पुष्टिवर्धक प्रयोग
छोटे बच्चे और गर्भवती माताएँ १५ से २५ ग्राम भुनी हुई मूँगफली पुराने गुड के साथ खायें तो उन्हें बहुत पुष्टि मिलती हैं | जिन माताओं का दूध पर्याप्त मात्रा में न उतरता हो, उनके लिए भी इनका सेवन लाभप्रद है |

स्वाइन फ्लू से सुरक्षा

स्वाइन फ्लू एक संक्रामक बीमारी हैं, जो श्वसन-तंत्र को प्रभावित करती है |

लक्षण – नाक ज्यादा बहना, ठंठ लगना, गला खराब होना, मांसपेशियों में दर्द, बहुत ज्यादा थकान, तेज सिरदर्द, लगातार खाँसी, दवा खाने के बाद भी बुखार का लगातार बढ़ना आदि |

सावधानियाँ –

  • लोगों से हाथ-मिलाने, गले लगाने आदि से बचें | अधिक भीडवाले थिएटर जैसे बंद स्थानों पर जाने से बचें |
  • बिना धुले हाथों से आँख, नाक या मुँह छूने से परहेज करें |

  • जिनकी रोगप्रतिकारक क्षमता कम हो उन्हें विशेष सावधान रहना चाहिए |

  • जब भी खाँसी या छींक आये तो रुमाल आदि का उपयोग करें |

स्वाइन फ्लू से कैसे बचें ?

यह बीमारी हो तो इलाज से कुछ ही दोनों में ठीक हो सकती है, दरें नहीं | प्रतिरक्षा व श्वसन तन्त्र को मजबूत बनायें व इलाज करें |

सुबह 3 से 5 बजे के बीच में किये गये प्राणायाम से श्वसन तन्त्र विशेष बलशाली बनता है | घर में गौ-सेवा फिनायल से पोछा लगाये व् गौ-चन्दन धूपबत्ती पर गाय का घी, डाल के धुप करें | कपूर भी जलाये | इससे घर का वातावरण शक्तिशाली बनेगा | बासी, फ्रिज में रखी चीजें व बाहर के खाने से बचें | खुलकर भूख लगने पर ही खायें | सूर्यस्नान, सूर्यनमस्कार, आसन प्रतिदिन करें | कपूर, इलायची व तुलसी के पत्तो को पतले कपड़े में बाँधकर बार-बार सूंघें | तुलसी के 5 – 7 पत्ते रोज खायें | आश्रमनिर्मित होमियों तुलसी गोलियाँ, तुलसी अर्क, संजीवनी गोली से रोगप्रतिकारक क्षमता बढती है |

कुछ वर्ष पहले जब स्वाइन फ्लू फैला था, तब पूज्य बापूजी ने इसके बचाव का उपाय बताया था : ‘ नीम की 21 डंठलियाँ (जिनमें पत्तियाँ लगती हैं, पत्तियाँ हटा दें ) व 4 काली मिर्च पानी डालकर पीस लें और छान के पिला दें | बच्चा हैं तो 7 डंठलियाँ व सवा काली मिर्च दें |’

स्वाइन फ्लू से बचाव के कुछ अन्य उपाय

  • 5 – 7 तुलसी पत्ते, 10 – 12 नीमपत्ते, 2 लौंग, 1 ग्राम दालचीनी चूर्ण, 2 ग्राम हल्दी, 200 मि.ली. पानी में डालकर उबलने हेतु रख दें | उसमें 4 – 5 गिलोय की डंडियाँ कुचलकर डाल दें अथवा 2 से 4 ग्राम गिलोय चूर्ण मिलाये | 50 मि.ली. पानी शेष रहने पर छानकर पिये | यह प्रयोग दिन में 2 बार करें | बच्चों को इसकी आधी मात्रा दें |

  • दो बूँद तेल नाक के दोनों नथुनों के भीतर ऊँगली से लगाये | इससे नाक की झिल्ली के ऊपर तेल की महीन परत बन जाती हैं, जो एक सुरक्षा-कवच की तरह कार्य करती हैं, जिससे कोई भी विषाणु, जीवाणु तथा धुल-मिटटी आदि के कण नाक की झिल्ली को संक्रमित नहीं कर पायेंगे |

अम्लता (Acidity)

परिचय:-

अम्लता (एसिडिटी) रोग के कारण रोगी व्यक्ति के पेट में कब्ज बनने लगती है जिसके कारण उसके पेट में हल्का-हल्का दर्द बना रहता है। इस रोग में रोगी का खाया हुआ खाना पचता नहीं है। इस रोग का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से किया जा सकता है।
अम्लता रोग होने के लक्षण:-

अम्लता (एसिडिटी) रोग के कारण रोगी के पेट में जलन होने लगती है, उल्टी तथा खट्टी डकार आने लगती है और रोगी व्यक्ति को मिचली भी होने लगती है।

अम्लता रोग होने के कारण:-

अम्लता रोग पेट में कब्ज रहने के कारण होता है।
मानसिक तनाव तथा अधिक चिंता फिक्र करने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
तेज मसालेदार भोजन खाना, भूख से अधिक खाना, कॉफी-चाय, शराब, धूम्रपान तथा तम्बाकू का अधिक सेवन करना आदि से भी अम्लता रोग हो जाता है।
गुटका खाने, चीनी तथा नमक का अधिक सेवन करने और मानसिक तनाव के कारण भी अम्लता रोग हो सकता है।
पेट में अधिक हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का स्राव होने के कारण भी अम्लता रोग हो जाता है।
अम्लता रोग से पीड़ित रोगी का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-

अम्लता रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को गाजर, खीरा, पत्ता गोभी, लौकी तथा पेठे का अधिक सेवन करना चाहिए।
अम्लता रोग से पीड़ित रोगी को सप्ताह में 1 बार उपवास रखना चाहिए ताकि उसकी पाचनशक्ति पर दबाव कम पड़े और पाचनशक्ति अपना कार्य सही से कर सके। इसके फलस्वरूप अम्लता रोग जल्द ही ठीक हो जाता है।
अम्लता रोग से ग्रस्त रोगी को 1 सप्ताह से 3 सप्ताह तक केवल फल, सलाद तथा अंकुरित अन्न ही खाने चाहिए तथा रोगी व्यक्ति को चीनी तथा नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। जब कभी भी रोगी व्यक्ति को खाना खाना हो तो उसे भोजन को अच्छी तरह से चबा-चबाकर खाना चाहिए।
अम्लता रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन नींबू, शहद का पानी, नारियल पानी, फलों का रस और सब्जियों का रस अधिक पीना चाहिए।
गाजर तथा पत्तागोभी का रस इस रोग से पीड़ित रोगी के लिए बहुत ही उपयोगी है। इनका सेवन प्रतिदिन करने से अम्लता रोग ठीक हो जाता है।
ताजे आंवले का रस या फिर आंवले का चूर्ण रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन चटाने से अम्लता रोग कुछ ही दिनों में ही ठीक हो जाता है।
थोड़ी सी हल्दी को शहद में मिलाकर चाटने से भी रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है। हल्दी तथा शहद के मिश्रण को चाटने के बाद रोगी को गुनगुना पानी पीना चाहिए।
5 तुलसी के पत्तों को सुबह के समय में चबाने से अम्लता रोग नहीं होता है।
अम्लता रोग से पीड़ित रोगी को अगर सूर्य की किरणों से बनाया गया आसमानी बोतल का पानी 2-2 घंटे पर पिलाया जाए तो उसे बहुत अधिक लाभ मिलता है और उसका रोग ठीक हो जाता है।
अम्लता रोग से पीड़ित रोगी को भोजन करने के बाद वज्रासन करना चाहिए इससे अम्लता रोग ठीक हो जाता है।
अम्लता रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में रोज एनिमा क्रिया करनी चाहिए तथा इसके बाद कुंजल क्रिया करना चाहिए और इसके बाद स्नान करना चाहिए। फिर सूखे तौलिये से शरीर को अच्छी तरह से रगड़ना चाहिए। इसके परिणाम स्वरूप यह रोग तथा बहुत से रोग ठीक हो जाते हैं।
इस रोग से पीड़ित रोगी को खुली हवा में लम्बी-लम्बी सांसे लेनी चाहिए।
रोगी व्यक्ति का इलाज करने के लिए रोगी के पेट पर गीली मिट्टी की पट्टी करनी चाहिए तथा इसके बाद रोगी को कटिस्नान कराना चाहिए। फिर उसके पेट गर्म तथा ठंडा सेंक करना चाहिए। इसके बाद रोगी को गर्म पाद स्नान भी कराना चाहिए तथा सप्ताह में एक बार रोगी व्यक्ति के शरीर पर गीली चादर लपेटनी चाहिए। इस प्रकार से उपचार करने से यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
अम्लता रोग से पीड़ित रोगी को तुरन्त आराम पाने के लिए अपने पेट पर गर्म व ठंडी सिंकाई करनी चाहिए।
अम्लता रोग से पीड़ित रोगी यदि प्रतिदिन रात को सोते समय अपने पेट पर ठंडी पट्टी करे तो उसका यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन सुबह उठकर नियमानुसार शौच के लिए जाना चाहिए तथा अपने दांतों को साफ करना चाहिए।
रोगी व्यक्ति को रात के समय में सोने से पहले तांबे के बर्तन में पानी को भरकर रखना चाहिए तथा सुबह के समय में उठकर उस पानी को पीना चाहिए। जिसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
अम्लता रोग से पीड़ित रोगी के लिए सावधानी :-

प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार अम्लता रोग से पीड़ित रोगी को दूध का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि दूध एक बार तो जलन को शांत कर देता है लेकिन दूध को हजम करने के लिए पेट की पाचनशक्ति को तेज करना पड़ता है और यदि रोगी को अम्लता रोग हो जाता है तो उसकी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है।
दवाइयों के द्वारा यह रोग ठीक तो हो जाता है लेकिन बाद में यह रोग अल्सर रोग बन जाता है तथा यह रोग कई रोगों के होने का कारण भी बन जाता है जैसे- नेत्र रोग, हृदय रोग आदि। इसलिए दवाईयों के द्वारा इस रोग को ठीक नहीं करना चाहिए बल्कि इसका इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करना चाहिए।
जानकारी-

इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से इलाज करने से रोगी का अम्लता रोग ठीक हो जाता है तथा बहुत समय तक यह रोग व्यक्ति को फिर दुबारा भी नहीं होता है। यदि रोगी व्यक्ति अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दे तो उसे दुबारा यह रोग नहीं होता है।

डार्क सर्कल और आंखों की सूजन को दूर करे त्रिफला जल

आपकी आंखें बहुत कीमती हैं। यही तो हैं जो आपको दुनिया से रूबरू कराती हैं। और इतना तो आप जानते ही होंगे कि आंखें आपके शरीर का सबसे संवेदनशील अंग होती हैं। लेकिन, क्‍या आप उन्‍हें जरूरी आराम देते हैं। घंटों आपकी नजरें कंप्‍यूटर पर गढ़ी रहती हैं। इससे आपकी आंखें थक जाती हैं। आंखों का मेकअप भी उन पर बुरा असर डालता है, इसके साथ ही इससे सिरदर्द, सूजी व रूखी आंखें और डार्क सर्कल जैसी परेशानियां हो सकती हैा। कुछ मामलों में मेकअप के कारण दृष्‍टि‍ पर भी बुरा असर पड़ता है। ऐसे में त्रिफला चूर्ण आपके काफी काम आ सकता है। यह आयुर्वेदिक उपचार आपकी आंखों को कई संभावित समस्‍याओं से बचाने में मददगार हो सकता है।

यह क्‍या है ?eyes-633x319

अगर आप अपनी आंखों को अच्‍छी तरह धोते  हैं, तो इससे उनकी सेहत पर अच्‍छा असर पड़ा है। इससे आपकी आंखें ताजा महसूस करती हैं। उनकी थकान और रूखापन दूर होता है। इसके साथ ही आंखों के आसपास की छोटी मांसपेशियों की मसाज करने से भी आंखों को आराम मिलता है। खासतौर पर जब आप घंटों कंप्‍यूटर पर काम करते हैं।

त्रिफला का कमाल

आयुर्वेद के मुताबिक त्रिफला में कई स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक गुण होते हैं। यह पाचन क्रिया के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। इसके सेवन को भी आंखों के लिए लाभकारी माना जाता है। अगर आप आंखें धोने के लिए त्रिफला का इस्‍तेमाल करते हैं, तो इससे भी आपकी आंखों को बहुत फायदा होगा। त्रिफला तीन हर्बल उत्‍पादों से मिलकर बनता है। इसमें आंवला, हरतकी और बिहितकी के चूर्ण से मिलकर बनता है। यह नेचुरल ब्‍लड प्‍यूरीफायर और आई टॉनिक है। यह आंखों के आसपास की मांसपेशियों को अच्‍छी तरह काम करने में मदद करता है। पूरे शरीर के लिए भी इसके कई लाभ हैं।

पहला कदम: त्रिफला जल बनायें

इसके लिए आपको पेय जल और त्रिफला पाउडर की जरूरत होगी। दो गिलास पानी में दो चम्‍मच त्रिफला पाउडर मिलायें और इसे आठ घंटे के लिए ऐसी ही छोड़ दें। बेहतर होगा अगर आप इसे रात भर ऐसा ही रहने दें। अगली सुबह इस मिश्रण को करीब दस मिनट तक उबालें। और फिर इस मिश्रण को पूरी तरह ठंडा होने के लिए छोड़ दें। आप चाहें तो इसे ठंडा करने के लिए फ्रिज में भी रख सकते हैं।

दूसरा कदम – अपना चेहरा और आंखें धोयें

जब यह मिश्रण ठंडा हो जाए तो इसे एक कटोरी में छान लें। अब इस ठंडे पानी से अपना चेहरा और आंखें धोयें। याद रखें चेहरा धोते समय आपको साबुन लगाने की जरूरत नहीं है। इसके बाद दोनों हाथों में थोड़ा त्रिफला जल लें। और अपने दोनों हाथों को अपनी दोनों आंखों पर रख दें। अपनी आंखें खुली रखें ताकि वे त्रिफला जल में डूब जाएं। अपनी पलकें झपकाकर इस पानी को फेंक दें। इस प्रक्रिया को तीन बार दोहरायें। इसके बाद अपने चेहरे और आंखों को तौलिये से सुखा लें।

eye-633x319तीसरा कदम- अपनी आंखों को दें आराम

इस कदम में आपको खीरे के दो टुकड़ों, गुलाब या तुलसी कुछ पत्तियों की जरूरत होगी। ये सब ठंडी होनी चाहिये ताकि इससे आंखों को आराम मिल सके। शवासन में लेट जाइये और आंखें बंद करके इनमे से कुछ भी अपनी आंखों पर रखिेये। इसके बाद गुलाब जल में रूई के फोहे को डुबोकर उसे इसके ऊपर रखें। आप चाहें तो इसके ऊपर एक कोमल मखमल का टुकड़ा भी बांध सकते हैं।

चौथा कदम- आंखों का व्‍यायाम

जब आप शवासन में लेटे हों तो किसी खूबसूरत चीज के बारे में विचार करें। अगर आप ऐसा न कर पा रहे हों, तो ध्‍यान अपनी सांसों की ओर लगाने का प्रयास करें। इसके बाद धीरे-धीरे अपनी आंखों को घड़ी की दिशा में और उसकी विपरीत दिशा में घुमायें। इसके बाद आंखों को संख्‍या आठ की मुद्रा में घुमायें। इसके बाद पहले अपने पैरों और फिर अपनी आंखों को देखने का प्रयास करें। इसके बाद दायें-बायें देखें। कुछ समय तक इसी पोजीशन में रहें। इस पूरे चक्र को पांच बार दोहरायें।

पांचवां कदम- आराम करें

आंखों के व्‍यायाम के बाद, थोड़ी देर आराम करें। अपने दिमाग को शांत करें और अच्‍छी बातों के बारे में सोचें। बीस मिनट तक शवासन में रहें और फिर धीरे-धीरे अपने पंजों और फिर शरीर के ऊपरी भाग को हिलायें। अपनी हथेलियों को आपस में मलें और फिर इन्‍हें अपनी आंखों पर रखें। ढंकीं आंखों को ही खोलें ताकि आंखों को अचानक तेज रोशनी का सामना न करना पड़े।

टिप्‍स

  • इस क्रिया को दिन के आखिर में करें। इससे आपको शांत रहने में मदद मिलेगी।
  • अपनी आंखों पर गर्म या गुनगुना पानी न डालें।
  • आंखों पर पानी के छींटे न मारें इससे उन्‍हें नुकसान हो सकता है।
  • अगर आपकी आंखों में संक्रमण हे या फिर आपने हाल ही में आंखों का ऑपरेशन आदि करवाया है, तो इस पूरी प्रक्रिया को अपनाने से पहले अपने डॉक्‍टर से जरूर बात करें।

जलने पर कैसे करें देखभाल

  • जले हुए हिस्‍से पर पेस्‍ट लगाने से जलन कम होती है।burn-care-633x319
  • जले हुए हिस्‍से पर सबसे पहले ठंडा पानी डालना चाहिए।
  • जले हुए हिस्‍से पर रुई नहीं लगानी चाहिए।
  • ज्‍यादा परेशानी होने पर फौरन डॉक्‍टर के पास जाना चाहिए।
  • कभी लापरवाही तो कभी अनजाने में शरीर का कोई हिस्‍सा जल जाता है। जलने पर तुरंत अस्‍पताल नहीं जाया जा सकता। अगर जले हुए हिस्‍से तुरंत उपचार नहीं किया जाए तो वह आगे चलकर काफी नुकसान भी पहुंचा सकता है। इसलिए जले हुए भाग का इलाज तुरंत घरेलू नुस्‍खे अपनाकर करना चाहिए। आइए हम आपको बताते हैं कि जलने पर सबसे पहले क्‍या करें।

    जलने पर देखभाल

    • जलने पर सबसे पहले उस पर ठंडा पानी डालिए। अच्‍छा तो यह रहेगा कि जले हुए अंग पर नल को खुला छोड़ दें।
    • जलने पर जीवाणुरहित पट्टी लगाइए, पट्टी को हल्‍का-हल्‍का लगाइए जिसके कारण जली हुई त्‍वचा पर जलन न हो।
    • हल्‍दी का पानी जले हुए हिस्‍से पर लगाना चाहिए। इससे दर्द कम होता है और आराम मिलता है।
    • कच्‍चा आलू बारीक पीसकर लगाने से भी फायदा होता है।
    • तुलसी के पत्‍तों का रस जले हुए हिस्‍से पर लगाएं, इससे जले वाले भाग पर दाग होने की संभावना कम होती है।
    • शहद में त्रिफला चूर्ण मिलाकर लगाने से चकत्‍तों को आराम मिलता है।
    • तिल को पीस‍कर लगाइए, इससे जलन और दर्द नहीं होगा। तिल लगाने से जलने वाले हिस्‍से पर पडे दाग-धब्‍बे भी समाप्‍त होते हैं।
    • गाजर को पीसकर जले हुए हिस्‍से पर लगाने से आराम मिलता है।
    • जलने पर नारियल का तेल लगाएं। इससे जलन कम होगी और आराम मिलेगा।

    जलने पर क्‍या ना करेंtap-633x319

    • जलने पर जले हुए हिस्‍से पर बर्फ की सेंकाई मत कीजिए। जले हुए हिस्‍से पर बर्फ लगाने से फफोले पडने की ज्‍यादा संभावना होती है।
    • जले हुए जगह पर रूई मत लगाइए, क्‍योंकि रूई जले हुए हिस्‍से पर चिपक सकती है जिसके कारण जलन होती है।
    • जले हुए मरीज को एक साथ पानी मत दीजिए, बल्कि ओआरएस का घोल पिलाइए। क्‍योंकि जलने के बाद आदमी की आंत काम करना बंद कर देती है और पानी सांस नली में फंस सकता है जो कि जानलेवा हो सकता है।
    • जले हुए हिस्‍से पर मरहम या मलाई बिलकुल ही मत लगाइए। इससे इंफेक्‍शन हो सकता है।
    • कोशिश यह कीजिए कि जलने वाले हिस्‍से पर फफोले न पडें। क्‍योंकि फफोले पडने से संक्रमण होने का खतरा ज्‍यादा होता है।

    जलने के कारण 

    • जलन केवल आग से नहीं होती है बल्कि, गरम तेल, गरम पानी, किसी रसायन, गरम बरतन पकडने आदि के कारण होती है।
    • खाना पकाते वक्‍त महिलाएं अक्‍सर जल जाती हैं। कभी गरम दूध या फिर गरम तेल जलने का प्रमुख कारण होता है।
    • बच्‍चे अक्‍सर अपनी शैतानियों के कारण आग या फिर गरम पदार्थों की चपेट में आकर चल जाते हैं।

    जलने पर सबसे पहले यह देखना चाहिए कि कितना भाग जला हुआ है। उसी हिसाब से उसका उपचार करना चाहिए। अगर त्‍वचा कम जली है तो उसका प्राथमिक उपचार करना चाहिए अगर अधिक गहरा या ज्‍यादा जल गए हों तो तुरंत चिकित्‍सक से संपर्क करना चाहिए।

चर्म रोग से बचने के घरेलू उपाय

  • एक्जिमा, सोरायसिस आदि कई प्रकार का हो सकता है चर्म रोग।Home-remedies-for-psoriasis
  • बारिशों में अधिक परेशान कर सकते हैं त्‍वचा संबंधी रोग।
  • गेंदे का फूल त्‍वचा संबंधी रोगों में होता है बहुत लाभकारी।
  • कैमेमाइल का उपयोग त्‍वचा को जलन से देता है राहत।
  • चर्म रोग आपको कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं। बारिशों और गर्मी के मौसम में इस तरह की समस्याएं अधिक होती हैं। ऐसे में त्वचा का बचाव करना बहुत जरूरी होता है। नहीं तो चर्म रोग होने की संभावना ज्यादा होती है। आइए हम आपको चर्म रोग से बचने के कुछ घरेलू उपाय के बारे में जानकरी दे रहे हैं।

    चर्म रोग से बचने के घरेलू उपचार –

    गेंदा

    गेंदा गहरे पीले और नारंगी रंग का फूल होता है। यह त्‍वचा की समस्‍याओं का प्रभावशाली घरेलू उपाय है। यह छोटे-मोटे कट, जलने, मच्‍छर के काटने, रूखी त्‍वचा और एक्‍ने आदि के लिए शानदार घरेलू उपाय है। गेंदे में एंटी-बैक्‍टीरियल और एंटी-वायरल गुण होते हैं। यह सूजन को कम करने में भी मदद करता है। इसके साथ ही गेंदा जख्‍मों को जल्‍दी भरने में मदद करता है। यह हर प्रकार की त्‍वचा के लिए लाभकारी होता है। गेंदे की पत्तियों को पानी में उबालकर उससे दिन में दो-तीन बार चेहरा धोने से एक्‍ने की समस्‍या दूर होती है।

    कैमोमाइल/ बबूने का फूल

    कैमोमाइल का फूल त्‍वचा पर लगाने से जलन को शांत करता है और साथ ही अगर इसका सेवन किया जाए तो आंतरिक शांति प्रदान करता है। इसके साथ ही यह केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली पर भी सकारात्‍मक असर डालता है। यह एक्जिमा में भी काफी मददगार होता है। इसके फूलों से बनी हर्बल टी का दिन में तीन बार सेवन आपको काफी फायदा पहुंचाता है। इसके साथ ही एक्जिमा और सोरायसिस जैसी बीमारियों से उबरने में भी यह फूल काफी मदद करता है। एक साफ कपड़े को कैमोमाइल टी में डुबोकर उसे त्‍वचा के सं‍क्रमित हिस्‍से पर लगाने से काफी लाभ मिलता है। इस प्रक्रिया को पंद्रह-पंद्रह मिनट के लिए दिन में चार से छह बार करना चाहिए। कैमोमाइल कई अंडर-आई माश्‍चराइजर में भी प्रयोग होता है।  इससे डार्क सर्कल दूर होते हैं

    कमफ्रे

    इस फूल के पत्‍ते और जड़ें सदियों से त्‍वचा संबंधी रोगों को ठीक करने में इस्‍तेमाल की जाती रही हैं। यह कट, जलना और अन्‍य कई जख्‍मों में काफी लाभकारी होता है। इसमें मौजूद तत्‍वा तवचा द्वारा काफी तेजी से अवशोषित कर लिए जाते हैं। जिससे स्‍वस्‍थ कोशिकाओं का निर्माण होता है। इसमें त्‍वचा को आराम पहुंचाने वाले तत्‍व भी पाए जाते हैं। अगर त्‍वचा पर कहीं जख्‍म हो जाए तो कमफ्रे की जड़ों का पाउडर बनाकर उसे गर्म पानी में मिलाकर एक गाढ़ा पेस्‍ट बना लें। इसे एक साफ कपड़े पर फैला दें। अब इस कपड़े को जख्‍मों पर लगाने से चमत्‍कारी लाभ मिलता है। अगर आप इसे रात में बांधकर सो जाएं, तो सुबह तक आपको काफी आराम मिल जाता है। इसे कभी भी खाया नहीं जाना चाहिए, अन्‍यथा यह लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है। गहरे जख्‍मों पर भी इसका इस्‍तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे त्‍वचा की ऊपरी परत तो ठीक हो जाती है, लेकिन भीतरी कोशिकायें पूरी तरह ठीक नहीं हो पातीं।

    अलसी के बीज

    अलसी के बीजों में ओमेगा थ्री फैटी एसिड होता है जो हमारे इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत बनाने में मदद करता है। इसमें सूजन को कम करने वाले तत्‍व मौजूद होते हैं। यह स्किन डिस्‍ऑर्डर, जैसे एक्जिमा और सोरायसिस को भी ठीक करने में मदद गरता है। दिन में एक-दो चम्‍मच अलसी के बीजों के तेल का सेवन करना त्‍वचा के लिए काफी फायदेमंद होता है। बेहतर रहेगा कि इसका सेवन किसी अन्‍य आहार के साथ ही किया जाए।

    अन्‍य उपाय

    हल्दी, लाल चंदन, नीम की छाल, चिरायता, बहेडा, आंवला, हरेडा और अडूसे के पत्ते  को एक समान मात्रा में लीजिए। इन सभी सामानों को पानी में पूरी तरह से फूलने के लिए भिगो दीजिए। जब ये सारे सामान पूरी तरह से फूल जाएं तो पीसकर ढ़ीला पेस्ट बना लीजिए। अब इस पेस्ट से चार गुना अधिक मात्रा में तिल का तेल लीजिए।
    तिल के तेल से चार गुनी मात्रा में पानी लेकर सारे सामानों को एक बर्तन में मिला लीजिए। उसके बाद मिश्रण को मंद आंच पर तब तक गर्म करते रहिए जब तक सारा पानी भाप बनकर उड़ ना जाए। इस पेस्ट को पूरे शरीर में जहां-जहां खुजली हो रही हो वहां पर या फिर पूरे शरीर में लगाइए। इसके लगाते रहने से आपके त्वचा से चर्म रोग ठीक हो जाएगा।
    एग्जिमा, सोरियासिस, मस्सा, ल्यूकोर्डमा, स्केबीज या खुजली चर्म रोग के प्रकार हैं।किसी भी प्रकार का चर्म रोग जब तक ठीक नही हो जाता है, बहुत कष्टदायक होता है। जिसके कारण से आदमी मानसिक रूप से बीमार हो जाता है। चर्म रोग की समस्या होने पर आप चिकित्सक से सलाह ले सकते हैं।

गंजेपन से बचाव के घरेलू उपाय

  • गंजेपन या बालों के झड़ने के होते हैं कई अलग-अलग कारण। baldness1-633x319
  • बिगड़ा खान-पान और लाइफस्‍टाइल है गंजेपन का प्रमुख कारण।
  • गंजेपन के लिए उड़द की दाल भी होती है बहुत लाभदायक।
  • केले का गूदा नींबू के रस में मिलाकर लगाना होता है फायदेमंद।
  • गंजेपन से बचने और उससे छुटकारा पाने में घरेलू उपचार मददगार होते हैं। घरेलू नुस्‍खों को आजमाने से कुछ हद तक गंजेपन और गिरते बालों को रोका जा सकता है। झड़ते बालों को रोकने में घरेलू नुस्‍खे बहुत उपयोगी साबित होते हैं। वर्तमान में खान-पान और लाइफस्‍टाइल के कारण महिलाओं और पुरुषों में गंजापन आम समस्या बन गई है। गंजेपन को एलोपेसिया भी कहते हैं। जब असामान्य रूप से बहुत तेजी से बाल झड़ने लगते हैं और नये बाल उतनी तेजी से उग नहीं पाते या फिर बाल पतले और कमजोर हो जाते हैं उस स्थिति को गंजापन कहते हैं।गंजेपन या बालों के झड़ने के कई कारण हैं। बालों की जड़ों का कमजोर हो जाना, पिट्यूटरी ग्लैंड (पियूस ग्रंथि) में हार्मोन्स की कमी, पोषक तत्‍वों की कमी, चिंता, रूसी की अधिकता, अधिक गरम खाना, खाने में विटामिन, मिनरल्‍स, फाइबर आदि की कमी होना, लगातार सिर दर्द रहने से रक्त संचार में कमी, खाना सही तरीके से न पचना, आदि के कारण गंजेपन की समस्‍या होती है।

    गंजेपन से बचने के लिए घरेलू नुस्‍खे

    मेथी

    मेथी को पूरी रात भिगो दीजिए फिर सुबह उसे गाढ़ी दही में मिला कर अपने बालों और जड़ो में लगाइए। बालों को धो लें, इससे रूसी और सिर की त्वचा के विकार समाप्‍त होंगे। मेथी में निकोटिनिक एसिड और प्रोटीन पाया जाता है जो बालों की जड़ो को पोषण पहुंचाता है और बालों की ग्रोथ भी बढ़ाता है।

    उड़द की दाल

    गंजेपन के लिए उड़द की दाल भी बहुत जरूरी है। उड़द की दाल को उबाल कर पीस लीजिए, रात को सोने से पहले इस लेप को सिर पर लगाइए। कुछ दिनों तक करते रहने बाल उगने लगते हैं और गंजापन समाप्त हो जाता है।

    baldness-633x319मुलेठी के द्वारा

    थोड़ी सी मुलेठी लेकर दूध की कुछ बूंदे डालकर उसे पीस लीजिए, फिर उसमें चुटकी भर केसर डालकर उसका पेस्ट बनाइए। इस पेस्‍ट को रात में सोने से पहले सिर पर लगाइए। कुछ दिनों तक इस पेस्‍ट को सिर पर लगाने से गंजेपन की समस्या दूर होती है।

    हरे धनिया से

    गंजापन दूर करने के लिए घरेलू उपचार के तौर पर हरा धनिया बहुत फायदेमंद है। हरे धनिये का पेस्‍ट बनाकर जिस स्‍थान के बाल उड़ गये हैं वहा लगाइए। कुछ दिनों तक लगाने से बाल उगने लगते हैं।

    केला से

    केले का गूदा निकालकर उसे नींबू के रस में मिलाकर सिर पर लगाने से बालों के झड़ने की समस्‍या कम होती है और बाल फिर से उगने लगते हैं।

    प्याज

    प्याज को काटकर उसके दो हिस्‍से कर लीजिए। जिस जगह के बाल झड़ गये हो वहां पर आधे प्‍याज को 5 मिनट तक रोज रगडें। बाल झड़ना बंद होगा ही साथ ही साथ बाल फिर से उगने लगेंगे।

    अनार

    अनार की पत्‍ती पीसकर सिर पर लगाने से गंजेपन का निवारण होता है। नियमित अनार का प्रयोग करने से बाल उगने लगते हैं।

    गंजेपन को दूर करने का सबसे महत्‍वपूर्ण तरीका है खानपान में सुधार। खाने जरूरी सभी पोषक तत्‍वों को शामिल करके बालों की समस्‍या से छुटकारा मिल सकता है। खाने में मटर,गाजर, चिकोरी, ककड़ी और पालक शामिल कीजिए।

डायरिया के घरेलू नुस्‍खे

  • दिन में पांच या अधिक बार पतला शौच हो सकता डायरिया का लक्षण।
  • सही समय पर इलाज न करवा पाने के कारण जान पर हो सकता है खतरा।
  • ओआरएस का घोल है डा‍यरिया को दूर करने का सबसे प्रभावशाली उपाय।
  • डायरिया के दौरान दूध और दुग्‍ध उत्‍पादों का सेवन हो सकता है खतरनाक।
  • जब आदमी बार-बार मल त्‍याग करे या पतला मल निकले या दोनों ही स्थितियां हो तो उसे डायरिया या अतिसार कहते हैं। दिन में 5 या उससे ज्यादा बार मल त्याग करने पर स्थिति चिंताजनक होती है।

    home remedies for stomach acheडायरिया आमतौर पर अगर एक हफ्ते में ठीक नहीं होता है तो क्रॉनिक डायरिया कहलाता है। डायरिया की स्थिति देर तक बने रहने पर आदमी बेहोश हो जाता है और समय से इलाज न होने पर मृत्यु तक हो सकती है।

    डायरिया या अतिसार

    पतले दस्त जिसमें जल की मात्रा ज्यादा होती है थोडे-थोडे समय के अंतराल पर आता है। खाने में बरती गई असावधानी इसका प्रमुख कारण होता है। डायरिया के तीव्र प्रकोप से पेट के निचले हिस्से में पीडा या बेचैनी प्रतीत होती है। पेट मरोडना, उल्टी आना, बुखार होना, कमजोरी महसूस करना डायरिया के लक्षण हैं। डायरिया देर तक रहने पर आदमी को कमजोरी और निर्जलीकरण की समस्या पैदा हो जाती है।

    डायरिया से बचाव के नुस्खे

    नमक और पानी का घोल

    डायरिया होने पर 1 से 2 घंटे के अंतराल पर कम से कम 1 लीटर से ज्यादा पानी पीना चाहिए। पानी का सेवन करने से निर्जलीकरण नहीं होगा। नमक के छोटे-छोटे टुकडे चूसकर खाएं। नमक और पानी का घोल बनाकर प्रयोग करें।

    अदरक वाली चाय

    अदरक का सेवन करने से डायरिया में राहत मिलती है। अदरक की चाय पीने से पेट की पीडा कम होती है। अदरक का रस, नीबूं का रस और काली मिर्च का पाउडर पानी में मिलाकर पीने से राहत मिलती है।

    केला और सेब

    केला व सेब का मुरब्बा और टोस्ट का मिश्रण जिसे ब्रॉट कहते हैं, इसके इस्तेमाल से भी डायरिया में राहत मिलती है। केला आंतों की गति को नियंत्रण करने में और दस्त  को बांधने में सहायता करता है। सेब और केले में मौजूद पेक्टिन दस्त की मात्रा कम करके डायरिया में फायदा देता है।

    चावल

    डायरिया के उपचार में चावल बहुत कारगर होता है। चावल आंतों की गति को कम करके दस्त को बांधता है।

    भोजन बंद न करें

    डायरिया होने पर भोजन बिलकुल बंद न करें। केला, चावल, सेवफल का गूदा, मुरब्बा या सॉस जिसे ब्रॉट कहते हैं, इन सबका प्रयोग खाने में करें। ब्रॉट न केवल डायरिया पर नियंत्रण करता है बल्कि गैस्टोएंटराइटिस जैसी समस्याओं के लिए भी  भी प्रभावशाली नुस्खा है। डायरिया में पर्याप्त मात्रा में पोषक और तरल पदार्थ लेना चाहिए। डायरिया से निजात पाने के 48 घंटे तक मसालेदार खाना, फल और एलकोहल का प्रयोग न करें।

    दूध का प्रयोग बंद करें

    डायरिया होने पर दूध और उससे बनी हुई चीजों का प्रयोग बंद करें। दूध या उससे से बने प्रोडक्ट आसानी से पच नहीं पाते हैं।

कमर दर्द भगाने के उपाय

  • जीवनशैली है कमर दर्द की बड़ी वजह।back-pain-300x450
  • व्‍यायाम से पाया जा सकता है इस पर काबू।
  • योग को अपने जीवन का हिस्‍सा बनायें।
  • अपने वजन को काबू में रखकर पायें राहत
  • कमर दर्द की यह समस्या आजकल आम हो गई है। सिर्फ बड़ी उम्र के लोग ही नहीं बल्कि युवा भी कमर दर्द की शिकायत करते रहते हैं। कमर दर्द की मुख्य वजह बेतरतीब जीवनशैली और शारीरिक श्रम न करना है।अधिकतर लोगों को कमर के मध्य या निचले भाग में दर्द महसूस होता है। यह दर्द कमर के दोनों और तथा कूल्हों तक भी फ़ैल सकता है। बढ़ती उम्र के साथ कमर दर्द की समस्या बढ़ती जाती है। नतीजा काम करने में परेशानी । कुछ आदतों को बदलकर इससे काफी हद तक बचा जा सकता है। आज हम आप को बताते हैं कि किन घरेलू नुस्खों को अपनाकर आप कमर दर्द से निजात पा सकते हैं।

    क्‍यों होता है कमर दर्द

    •  मांसपेशियों पर अत्यधिक तनाव।
    • अधिक वजन।
    • गलत तरीके से बैठना।
    • हमेशा ऊंची एड़ी के जूते या सेंडिल पहनना।
    • गलत तरीके से अधिक वजन उठाना।
    • शरीर में लम्बे समय से बीमारियों का होना।
    • अधिक नर्म गद्दों पर सोना।

    कमर दर्द से बचने के घरेलू उपाय

    1. रोज सुबह सरसों या नारियल के तेल में लहसुन की तीन-चार कलियॉ डालकर (जब तक लहसुन की कलियां काली न हो जायें) गर्म कर लें। ठंडा होने पर इस तेल से कमर की मालिश करें।

    2. नमक मिले गरम पानी में एक तौलिया डालकर निचोड़ लें। इसके बाद पेट के बल लेट जाएं। दर्द के स्थान पर तौलिये से भाप लें। कमर दर्द से राहत पहुंचाने का यह एक अचूक उपाय है।

    3. कढ़ाई में दो-तीन चम्मच नमक डालकर इसे अच्छे से सेक लें। इस नमक को थोड़े मोटे सूती कपड़े में बांधकर पोटली बना लें। कमर पर इस पोटली से सेक करने से भी दर्द से आराम मिलता है।

    4. अजवाइन को तवे के पर थोड़ी धीमी आंच पर सेंक लें। ठंडा होने पर धीरे-धीरे चबाते हुए निगल जाएं। इसके नियमित सेवन से कमर दर्द में लाभ मिलता है।

    5. अधिक देर तक एक ही पोजीशन में बैठकर काम न करें। हर चालीस मिनट में अपनी कुर्सी से उठकर थोड़ी देर टहल लें।

    6. नर्म गद्देदार सीटों से परहेज करना चाहिए। कमर दर्द के रोगियों को थोड़ा सख्ते बिस्तर बिछाकर सोना चाहिए।

    7. योग भी कमर दर्द में लाभ पहुंचाता है। भुन्ज्गासन, शलभासन, हलासन, उत्तानपादासन, श्वसन आदि कुछ ऐसे योगासन हैं जो की कमर दर्द में काफी लाभ पहुंचाते हैं। कमर दर्द के योगासनों को योगगुरु की देख रेख में ही करने चाहिए।

    8. कैल्शियम की कम मात्रा से भी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, इसलिए कैल्शियमयुक्त चीजों का सेवन करें।

    9. कमर दर्द के लिए व्यायाम भी करना चाहिए। सैर करना, तैरना या साइकिल चलाना सुरक्षित व्यायाम हैं। तैराकी जहां वजन तो कम करती है, वहीं यह कमर के लिए भी लाभकारी है। साइकिल चलाते समय कमर सीधी रखनी चाहिए। व्यायाम करने से मांसपेशियों को ताकत मिलेगी तथा वजन भी नहीं बढ़ेगा।

    10. कमर दर्द में भारी वजन उठाते समय या जमीन से किसी भी चीज को उठाते समय कमर के बल ना झुकें बल्कि पहले घुटने मोड़कर नीचे झुकें और जब हाथ नीचे वस्तु तक पहुंच जाए तो उसे उठाकर घुटने को सीधा करते हुए खड़े हो जाएं।

    11. कार चलाते वक्त सीट सख्त होनी चाहिए, बैठने का पोश्चर भी सही रखें और कार ड्राइव करते समय सीट बेल्ट टाइट कर लें।
    12. ऑफिस में काम करते समय कभी भी पीठ के सहारे न बैठें। अपनी पीठ को कुर्सी पर इस तरह टिकाएं कि यह हमेशा सीधी रहे। गर्दन को सीधा रखने के लिए कुर्सी में पीछे की ओर मोटा तौलिया मोड़ कर लगाया जा सकता है।

होठों की समस्‍याओं को दूर करने के लिए

  • जैतून का तेल और वैसलीन मिलाकर तीन या चार बार लगाने से होगा फायदा। Home-Remedies-for-sore-lips
  • होठों में दरारें होने पर थोड़ा सा शहद लेकर उंगली से आराम-आराम से मलें।
  • दो बड़े चम्मच कोकोआ बटर, आधा छोटा चम्मच मधु वैक्स होठों पर लगाइए।
  • फटे होठों के लिए दही व मक्खन में केसर मिलाकर होठों पर आराम से मलिए। 
  • चेहरे की खूबसूरती में चार चांद लगाने में सुंदर होठों का बहुत योगदान होता है। गर्मी हो या सर्दी हर मौसम में होंठों को कोई न कोई समस्यां बनी ही रहती हैं। बढ़ता प्रदूषण भी होठ फटने का एक कारण है। आइये हम बताते हैं आपको होठों के लिए कुथ कारगर घरेलू उपचार।
    होठों के लिए घरेलू उपचार
    चेहरे की खूबसूरती मं चार चांद लगाने में सुंदर होठों का बहुत योगदान होता है। गर्मी हो या सर्दी हर मौसम में होठ फट ही जाते हैं। बढता प्रदूषण भी होठ फटने का कारण है। खासकर महिलाएं अपने होठों को खूबसूरत बनाने के‍ लिए कई प्रकार के लिपस्टिक का प्रयोग करती हैं, जिसके कारण होठों की प्राकृतिक सुंदरता समाप्त‍ हो जाती है और होठ या तो काले पडने लगते हैं या फिर फट जाते हैं। आइए हम आपको होठों का कालापन हटाने के कुछ घरेलू नुस्खे बताते हैं।
    होठों के लिए घरेलू उपचार –
     यदि होंठ पूरी तरह से फट चुके हैं तो जैतून का तेल और वैसलीन मिलाकर दिन में तीन या चार बार फटे होठों पर लगाने से फायदा होता है। इनका लेप होठों पर 4-5 दिन लगातार लगाने से होठों की दरारें भी भरने लगती हैं।
     होठों में दरारें होने पर थोड़ा-सा शहद लेकर होंठों पर उंगली से आराम-आराम से मलें। कुछ ही दिनों तक ऐसा करने से होंठ पहले की तरह चमकदार और मुलायम हो जाएंगे।
     दो बड़े चम्मच कोकोआ बटर, आधा छोटा चम्मच मधु वैक्स लीजिए। उबलते पानी पर एक बर्तन में वैक्स डालकर पिघला दीजिए। इसमें कोकोआ बटर मिलाएँ। अब इस मिश्रण को ठंडा होने के बाद ब्रश की मदद से होठों पर लगाइए। इससे होठ मुलायम होंगे।
     होठों पर पपडी जम जाने से रोग हो सकता है। इससे निजात पाने के लिए एक छोटा चम्मच मेंहदी की जड, करीबी 60 ग्राम बादाम का तेल, 15 ग्राम बीज वैक्स लीजिए। मेंहदी के जड को कूटकर दस दिन तक बादाम के तेल में भिगोइए। इसके बाद तेल को अच्छे से छानकर गरम पानी में रखकर पिघलाइए। उसके बाद इस घोले को अच्छे से फेंट कर लिप ब्रश से होठों पर लगाइए। ऐसा करने से होठों की पपडी समाप्त हो जाती है।
     होठों से रूखापन हटाने के लिए थोडी सी मलाई में चुटकी भर हल्दी‍ डालकर धीरे-धीरे होठों पर मालिश कीजिए। इससे होंठ नहीं फटेंगे और मुलायम रहेगें।
     रात में सोते वक्त हल्कें गुनगुने सरसों के तेल को नाभि पर लगाइए। इससे होठों की सुदंरता बरकार रहेगी।
     होठों के कालेपन को दूर करने के लिए गुलाब की पंखुडिय़ों को पीसकर उसमें थोड़ी सी ग्लिसरीन मिलाकर इस घोल को हर रोज अपने होठों पर लगाएं। इससे होठों का कालापन दूर होगा और होंठ गुलाबी होंगे।
     फटे होठों के लिए दही व मक्खन में केसर मिलाकर होठों पर आराम से मलिए। ऐसा करने से होठ गुलाबी बने रहेगें।
     चुकंदर को काटकर उससे टुकड़े को होंठों पर लगाने से होंठ गुलाबी व चमकदार बनते हैं।
     होठों पर नारियल का तेल लगाकर रखने से होंठ कोमल होते हैं।

    विशेषकर महिलाएं अपने होठों को खूबसूरत बनाने के लिए कई प्रकार के लिपस्टिक का प्रयोग करती हैं, जिसके कारण होठों की प्राकृतिक सुंदरता समाप्त‍ हो जाती है और होठ या तो काले पडने लगते हैं या फिर फट जाते हैं। आइए हम आपको होठों का कालापन हटाने के कुछ घरेलू नुस्खे बताते हैं।

    होठों के लिए घरेलू उपचार


    • यदि होंठ पूरी तरह से फट चुके हैं तो जैतून का तेल और वैसलीन मिलाकर दिन में तीन या चार बार फटे होठों पर लगाने से फायदा होता है। इनका लेप होठों पर 4-5 दिन लगातार लगाने से होठों की दरारें भी भरने लगती हैं।
    • होठों में दरारें होने पर थोड़ा-सा शहद लेकर होंठों पर उंगली से आराम-आराम से मलें। कुछ ही दिनों तक ऐसा करने से होंठ पहले की तरह चमकदार और मुलायम हो जाएंगे।
    • दो बड़े चम्मच कोकोआ बटर, आधा छोटा चम्मच मधु वैक्स लीजिए। उबलते पानी पर एक बर्तन में वैक्स डालकर पिघला दीजिए। इसमें कोकोआ बटर मिलाएं। अब इस मिश्रण को ठंडा होने के बाद ब्रश की मदद से होठों पर लगाइए। इससे होठ मुलायम होंगे।
    • होठों पर पपडी जम जाने से रोग हो सकता है। इससे निजात पाने के लिए एक छोटा चम्मच मेंहदी की जड, करीबी 60 ग्राम बादाम का तेल, 15 ग्राम बीज वैक्स लीजिए। मेंहदी के जड को कूटकर दस दिन तक बादाम के तेल में भिगोइए। इसके बाद तेल को अच्छे से छानकर गरम पानी में रखकर पिघलाइए। उसके बाद इस घोले को अच्छे से फेंट कर लिप ब्रश से होठों पर लगाइए। ऐसा करने से होठों की पपडी समाप्त हो जाती है।
    • होठों से रूखापन हटाने के लिए थोडी सी मलाई में चुटकी भर हल्दी डालकर धीरे-धीरे होठों पर मालिश कीजिए। इससे होंठ नहीं फटेंगे और मुलायम रहेगें।
    • रात में सोते वक्त हल्कें गुनगुने सरसों के तेल को नाभि पर लगाइए। इससे होठों की सुदंरता बरकार रहेगी।
    • होठों के कालेपन को दूर करने के लिए गुलाब की पंखुडिय़ों को पीसकर उसमें थोड़ी सी ग्लिसरीन मिलाकर इस घोल को हर रोज अपने होठों पर लगाएं। इससे होठों का कालापन दूर होगा और होंठ गुलाबी होंगे।
    • फटे होठों के लिए दही व मक्खन में केसर मिलाकर होठों पर आराम से मलिए। ऐसा करने से होठ गुलाबी बने रहेगें।
    • चुकंदर को काटकर उससे टुकड़े को होंठों पर लगाने से होंठ गुलाबी व चमकदार बनते हैं।
    • होठों पर नारियल का तेल लगाने से होंठ कोमल होते हैं, फटे होठों पर भी नारियल का तेल लगाने से आराम मिलता है।