हैं।
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11) स्मार्ट फोन मे स्क्रीन गार्ड और गोरिल्ला ग्लास लगवाते हैं ,कि खरोंच न पड जाये ,और सिर पर हेल्मेट सिर्फ जुर्माने से बचने के लिये लगाते है
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12) भारतीय समाज लड़कियों को सिखाता है कि ब्लात्कार से बचो ,पर ब्लात्कार न करो
लड़को को ,ये कोई नही सिखाता
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13) सबसे खराब फिल्म के सबसे अधिक कमाने के अवसर होते हैं
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17) एक पोर्न स्टार एक सेलिब्रिटी के रूप में समाज में स्वीकार किया जाता है, लेकिन एक बलात्कार की शिकार भी एक सामान्य इंसान के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता।
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18) कृत्रिम lemon grass को “स्वागत ड्रिंक”मे प्रयोग किया जाता है और असली नींबू “फिंगर बाउल” में इस्तेमाल किया जाता है ..

कुछ रोचक जानकारी क्या आपको पता है ?

  1. 📚 चीनी को जब चोट पर लगाया जाता है, दर्द तुरंत कम हो जाता है…
  2. 📚 जरूरत से ज्यादा टेंशन आपके दिमाग को कुछ समय के लिए बंद कर सकती है…
    3.📚 92% लोग सिर्फ हस देते हैं जब उन्हे सामने वाले की बात समझ नही आती…
    4.📚 बतक अपने आधे दिमाग को सुला सकती हैंजबकि उनका आधा दिमाग जगा रहता….
    5.📚 कोई भी अपने आप को सांस रोककर नही मार सकता…
    6.📚 स्टडी के अनुसार : होशियार लोग ज्यादा तर अपने आप से बातें करते हैं…
    7.📚 सुबह एक कप चाय की बजाए एक गिलास ठंडा पानी आपकी नींद जल्दी खोल देता है…
    8.📚 जुराब पहन कर सोने वाले लोग रात को बहुत कम बार जागते हैं या बिल्कुल नही जागते…
    9.📚 फेसबुक बनाने वाले मार्क जुकरबर्ग के पास कोई कालेज डिगरी नही है…
    10.📚 आपका दिमाग एक भी चेहरा अपने आप नही बना सकता आप जो भी चेहरे सपनों में देखते हैं वो जिदंगी में कभी ना कभी आपके द्वारा देखे जा चुके होते हैं…
    11.📚 अगर कोई आप की तरफ घूर रहा हो तो आप को खुद एहसास हो जाता है चाहे आप नींद में ही क्यों ना हो…
    12.📚 दुनिया में सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाने वाला पासवर्ड 123456 है…..
    13.📚 85% लोग सोने से पहले वो सब सोचते हैं जो वो अपनी जिंदगी में करना चाहते हैं…
    14.📚 खुश रहने वालों की बजाए परेशान रहने वाले लोग ज्यादा पैसे खर्च करते हैं…
    15.📚 माँ अपने बच्चे के भार का तकरीबन सही अदांजा लगा सकती है जबकि बाप उसकी लम्बाई का…
    16.📚 पढना और सपने लेना हमारे दिमाग के अलग-अलग भागों की क्रिया है इसी लिए हम सपने में पढ नही पाते…
    17.📚 अगर एक चींटी का आकार एक आदमी के बराबर हो तो वो कार से दुगुनी तेजी से दौडेगी…
    18.📚 आप सोचना बंद नही कर सकते…..
    19.📚 चींटीयाँ कभी नही सोती…
    20.📚 हाथी ही एक एसा जानवर है जो कूद नही सकता…
    21.📚 जीभ हमारे शरीर की सबसे मजबूत मासपेशी है…
    22.📚 नील आर्मस्ट्रांग ने चन्द्रमा पर अपना बायां पाँव पहलेरखा था उस समय उसका दिल 1 मिनट में 156 बार धडक रहा था…
    23.📚 पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण बल के कारण पर्वतों का 15,000मीटर से ऊँचा होना संभव नही है…
    23.📚 शहद हजारों सालों तक खराब नही होता..
    24.📚 समुंद्री केकडे का दिल उसके सिर में होता है…
    25.📚 कुछ कीडे भोजन ना मिलने पर खुद को ही खा जाते है….
    26.📚 छींकते वक्त दिल की धडकन 1 मिली सेकेंड के लिए रूक जाती है…
    27.📚 लगातार 11 दिन से अधिक जागना असंभव है…
    28.📚 हमारे शरीर में इतना लोहा होता है कि उससे 1 इंच लंबी कील बनाई जा सकती है…..
    29.📚 बिल गेट्स 1 सेकेंड में करीब 12,000 रूपए कमाते हैं…
    30.📚 आप को कभी भी ये याद नही रहेगा कि आपका सपना कहां से शुरू हुआ था…
    31.📚 हर सेकेंड 100 बार आसमानी बिजली धरती पर गिरती है…
    32.📚 कंगारू उल्टा नही चल सकते…
    33.📚 इंटरनेट पर 80% ट्रैफिक सर्च इंजन से आती है…
    34.📚 एक गिलहरी की उमर,, 9 साल होती है…
    35.📚 हमारे हर रोज 200 बाल झडते हैं…
    36.📚 हमारा बांया पांव हमारे दांये पांव से बडा होता हैं…
    37.📚 गिलहरी का एक दांत  हमेशा बढता रहता है….
    38.📚 दुनिया के 100 सबसे अमीर आदमी एक साल में इतना कमा लेते हैं जिससे दुनिया
    की गरीबी 4 बार खत्म की जा सकती है…
    39.📚 एक शुतुरमुर्ग की आँखे उसके दिमाग से बडी होती है…
    40.📚 चमगादड गुफा से निकलकर हमेशा बांई तरफ मुडती है…
    41.📚 ऊँट के दूध की दही नही बन सकता…
    42.📚 एक काॅकरोच सिर कटने के बाद भी कई दिन तक जिवित रह सकता है…
    43.📚 कोका कोला का असली रंग हरा था…
    44.📚 लाइटर का अविष्कार माचिस से पहले हुआ था…
    45.📚 रूपए कागज से नहीं बल्कि कपास से बनते है…
    46.📚 स्त्रियों की कमीज के बटन बाईं तरफ जबकि पुरूषों की कमीजके बटन दाईं तरफ होते हैं…
    47.📚 मनुष्य के दिमाग में 80% पानी होता है.
    48.📚 मनुष्य का खून 21 दिन तक स्टोर किया जा सकता है…
    49.📚 फिंगर प्रिंट की तरह मनुष्य की जीभ के निशान भी अलग-अलग होते हैं…

कैसी लगी जानकारी
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एक ही स्मार्टफोन में ऎसे चलाएं 2 व्हाट्सएप अकाउंट्स

     
कई यूजर्स ड्यूल सिम इस्तेमाल करते हैं। ऎसे में वे एक ही स्मार्टफोन में दोनों नंबर्स से व्हाट्सएप अकाउंट चलाना चाहते हैं। इससे आप अपने प्रोफेशनल और पर्सनल फ्रेंड्स को डिवाइड कर सकते हैं और साथ ही दो अकाउंट होने से प्रोफाइल फोटो और स्टेट्स को लेकर आपकी प्राइवेसी भी बनी रहती है। इसके लिए आपको एक एप “स्विचमी मल्टीपल अकाउंट्स” डाउनलोड करनी होगी। आइए जानते हैं कैसे इस एप से एक ही स्मार्टफोन में 2 व्हाट्सएप अकाउंट्स चला सकते हैं…

  1. सबसे पहले अपने स्मार्टफोन में “स्विचमी मल्टीपल अकाउंट्स” इंस्टॉल कीजिए।
  2. इसे ओपन करके दो अलग-अलग व्हाट्सएप प्रोफाइल बनाइए।

  3. आप जो पहला अकाउंट बनाएंगे, वह एडमिनिसट्रेटर अकाउंट होगा। इससे आप अपने फोन के सारे एप और डाटा एक्सेस कर सकते हैं। यह एडमिनिसट्रेटर अकाउंट या प्राइमरी अकाउंट आपके स्मार्टफोन में डाउनलोड व्हाट्सएप का डिफाल्ट एक्सेस होगा।

  4. दूसरे अकाउंट (सैकेंडरी अकाउंट) के लिए आपको व्हाट्सएप फिर से इंस्टॉल करके एक्टिवेट करना होगा। इसके लिए पहले “स्विचमी” ओपन करें और सैकेंडरी अकाउंट सेलेक्ट करें। अब आप व्हाट्सएप डाउनलोड करें। फिर सैकेंडरी अकाउंट के लिए व्हाट्सएप रजिस्टर और एक्टिवेट करें।

  5. एक बार इंस्टॉल होने के बाद आप दोनों अकाउंट्स से व्हाट्सएप चला सकते हैं।

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 जानते हैं ब्रह्मजी के कितने पुत्र हैं, कुछ रोचक सवाल और जवाब

उज्जैन। कहा जाता है कि हर प्राचीन धर्म ग्रंथ ज्ञान का सागर है। इन ग्रंथो में जीवन से जुड़ी ऐसी बातें बताई गई हैं, जो सब के लिए उपयोगी हैं। यदि कोई इन बातों पर अमल करता है तो उसके जीवन में कभी भटकाव नहीं आता है। हालांकि आधुनिक समय में अधिकांश युवा धर्र्म ग्रंथो से दूर है। कम्प्यूटर और मोबाईल में व्यस्त रहने वाले लोग अक्सर भविष्य की चिंता में अपने ही धर्म के बारे में कई बहुत सामान्य बातें भी नहीं जानते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए। हम यहां धर्मग्रंथों के उसी ज्ञान व उपयोगी बातों को रोचक व आसान सवाल-जवाबों के रूप में प्रस्तुत कर रहें हैं, जो बच्चों व नौजवानों के साथ बड़ी उम्र के लोगों की भी हिन्दू या अन्य धर्मों से जुड़ी जानकारी बढ़ाएंगे। आइए जानते हैं धर्म से जुड़े कुछ रोचक सवाल और उनके जवाब……

सृष्टि रचने वाले ब्रह्मदेव के कितने और कौन से मानस पुत्र हैं? 
 
ब्रह्मदेव के 17 मानस पुत्र माने गए हैं, जिनकी ब्रह्मदेव से ही उत्पत्ति इस तरह बताई गई है– 

  1. मन से मरिचि
  2. नेत्र से अत्रि 

  3. मुख से अंगिरस 

  4. कान से पुलस्त्य 

  5. नाभि से पुलह 

  6. हाथ से कृतु 

  7. त्वचा से भृगु 

  8. प्राण से वशिष्ठ 

  9. अंगूठे से दक्ष 

  10. छाया से कंदर्प 

  11. गोद से नारद 

  12. इच्छा से सनक, सनन्दन, सनातन, सनतकुमार 

  13. शरीर से मनु 

  14. ध्यान से चित्रगुप्त

 

भगवान विष्णु के 10 अवतार कौन-कौन से हैं ?

 
हिंदू धर्म मान्यताओं में भगवान विष्णु जगतपालक माने जाते हैं। धर्म की रक्षा के लिए हिंदू धर्मग्रंथ श्रीमद्भागवतपुराण के मुताबिक सतयुग से लेकर कलियुग तक भगवान विष्णु के 24 अवतार माने गए हैं। इनमें से दस प्रमुख अवतार ‘दशावतारÓ के रूप में प्रसिद्ध हैं। ये दस अवतार हैं- 
 
1. मत्स्य अवतार – मछली के रूप में।

  1. कूर्म अवतार – कछुए के रूप में।  
  • वराह अवतार – सूअर के रूप में। 

  • नरसिंह अवतार – आधे शेर और आधे इंसान के रूप में। 

  • वामन अवतार – बौने ब्राह्मण के रूप में। 

  • परशुराम अवतार – ब्राह्मण योद्धा के रूप में। 

  • श्रीराम अवतार – मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में।
     

  • श्रीकृष्ण अवतार – 16 कलाओं के पूर्ण अवतार के रूप में।
     
  • बुद्ध अवतार – क्षमा, शील और शांति के रूप में।
     
  • कल्कि अवतार ( यह अवतार कलियुग के अंत में होना माना गया है)- सृष्टि के संहारक के रूप में। 
  • कौन हैं अष्टचिरंजीवी यानी 8 अमर चरित्र? 

    सांसारिक जीवन का अटल सत्य है कि जिसने जन्म लिया उसकी मृत्यु तय है। किंतु इस सच के उलट इसी संसार में ऐसे भी देहधारी हैं, जो युगों के बदलाव के बाद भी हजारों सालों से जीवित हैं। इन महान और अमर आत्माओं को ‘चिरंजीवीÓ यानी अमर बताया गया है। इनकी संख्या 8 होने से ये अष्ट चिरंजीवी भी कहलाते हैं।  

    हनुमानजी:  भगवान रुद्र के 11वें अवतार, भगवान श्रीराम के परम सेवक और भक्त व बल, बुद्धि और पुरूषार्थ देने वाले देवता श्रीहनुमान के चारों युगों में होने की महिमा तो सभी जानते हैं और ‘चारों युग परताप तु्म्हारा है। परसिद्ध जगत उजियारा।।Ó यह चालीसा बोल हर रोज स्तुति भी करते हैं। 

    ऋषि मार्कण्डेय: भगवान शिव के परम भक्त। शिव उपासना और महामृत्युंजय सिद्धि से ऋषि मार्कण्डेय अल्पायु को टाल चिरंजीवी बन गए और युग-युगान्तर में भी अमर माने गए हैं। 

    भगवान वेद-व्यास: सनातन धर्म के प्राचीन और पवित्र चारों वेदों – ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद और यजुर्वेद का सम्पादन और 18 पुराणों के रचनाकार भगवान वेदव्यास ही हैं।  

    भगवान परशुराम: जगतपालक भगवान विष्णु के दशावतारों में एक हैं। इनके द्वारा पृथ्वी से 21 बार निरकुंश व अधर्मी क्षत्रियों का अंत किया गया। 

    राजा बलि: भक्त प्रहलाद के वंशज। भगवान वामन को अपना सब कुछ दान कर महादानी के रूप में प्रसिद्ध हुए। इनकी दानशीलता से प्रसन्न होकर स्वयं भगवान विष्णु ने इनका द्वारपाल बनना स्वीकार किया। 

    विभीषण: लंकापति रावण के छोटे भाई, जिसने रावण की अधर्मी नीतियों के विरोध में युद्ध में धर्म और सत्य के पक्षधर भगवान श्रीराम का साथ दिया।

    कृपाचायर्: युद्ध नीति में कुशल होने के साथ ही परम तपस्वी ऋषि, जो कौरवों और पाण्डवों के गुरु थे। 

    अश्वत्थामा: कौरवों और पाण्डवों के गुरु द्रोणाचार्य के सुपुत्र थे, जो परम तेजस्वी और दिव्य शक्तियों के उपयोग में माहिर महायोद्धा थे, जिनके मस्तक पर मणी जड़ी हुई थी। शास्त्रों में अश्वत्थामा को अमर बताया गया है। 

     

    क्या है देव और दानवों के माता-पिता का नाम?

    हिंदू धर्मग्रंथों के मुताबिक देवता धर्म के तो दानव अधर्म के प्रतीक हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पौराणिक मान्यताओं में देव-दानवों को एक ही पिता, किंतु अलग-अलग माताओं की संतान बताया गया है। 

    इसके मुताबिक देव-दानवों के पिता ऋषि कश्यप हैं। वहीं, देवताओं की माता का नाम अदिति और दानवों की माता का नाम दिति है। 

    देवताओं के गुरु का क्या नाम है?

    देवताओं के गुरु बृहस्पति माने गए हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वे महर्षि अंगिरा के पुत्र थे। भगवान शिव के कठिन तप से उन्होंने देवगुरु का पद पाया। उन्होंने अपने ज्ञान बल व मंत्र शक्तियों से देवताओं की रक्षा की। शिव कृपा से ये गुरु ग्रह के रूप में भी पूजनीय हैं।

    दानवों के गुरु का क्या नाम है?

    दानवों के गुरु शुक्राचार्य माने जाते हैं। ब्रह्मदेव के पुत्र महर्षि भृगु इनके पिता थे। शुक्राचार्य ने ही शिव की कठोर तपस्या कर मृत संजीवनी विद्या प्राप्त की, जिससे वह मृत शरीर में फिर से प्राण फूंक देते थे। ब्रह्मदेव की कृपा से यह शुक्र ग्रह के रूप में पूजनीय हैं। शुक्रवार शुक्र देव की उपासना का ही विशेष दिन है। 

    कौन है हिंदू धर्म के पांच प्रमुख देवता?

    हिंदू धर्म मान्यताओं में पांच प्रमुख देवता पूजनीय है। ये एक ईश्वर के ही अलग-अलग रूप और शक्तियां हैं। जानिए इन पांच देवताओं के नाम और रोज उनकी पूजा से कौन-सी शक्ति व इच्छाएं पूरी होती हैं – 

    सूर्य –  स्वास्थ्य, प्रतिष्ठा व सफलता

    विष्णु – शांति व वैभव

    शिव – ज्ञान व विद्या 

    शक्ति – शक्ति व सुरक्षा 

    गणेश – बुद्धि व विवेक

    त्रिलोक या तीन लोक और 14 भवन कौन-कौन से हैं?

    1.पाताल लोक ( अधोलोक ) 2.भूलोक ( मध्यलोक ) 3.स्वर्गलोक (उच्चलोक) यह तीन लोक है। 
    इन लोको को भी 14 लोको में बांटा गया है। इन 14 लोकों को भवन भी पुकारा जाता है-

    1. सत्लोक 
    2. तपोलोक 
    3. जनलोक 
    4. महलोक 
    5. ध्रुवलोक 
    6. सिद्धलोक 
    7. पृथ्वीलोक 
    8. अतललोक 
    9. वितललोक 
    10. सुतललोक 
    11. तलातललोक 
    12. महातललोक 
    13. रसातललोक 
    14. पाताललोक 

    भगवान शिव का एक नाम है आशुतोष, क्या है इसका अर्थ?

    भगवान शिव का एक नाम आशुतोष भी है। इस शब्द का मतलब जानें तो आशु का अर्थ है – जल्द और तोष यानी प्रसन्नता। इस तरह आशुतोष का अर्थ होता है- जल्द प्रसन्न होने वाला। पौराणिक प्रसंग उजागर करते हैं कि भगवान शिव भी भक्ति व पूजा के सरल उपायों से जल्द ही प्रसन्न होकर मन चाही इच्छा पूरी कर देते हैं। यही कारण है कि भगवान शिव आशुतोष भी पुकारे जाते हैं। 

    हिन्दू धर्म के चार धाम कौन से और कहां है? 

    हिन्दू धर्म के चार धाम ये हैं- 

    1. बद्रीनाथ (उत्तराखंड)
  • द्वारका (गुजरात)

  • जगन्नाथपुरी (ओडिसा) 

  • रामेश्वरम (तमिलनाडु) 

  • तीर्थ परम्परा में उत्तराखंड या उत्तर दिशा के चार धामों (यमुनोत्री, गंगोत्री, बद्रीनाथ व केदारनाथ) का भी महत्व है। यह यात्रा पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर होती है, इसलिए यह यात्रा यमुनोत्री से शुरू होकर गंगोत्री, केदारनाथ के बाद बद्रीनाथ में जाकर पूरी होती है। 

    इन पवित्र धामों में भी गंगा नदी के दर्शन व स्नान का खास महत्व है। पुराणों के मुताबिक मां गंगा जगत के कल्याण व पापनाश के लिए ही नदी के रूप में स्वर्ग से धरती पर उतरी। इन चार धामों में गंगा के भी कई रूप और नाम हैं। मसलन, गंगोत्री में भागीरथी, केदारनाथ में मंदाकिनी और बद्रीनाथ में अलकनन्दा
     

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