एलर्जी

ऐसे बचें एलर्जी से-

सर्दियों में आम तौर पर लोगों में एलर्जी के मामले कुछ ज्यादा ही सामने आते हैं। एलर्जी वातावरण में मौजूद तत्वों व पदार्थो के द्वारा शरीर के रोग प्रतिरोधक तंत्र की प्रतिक्त्रिया से पैदा होने वाला रोग है, जिसे नियंत्रित कर सकते हैं

1.___ मौजूदा मौसम में एलर्जी, नाक व साइनस और फेफड़ों को कहीं ज्यादा प्रभावित करती है। इसलिए जहा तक संभव हो, ठंड से बचने के लिए पर्याप्त ऊनी कपड़े पहनें। ऊनी वस्त्र पहनकर ही कमरे या घर से बाहर निकलें।

2.___ एलर्जी में लगातार छींकें आना, नाक में खुजली होना और पानी आना, नाक बंद रहना, सिरदर्द, खासी आना या सास का फूलना आदि लक्षण प्रकट हो सकते हैं।

3.___ एलर्जी से संबंधित तमाम मामलों का कारण धूल, प्रदूषण और विभिन्न पौधों के फूलों से उत्पन्न पराग कण हैं। वातावरण में मौजूद फंगल व महक वाले पदार्थो जैसे कास्मेटिक्स, पेंट्स, और परफ्यूम्स आदि भी अनेक लोगों में एलर्जी का कारण बन सकते हैं।

4.____ एलर्जी की जानकारी के लिये इनविट्रो टेस्ट कराया जाता है।

5.___ एलर्जी से पीड़ित व्यक्ति इस बात का निरीक्षण करें कि उन्हें जिन वस्तुओं से एलर्जी हो, उनसे बचाव करना चाहिए। एलर्जी के इलाज में दवाओं के अलावा नाक में डालने वाले स्प्रे का भी इस्तेमाल किया जाता है!

जीवन उपयोगी कुंजियां

त्रिफला चूर्ण

लाभ – आँखों की सुजन, लालिमा, दृष्टिमांद्य, कब्ज, मधुमेह, मूत्ररोग, त्वचा-विकार, जीर्णज्वर व पीलिया में लाभदायक |

शंखपुष्पी सिरप

लाभ – चक्कर आना, थकावट अनुभव करना, मानसिक तनाव, सहनशक्ति का अभाव, चिडचिडापन, निद्रल्पता, मन की अशांति तथा उच्च रक्तचाप आदि रोगों में लाभप्रद स्मरणशक्ति बढाने हेतु एक दिव्य औषधि |

वसंत ऋतु में बीमारियों से सुरक्षा

वसंत ऋतू में सर्दी-खाँसी, गले की तकलीफ, दमा, बुखार, पाचन की गडबडी, मंदाग्नि, उलटी-दस्त आदि बीमारियाँ अधिकांशत: देखने को मिलती हैं | नीचे कुछ सरल घरेलू उपाय दिये जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आसानी से इन रोगों से छुटकारा पाया जा सकता हैं |

मंदाग्नि :
10 – 10 ग्राम सौंठ, कालीमिर्च, पीपर व सेंधा नमक  सभी को कूटकर चूर्ण बना लें | इसमें 400 ग्राम काली द्राक्ष (बीज निकाली हुई) मिलायें और चटनी की तरह पीस के काँच के बर्तन में भरकर रख दें | लगभग 5 ग्राम सुवह-शाम खाने से भूख खुलकर लगती है |

कफ, खाँसी और दमा :
4 चम्मच अडूसे के पत्तों के ताजे रस में 1 चम्मच शहद मिलाकर दिन में 2 बार खाली पेट लें | (रस के स्थान पर अडूसा अर्क समभाग पानी मिलाकर उपयोग कर सकते हैं |) खाँसी, दमा, क्षयरोग आदि कफजन्य तकलीफों में यह उपयोगी है | इनमें गोझरण वटी भी अत्यंत उपयोगी हैं |  गोझरण वटी की 2 से ४ गोलियाँ दिन में 2 बार पानी के साथ लेने से कफ का शमन होता हैं तथा कफ व वायुजन्य तकलीफों में लाभ होता हैं |

दस्त :
इसबगोल में दही मिलाकर लेने से लाभ होता है | अथवा मूँग की दाल की खिचड़ी में देशी घी अच्छी मात्रा में डालकर खाने से पानी जैसे पतले दस्त में फायदा होता है |

दमे का दौरा :
अ] साँस फूलने पर २० मि.ली.तिल का तेल गुनगुना करके पीने से तुरंत राहत मिलती हैं |

आ] सरसों के तेल में थोडा-सा कपूर मिलाकर पीठ पर मालिश करें | इससे बलगम पिघलकर बाहर आ जायेगा और साँस लेने में आसानी होती है |

इ] उबलते हुए पानी में अजवायन डालकर भाप सुंघाने से श्वास-नलियाँ खुलती हैं और राहत मिलती है |

मंडूकासन
इस आसन में शरीर मंडूक (मेढ़क) जैसा दिखता है | अत: इसे मंडूकासन कहते हैं |

लाभ : १] प्राण और अपान की एकता होती है | वायु-विकारवालों के लिए यह आसन रामबाण के समान है | यह आसन ऊर्ध्व वायु और अधोवायु का निष्कासन करता है |

२] पेट के अधिकांश रोगों में लाभप्रद है व तोंद कम होती है | अतिरिक्त चरबी दूर होती है |

३] मधुमेह में विशेष लाभ होता है |

४] रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है |

५] पंजों को बल मिलता हैं और उछलने की क्षमता बढती है |

६] शरीर में हलकापन व आराम महसूस होता है |

७] जोड़ों व घुटनों के दर्द में राहत होती है |

विशेष : जो सामान्य (13 से 15 प्रति मिनट) से ज्यादा श्वास लेते हों, उनको यह आसन अवश्य करना चाहिये |

विधि : दोनों पैरों को पीछे की तरफ मोडकर (वज्रासन में ) बोथे | घुटनों को आपस में मिलाएं | हथेलियों को एक के ऊपर एक रखकर नाभि पर इसप्रकार रखें कि दायें हाथ की हथेली ठीक नाभि पर आये | फिर श्वास छोड़ते हुए शरीर को आगे की और झुकाये और सीने को घुटनों से लगाये | सिर उठाकर दृष्टि सामने रखें | 4 – 5 सेंकड इसी स्थिति में रुकें, फिर श्वास भरते हुए वज्रासन की स्थिति में आए | 3 – 4 बार यह प्रक्रिया दोहराये |

पुष्टिवर्धक प्रयोग
छोटे बच्चे और गर्भवती माताएँ १५ से २५ ग्राम भुनी हुई मूँगफली पुराने गुड के साथ खायें तो उन्हें बहुत पुष्टि मिलती हैं | जिन माताओं का दूध पर्याप्त मात्रा में न उतरता हो, उनके लिए भी इनका सेवन लाभप्रद है |

अनेक रोगों की एक दवा –

कंद-सब्जियों में श्रेष्ठ -सूरन
सूरन (जमीकंद)पचने में हलका,कफ एवं वात शामक, रुचिवर्धक, शूलहर, मासिक धर्म बढानेवाला व बलवर्धक हैं | सफेद सूरन अरुचि, मंदाग्नि, कब्ज, पेटदर्द, वायुगोला, आमवात तथा यकृत व् प्लीहा के मरीजों के लिए एवं कृमि, खाँसी व् श्वास की तकलीफवालों के लिए उपयोगी हैं | सूरन पोषक रसों के अवशोषण में मदद करके शरीर में शक्ति उत्पन्न करता हैं | बेचैनी, अपच, गैस, खट्टी डकारे, हाथ-पैरों का दर्द आदि में तथा शरीरिक रुप से कमजोर व्यक्तियों के लिए सूरन लाभदायी हैं |

सूरन की लाल व सफेद इन दो प्रजातियों में से सफेद प्रजाति का उपयोग सब्जी के रूप में विशेष तौर पर किया जाता हैं |

बवासीर में रामबाण औषधि

  • सूरन के टुकड़ों को पहले उबाल लें और फिर सुखाकर उनका चूर्ण बना लें | यह चूर्ण ३२० ग्राम, चित्रक १६० ग्राम, सौंठ ४० ग्राम, काली मिर्च २० ग्राम एवं गुड १ किला – इन सबको मिलाकर देशी बेर जैसी छोटी-छोटी गोलियाँ बना लें | इसे ‘सूरन वटक’ कहते हैं | प्रतिदिन सुबह-शाम ३ – ३ गोलियाँ खाने से बवासीर में खूब लाभ होता हैं |
  • सूरन के टुकड़ों को भाप में पका लें और टिल के तेल में सब्जी बनाकर खायें एवं ऊपर से छाछ पियें | इससे सभीप्रकार की बवासीर में लाभ होता हैं | यह प्रयोग ३० दिन तक करें | खूनी बवासीर में सूरन की सब्जी के साथ इमली की पत्तियाँ एवं चावल खाने से लाभ होता हैं |

सावधानी – त्वचा-विकार, ह्रदयरोग, रक्तस्त्राव एवं कोढ़ के रोगियों को सूरन का सेवन नही करना चाहिए | अत्यंत कमजोर व्यक्ति के लिए उबाला हुआ सूरन पथ्य होने पर भी इसका ज्यादा मात्रा से निरंतर सेवन हानि करता हैं | सूरन के उपयोग से यदि मुँह आना, कंठदाह या खुजली जैसा हो तो नींबू अथवा इमली का सेवन करें |

गर्मी में पुदीना के इस्तेमाल से फायदे

पुदीना गर्मियों में विशेष उपयोगी एक सुगंधित औषध है | यह रुचिकर, पचने में हलका, तीक्ष्ण, ह्रदय-उत्तेजक, विकृत कफ हो बाहर लानेवाला, गर्भाशय-संकोचक बी चित्त को प्रसन्न करनेवाला हैं | पुदीने के सेवन से भूख खुलकर लगती है और वायु का शमन होता हैं | यह पेट के विकारों में विशेष लाभकारी है | श्वास, मुत्राल्पता तथा त्वचा के रोगों में भी यह उपयुक्त हैं |

औषधि प्रयोग

१] पेट के रोग : अपच, अजीर्ण, अरुचि, मंदाग्नि, अफरा, पेचिश, पेट में मरोड़, अतिसार, उलटियाँ, खट्टी डकारें आदि में पुदीने के रस में जीरे का चूर्ण व आधे नींबू का रस मिलाकर पीने से लाभ होता है |

२] मासिक धर्म : पुदीने को उबालकर पीने से मासिक धर्म की पीड़ा तथा अल्प मासिक स्राव में लाभ होता हैं | अधिक मासिक स्त्राव में यह प्रयोग न करें |

३] गर्मियों में : गर्मी के कारण व्याकुलता बढने पर एक गिलास ठंडे पानी में पुदीने का रस तथा मिश्री मिलाकर पीने से शीतलता आती है |

४] पाचक चटनी : ताजा पुदीना, काली मिर्च, अदरक, सेंधा नमक, काली द्राक्ष और जीरा – इन सबकी चटनी बनाकर उसमें नींबू का रस निचोड़कर खाने ने रूचि उत्पन्न होती है, वायु दूर होकर पाचनशक्ति तेज होती है | पेट के अन्य रोगों में भी लाभकारी है |

५] उलटी-दस्त, हैजा : पुदीने के रस में नींबू का रस, अदरक का रस एवं शहद मिलाकर पिलाने से लाभ होता है |

६] सिरदर्द : पुदीना पीसकर ललाट पर लेप करें तथा पुदीने का शरबत पियें |

७] ज्वर आदि : गर्मी में जुकाम, खाँसी व् ज्वर होने पर पुदीना उबाल के पीने से लाभ होता हैं |

८] नकसीर : नाक में पुदीने के रस की ३ बूँद डालने से रक्तस्त्राव बंद हो जाता हैं |

९] मूत्र-अवरोध : पुदीने के पत्ते और मिश्री पीसकर १ गिलास ठंडे पानी में मिलाकर पियें |

१०] गर्मी की फुंसियाँ : समान मात्रा में सूखा पुदीना एंव मिश्री पीसकर रख लें | रोज प्रात: आधा गिलास पानी में ४ चम्मच मिलाकर पियें |

११] हिचकी :पुदीने या नींबू के रस-सेवन से राहत मिलती हैं |

मात्रा : रस -५ से २०० मि.ली.| अर्क – १० से २० मि.ली. (उपरोक्त प्रयोगों में पुदीना रस की जगह अर्क का भी उपयोग किया जा सकता है ) | पत्तों का चूर्ण – २ से ४ ग्राम (चूर्ण बनाने के लिए पत्तों का छाया में सुखाना चाहिये ) |

सिद्धियां प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल करें ये जड़ी-बूटियां

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यह देखा गया है कि बहुत से साधु शारीरिक और मानसिक हलचल को रोककर लगाने के लिए तरह-तरह की औषधि और जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करते हैं। यह भी देखा गया है कि कुछ कथित साधु इसके लिए भांग, गांजा, चरस आदि नशे के पदार्थों का सेवन भी करते हैं, लेकिन धर्म में यह सब वर्जित माना गया है। आधुनिक युग में लोग संगीत का इस्तेमाल करते हैं।

हालांकि यह सच है कि ध्यान की सफलता के लिए साधु-संत जड़ी बूटियों का इस्तेमाल करते रहे हैं। यह ऐसी जड़ी-बूटियां हैं जिनके माध्यम से सिद्धियां भी प्राप्त की जा सकती है। सभी का इस्तेमाल मानसिक शांति और स्थिरता के लिए किया जाता रहा है। इन जड़ी-बूटियों से थकान, खबराहट, बैचेनी, मानसिक अशांति और शारीरिक रोग दूर हो जाते हैं।

आयुर्वेद के पुराने ग्रंथ चरक संहिता के अनुसार जड़ी बूटियों से हमारी याद करने की क्षमता और सीखने की क्षमता बढ़ती है जिससे ध्यान में भी मदद मिलती है।

इन जड़ी-बूटियों का उल्लेख योग, आयुर्वेद और ध्यान की किताबों में मिलता है। माना जाता रहा है कि सोमरस भी इसी के लिए इस्तेमाल किया जाता था। आप कोई भी जड़ी-बूटी चुन सकते हैं और फिर जड़ी-बूटियों का काम्बिनेशन में उपयोग कर सकते हैं क्योंकि जड़ी बूटियों के प्रभाव हमेशा सिनर्जेस्टिक होते हैं। हालांकि इसका विशेष ध्यान रखें कि जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अनुसार की किया जाना चाहिए। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक क्षमता और तासीर अलग-अलग होती है।

जब हम योग और की तमाम किताबों का अध्ययन करते हैं तो उनमें कुछ जड़ी-बूटियों का वर्णन मिलता हैं। व्‍यक्ति अपनी सुविधा और पसन्द के अनुसार किसी भी जड़ी बूटी का प्रयोग कर सकता हैं।

बाह्मी : ब्राह्मी नाम से कई तरह के टॉनिक बनते हैं। ब्राह्मी दरअसल एक जड़ी है जो दिमाग के लिए बहुत ही उपयोगी है। यह दिमाग को शांत कर स्थिरता प्रदान करती है साथ ही यह याददाश्त बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

योग और आयुर्वेद अनुसार बाह्मी से हमारे चक्र भी सक्रिय होते हैं। माना जाता है कि इससे दिमाग के बाएं और दाएं हेमिस्फियर संतुलित रहते हैं। ब्राह्मी मे एन्टी ऑक्सीडेंट तत्व होते हैं जिससे दिमाग की शक्ति बढऩे लगती है।

सेवन : आधे चम्मच बाह्मी के पावडर को गरम पानी में मिला लें और स्वाद के लिए इसमें शहद मिला लें और मेडिटेशन से पहले इसे पीएं तो लाभ होगा। इसके 7 पत्ते चबाकर खाने से भी वही लाभ मिलता है।

जटामासी : जटामासी का नाम आप जानते ही होंगे। यह जड़ी भी उत्तेजित दिमाग को शांति पहुंचाती है। किसी भी तरह की img1131018032_3_1बैचेनी और घबराहट को हटाती है। यह ज्यातातर हिमालय में पायी जाती है। माना जाता है कि इसमें वैलेरियन होता है जिसके कारण यह याददाश्त बढ़ाने में भी सहायक होता है। जटामासी से अनिंद्र रोग भी दूर होता है। इससे मीठी नींद आती हैं।

सेवन : एक चम्मच जटामासी को एक कप दूध में मिलाकर 5 मिनट तक छोड़ दें और सुबह पी लें।

जपा: जपा को अंग्रेजी में हिबिस्कस कहते हैं। जपा का अर्थ है मंत्र का बार-बार उच्चारण। मंत्र की मदद से भी में मन लगता है। जप करते रहेंगे तो मन कहीं और नहीं भटकेगा। यह औषधि मंत्र की तरह है तो मन को एकाग्र करने में सहायक सिद्ध होती है।

सेवन : जपा के एक चौथाई फूल को डेढ़ पाव ठंडे पानी में मिला दें और इसे एक कप गरम चाय के साथ पीएं।

अखरोट : अखरोट को आप फोड़ेंगे तो उके अं‍दर आपको दिमाग के आकार प्रकार का एक सोफेद फल मिलेगा। यह दिमाग के लिए सबसे बेहतर औषधि है। इसके नियमित सेवन से जहां दिमाग मजबूत और तेज बनता है वहीं यह स्मरण शक्ति बढ़ाने में सहायक है। इसका नियमित उपयोग हितकर है।

सेवन : 20 ग्राम अखरोट और साथ में 10 ग्राम किशमिश लेना चाहिए।

शंख पुष्पी : शंख पुष्‍पी का नाम तो सभी ने सुना होगा। यह बु्द्धि और स्मृति बढ़ाने में सहायक सिद्ध होती है। इससे दिमाग में सक्रिता बढ़ जाती है जिसके कारण हमारी रचनात्मकता भी बढ़ जाती है।

सेवन : आधे चम्मच शंख पुष्पी को एक कप गरम पानी में मिला कर लें। यह भी ध्‍यान में प्रभावी हैं।

रूप और सेहत दोनों संवारता है केसर

  • रूप और रंग निखारने में केसर का होता रहा है सदियों से प्रयोग।kesar-k-fayde
  • अपच को भी दूर कर हाजमा ठीक में मदद करता है केसर।
  • मसूड़ों की समस्‍याओं को ठीक करने में मददगार है केसर।
  • केसर आंखों की रोशनी तेज करने में भी मदद करता है।केसर स्वास्‍थ्‍य के‍ लिए बहुत फायदेमंद होता है। केसर की खुशबू बहुत तेज होती है। केसर को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में डालकर खाया जाता है।

    भारत में केसर (जाफरान) कश्मीर में पैदा होता है। गर्म पानी में डालने पर केसर से गहरा पीला रंग बनाया जाता है। पेट संबंधित परेशानियों के इलाज के लिए केसर बहुत फायदेमंद है। चोट लगने या झुलसने पर भी केसर का लेप लगाने से फायदा होता है। आइए हम आपको केसर के गुणों की जानकारी देते हैं।

    केसर के गुण

    • चन्दन को केसर के साथ घिसकर इसका लेप माथे पर लगाने से सिर, आंखों और दिमाग को शीतलता मिलती है। इस लेप को लगाने से दिमाग तेज होता है।
    • सिर दर्द को दूर करने के लिए केसर का उपयोग किया जा सकता है। सिर दर्द होने पर चंदन और केसर को मिलाकर सिर पर इसका लेप लगाने से सिर दर्द में राहत मिलती है।
    • नाक से खून बहने की समस्या के उपचार के लिए भी केसर बहुत फायदेमंद है। नकसीर होने पर चंदन के साथ केसर को मिलाकर लेप लगाइए, नाक से खून बहना बंद हो जाएगा।
    • बच्चें को अगर सर्दी और जुकाम की समस्या हो तो केसर का दूध सुबह-शाम पिलाने से बच्चे की सर्दी और जुकाम में राहत मिलेगी।
    • गैस और एसिटिडी से राहत दिलाने में काफी मदद करता है। यह हमारी पाचन क्रिया को भी दुरुस्‍त रखता है।
    • बच्चें की सर्दी अगर समाप्त न हो रही हो तो बच्चे की नाक, माथे, छाती और पीठ पर केसर, जायफल और लौंग का लेप लगाने से फायदा होता है।
    • अतिसार में भी केसर बहुत फायदेमंद है। अतिसार होने पर केसर को जायफल, आम की गुठली, सोंठ को पत्थर पर पानी के साथ घिसकर इसका लेप लगाने से फायदा होता है।
    • महिलाओं के लिए केसर बहुत फायदेमंद होता है। महिलाओं की कई शिकायतें जैसे – मासिक चक्र में अनियमिता, गर्भाशय की सूजन, मासिक चक्र के समय दर्द होने जैसी समस्याओं में केसर का सेवन करने से आराम मिलता है।
    • हिस्टीरिया जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने में केसर का सेवन फायदेमंद होता है।
    • त्वचा के झुलसने या चोट लगने पर केसर के लेप लगाना चाहिए। इससे तुरंत फायदा होता है और नई त्वचा का निर्माण जल्द होता है।
    • केसर को दूध के साथ पीने से शारीरिक शक्ति बढती है।
    • किडनी और लिवर के लिए भी केसर काफी फायदेमंद होता है। यह ब्‍लैडर और लिवर की समस्‍याओं को ठीक करने में मदद करता है। और रक्‍त शुद्धिकरण करता है।
    • अर्थराइटिस के मरीजों के लिए भी केसर बहुत लाभकारी होता है। यह जोड़ों के दर्द से भी राहत दिलाता है। यह थकान को दूर करने और मांसपेशियों को राहत पहुंचाने का काम करता है।
    • अनिद्रा की शिकायत को दूर करने में भी केसर काफी उपयोगी होता है। इसके साथ ही यह अवसाद को भी दूर करने में मदद करता है। रात को सोने से पहले दूध में केसर डालकर पीने से अनिद्रा की शिकायत दूर होती है।
    • केसर में ‘क्रोसिन’ नाम का तत्‍व पाया जाता है, जो वैज्ञानिक रूप से बुखार को दूर करने में उपयोगी माना जाता है। इसके साथ ही यह एकाग्रता, स्‍मरण शक्ति और रिकॉल क्षमता को भी बढ़ाने का काम करता है।
    • आंखों की परेशानी को दूर करने में भी मददगार होता है केसर। एक हालिया शोध में यह बात सामने आयी है‍ कि जिस प्रतिभागी ने केसर का सेवन किया उसकी नजरें बेहतर रहीं। यह मोतिया को दूर करने में भी मदद करता है।
    • केसर मसूड़ों की परेशानी को भी दूर करता है। यह मसूड़ों में सूजन और जख्‍मों को दूर करता है। इसके साथ ही यह मुख और जीभ की तकलीफों से निजात दिलाता है।

    कैसे करें केसर का इस्‍तेमाल

    केसर खाद्य पदार्थों की सुगंध और स्‍वाद में इजाफा करता है। केसर को खीर, बिरयानी, मिठाई और दूध आदि में इस्‍तेमाल किया जा सकता है। दूध में केसर मिलाकर पीने से त्‍वचा का सांवलापन दूर होता है।

    कैसे चुनें असली केसर

    केसर बहुत महंगा होता है। कई नकली उत्‍पादों पर केसरिया रंग चढ़ाकर उसे केसर के नाम पर बेचा जाता है। असली और नकली केसर की पहचान करने के लिए आप गर्म पानी अथवा दूध में थोड़ा सा केसर डालिये अगर वह फौरन रंग छोड़ दे, तो समझ झाइये कि वह नकली है। असली केसर कम से कम दस से पंद्रह मिनट बाद गहरा लाल रंग छोड़ता है और साथ ही महकने लगता है।

भोजन और सेहत दोनों संवारती है हींग

  • हींग का सेवन करने से हाजमा ठीक रहता है।hing-300x450
  • गर्मियों में हींग के सेवन से परहेज करना चाहिए।
  • भोजन और सेहत दोनों के लिए उपयोगी है हींग।
  • हींग दांत के कीड़े और सड़न को भी दूर करती है।
  • हींग कई बीमारियों के लिए बहुत फायदेमंद होती है। आंखों की बीमारी होने पर हींग का सेवन करना चाहिए। हींग बहुत ही अच्छा पाचक चूर्ण है। हींग को असाफोटीडा भी कहते हैं। भारतीय रसोई में हींग की अपनी खास जगह है। हींग की तेज खुशबू व्यंजन में एक अलग जायका लाती है। इसे तड़का लगाने या अचार में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसकी औषधीय विशेषता भी है।
    हींग पेट में गैस होने पर, सूजन पर, विरेचक औषधि के रूप में भी कारगर होती है। यह विचार शक्ति बढ़ाती है और उपशामक भी है। हींग अपच, उदरशूल, अजीर्ण, दांत दर्द, जुकाम, खांसी, सर्दी के कारण सिरदर्द, बिच्छू, बर्र आदि के जहरीले प्रभाव और जलन को कम करने में काम आती है। दिमाग की बीमारियों का इलाज हींग के प्रयोग से होता है। हींग कान के रोगों में भी फायदेमंद है। हींग कफ और वात को ठीक करती है। आइए हम आपको हींग के औषधीय गुणों की जानकारी देते हैं।

    हींग के लाभ

    • दांत में कीड़ा लग जाने पर रात में सोते वक्त दांतों में हींग दबाकर साएं। ऐसा करने से कीडे अपने-आप निकल जाएंगे।
    • कांटा चुभने पर उस स्थान पर हींग का घोल भर दीजिए। इससे पीड़ा भी समाप्त होगी और कांटा अपने आप निकल जाएगा।
    • दाद, खाज, खुजली जैसे चर्म रोगों के लिए हींग बहुत फायदेमंद है। चर्म रोग होने पर हींग को पानी में घिसकर लगाने से फायदा होता है।
    • बवासीर की समस्या पर हींग का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। बवासीर होने पर हींग का लेप लगाने से बवासीर में आराम मिलता है।
    • कब्ज होने पर हींग के चूर्ण में थोडा सा मीठा सोडा मिलाकर रात में सोने से पहले लीजिए। इससे पेट साफ हो जाएगा।
    • पेट में दर्द व ऐंठन होने पर अजवाइन और नमक के साथ हींग का सेवन करने से फायदा होता है।
    • पेट में कीड़े हो जाने पर हींग को पानी में घोलकर एनिमा लेने से पेट के कीड़े शीघ्र निकल आते हैं।
    • अगर किसी खुले जख्म पर कीडे पड़ गए हों तो, उस जगह पर हींग का चूर्ण लगाने से कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
    • खाने से पहले घी में भुनी हुई हींग एवं अदरक का एक टुकडा मक्खन के साथ में लेने से भूख ज्यादा लगती है।
    • पीलिया होने पर हींग को गूलर के सूखे फलों के साथ खाना चाहिए। पीलिया होने पर हींग को पानी में घिसकर आंखों पर लगाने से फायदा होता है।
    • कान में दर्द होने पर तिल के तेल में हींग को पकाकर उस तेल की बूंदों को कान में डालने से कान का दर्द समाप्त हो जाता है।
    • उल्टी आने पर हींग को पानी में पीसकर पेट पर लगाने से फायदा होता है।
    • सिरदर्द होने पर हींग को गर्म करके उसका लेप लगाने से फायदा होता है।

    हींग की प्रवृत्ति गरम होती है इसलिए इसका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। थोड़ी मात्रा में तड़के के रूप में या सलाद के मसाले आदि में आप इसका सेवन नियमित रूप से कर सकते हैं।

कपूर

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  • धार्मिक क्रियाकलापों में कपूर महत्‍वपूर्ण।
  • दवाओं में भी होता है कपूर का इस्‍तेमाल।
  • कपूर खुजली को दूर करने में करता है मदद।
  • जलने पर कपूर का तेल लगाना लाभकारी।
  • कपूर का इस्‍तेमाल पूजा-पाठ के लिए किया जाता है। लेकिन स्‍वास्‍थ्‍य की दृष्टि से भी यह बहुत फायदेमंद है। कपूर का प्रयोग कई प्रकार की बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है।कपूर त्‍वचा और मांसपेशियों और ऊतकों में सूजन कम करता है। पुरानी जोड़ों और दर्द से छुटकारा दिलाने के लिए कपूर उपयोगी औषधि है। कपूर का तेल बहुत फायदेमंद है। कपूर का इस्‍तेमाल कई दवाओं में भी किया जाता है। कपूर से कई प्रकार के मरहम बनाये जाते हैं। आइए हम आपको कपूर से होने वाले फायदों के बारे में बताते हैं।

    कपूर के लाभ

    1.     कपूर, आजवायन और पिपरमेंट को बराबर मात्रा में लीजिए, इनको एक शीशी में डालकर मिला लीजिए और उस शीशी को धूप में रख दीजिए। बीच-बीच में इस घोल को हिलाते रहिए। इसकी चार से आठ बूंदें बताशे में या चीनी के शर्बत में मिलाकर दस्‍त के रोगी को दीजिए। इससे दस्‍त में आराम मिलेगा।
    2.     पेट दर्द और बेचैनी के लिए भी कपूर बहुत फायदेमंद है। पेट दर्द होने पर कपूर और अजवायन और पिपरमेंट को शर्बत में मिलाकर पीने से पेट दर्द समाप्‍त हो जाता है।
    3.     त्‍वचा के लिए कपूर बहुत फायदेमंद है। कपूर कोशिकाओं को मजबूत बनाता है। इससे त्‍वचा में निखार आता है।
    4.     मांसपेशियों के दर्द को कपूर से दूर किया जा सकता है। मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होने पर कपूर के तेल से मा‍लिश कीजिए। आराम मिलेगा और दर्द समाप्‍त हो जाएगा।
    5.     खुजली आने पर कपूर का प्रयोग कीजिए। खुजली वाली त्‍वचा पर लगाइये खुजली होना बंद हो जाता है।
    6.     गठिया के मरीजों के लिए भी कपूर फायदेमंद है। गठिया होने पर कपूर के तेल की मालिश करने पर आराम मिलता है।
    7.     जलने पर कपूर या कपूर का तेल लगाइए। जले पर कपूर लगाने से जलन खत्‍म होती है और राहत मिलती है।
    8.     कपूर बहुत खुशबूदार होता है। इसकी खुशबू और रासायनिक भिन्‍नता किसी देश में पैदा होने वाले कपूर के वृक्ष पर निर्भर करती है। कपूर के धुएं से आसपास का वातावरण अच्‍छा होता है।

आलू

aaloo-ke-faayadeचेहरे की झुर्रियों पर पिसा हुआ आलू लगाने से होता है फायदा।

  • पथरी में भी आलू का सेवन काफी मददगार साबित होता है।
  • कब्‍ज के इलाज में भी आलू बेहद उपयोगी होता है।
  • आलू के हरे हिस्‍से को कभी नहीं खाना चाहिए।
  • आलू की खासियत है कि वो हर सब्‍जी के साथ एडजस्‍ट हो जाता है। खाने में तो आलू स्‍वाद होता ही है, लेकिन इसके कई औषधीय और सौंदर्य से जुड़े गुण भी हैं।आलू पौष्टिक तत्वों से भरा होता है। आलू में सबसे ज्यादा मात्रा में स्टॉर्च पाया जाता है। आलू क्षारीय होता है, जिसे खाने से शरीर में क्षारों की मात्रा बरकरार रहती है। आलू में सोडा, पोटाश, और विटामिन ए और डी पर्याप्त मात्रा में होता है।

    आलू को हमेशा छिलके समेत पकाना चाहिए। क्योंकि, आलू का सबसे अधिक पौष्टिक भाग छिलके के एकदम नीचे होता है, जो प्रोटीन और खनिज से भरपूर होता है। आलू को उबालकर या भूनकर खाया जाता है, इसलिए इसके पौष्टिक तत्व आसानी से पच जाते हैं। आइए हम आपको आलू के गुणों के बारे में बताते हैं।

    आलू के गुण 

    • चोट लगने पर आलू का प्रयोग करना चाहिए। कभी-कभी चोट लगने के बाद त्वचा नीली पड़ जाती है। नीले पडे जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगाने से फायदा होता है।
    • झुर्रियों से बचाव के लिए आलू बहुत फायदेमंद होता है। झुर्रियों पर कच्चे आलू को पीसकर लगाने से झुर्रियां समाप्त होती हैं।
    • त्वचा की एलर्जी या फिर त्वचा रोग होने पर आलू का प्रयोग करना चाहिए। कच्चे आलू का रस लगाने से त्वचा रोग में फायदा होता है।
    • अगर अं‍तडियों से सडांध आ रही हो तो भुने हुए आलू का प्रयोग करना चाहिए। इससे पेट की कब्ज और अंतडियों की सडांध दूर होती है।
    • अम्लपित्त होने पर आलू का प्रयोग करन चाहिए। अम्लपित्त से बचाव के लिए आलू को सेंककर, उसका छिलका निकालकर, नमक और मिर्च के साथ खाने से फायदा होता है।
    • गुर्दे की पथरी होने पर आलू का प्रयोग करना चाहिए। पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाकर पथरी को निकाला जा सकता है।
    • आलू को गोला काटकर आंखों पर रखने से आंखों के आसपास की झुर्रियां समाप्त होती हैं।
    • चेहरे की रंगत के लिए आलू बहूत फायदेमंद होता है। आलू को पीसकर त्‍वचा पर लगाने से रंग गोरा हो जाता है।
    • आलू के रस को शहद में मिलाकर बच्चों को पिलाने से बच्चों का विकास अच्छे से होता है।

    आलू के हरे भाग को बिलकूल नहीं खाना चाहिए। क्योंकि हरे भाग में सोलेनाइन नामक विषैला पदार्थ होता है जो शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। इसके अलावा आलू के अंकुरित हिस्से का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए।

अजवाइन के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ

  • आजवाइन हिचकी, जी मचलाना, डकार, बदहजमी आदि में गुणकारी है।
  • पेट खराब होने पर अजवाइन को एक कम गरम पानी के साथ पियें।azwain-300x450
  • सर्दी में ठंड लगने पर थोड़ी सी अजावाइन को अच्छी तरह से चबाएं।
  • मुंह से दुर्गध आने पर थोड़ी सी अजवाइन को पानी में उबालकर‍ पियें।
  • भारतीय खानपान में अजवाइन का प्रयोग सदियों से होता आया है। आयुर्वेद के अनुसार अजवाइन पाचन को दुरुस्त रखती है। यह कफ, पेट तथा छाती का दर्द और कृमि रोग में फायदेमंद होती है। साथ ही हिचकी, जी मचलाना, डकार, बदहजमी, मूत्र का रुकना और पथरी आदि बीमारी में भी लाभप्रद होती है।आयुर्वेद के अनुसार अजवाइन पाचक, रुचिकारक, तीक्ष्ण, गर्म, चटपटी, कड़वी और पित्तवर्द्धक होती है। पाचक औषधियों में इसका बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। अकेली अजवाइन ही सैकड़ों प्रकार के अन्न को पचाने वाली होती है। आइए हम आपको अजवाइन के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ के बारे में जानकारी देते हैं।सर्दी जुकाम में

    बंद नाक या सर्दी जुकाम होने पर अजवाइन को दरदरा कूट कर महीन कपड़े में बांधकर सूंघें। सर्दी में ठंड लगने पर थोड़ी-सी अजावाइन को अच्छी तरह चबाएं और चबाने के बाद पानी के साथ निगल लें। ठंड से राहत मिलेगी।

    पेट खराब होने पर

    पेट खराब होने पर अजवाइन को चबाकर खाएं और एक कप गर्म पानी पीएं। पेट में कीड़े हैं तो काले नमक के साथ अजवाइन खाएं। लीवर की परेशानी है तो 3 ग्राम अजवाइन और आधा ग्राम नमक भोजन के बाद लेने से काफी लाभ होगा। पाचन तंत्र में किसी भी तरह की गड़बड़ी होने पर मट्ठे के साथ अजवाइन लें, आराम मिलेगा।

    वजन कम करें

    अजवाइन मोटापे कम करने में भी उपयोगी होती है। रात में एक चम्मच अजवाइन को एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह छान कर एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर पीने से लाभ होता है। इसके नियमित सेवन से मोटापा कम होता है।

    मसूड़ों में सूजन

    मसूड़ों में सूजन होने पर अजवाइन के तेल की कुछ बूंदों को गुनगुने पानी में डालकर कुल्ला करने से सूजन कम होती है। सरसों के तेल में अजवाइन डाल कर गर्म करें। इससे जोड़ों की मालिश करने पर दर्द से आराम मिलेगा।

    मुंह की दुर्गंध

    मुंह से दुर्गध आने पर थोड़ी सी अजवाइन को पानी में उबाल लें। इस पानी से दिन में दो से तीन बार कुल्ला करने पर मुंह की दुर्गंध समाप्‍त हो जाती है।

    खांसी होने पर

    अजवाइन के रस में दो चुटकी काला नमक मिलाकर उसका सेवन करें और उसके बाद गर्म पानी पी लें। इससे आपकी खांसी ठीक हो जाएगी। आप काली खांसी से परेशान हैं तो जंगली अजवाइन के रस को सिरका और शहद के साथ मिलाकर दिन में 2-3 बार एक-एक चम्मच सेवन करें, राहत मिलेगी।

    इसके अलावा अजवाइन कई अन्‍य रोगों में भी कारगर औषधि है।

ऑलिव ऑयल एक इसके फायदे अनेक

  • रीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है ऑलिव ऑयल का प्रयोग।
  • बालों से डैंड्रफ समाप्त करता है ऑलिव ऑयल का नियमित उपयोग। Health-Benefits-of-Olive-Oil
  • ऑलिव ऑयल का प्रयोग खाना और सलाद बनाने में किया जाता है।
  • पैरों पर ऑलिव ऑयल लगाकर सोने से पैर कोमल बनते हैं
  • ऑलिव आयल का प्रयोग शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। ऑलिव आयल यानी जैतून का तेल त्वचा के लिए फायदेमंद है। ऑलिव ऑयल में फ्लेवसेनॉयड्स स्कवेलीन और पोरीफेनोल्स  एंटीऑक्सीडेंट्स होता है जो फ्री रैडिकल्स से कोशिकाओं को समाप्त होने से बचाता है।सर्दियों और गर्मियों के मौसम में यह रूखी त्वचा के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसका प्रयोग करने से बालों से डैंड्रफ समाप्त होता है। झुर्रियों को समाप्त करने के लिए यह बहुत उपयोगी है। शरीर के हर अंग में इस ऑयल का प्रयोग किया जा सकता है। खाने में इसे शामिल कर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित किया जा सकता है।
    Olive oil ke faayde
    ऑलिव ऑयल के फायदे
    ऑलिव आयल का प्रयोग शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। ऑलिव आयल यानी जैतून का तेल त्वचा के लिए फायदेमंद है। ऑलिव ऑयल में फ्लेवसेनॉयड्स स्कवेलीन और पोरीफेनोल्स  एंटीऑक्सीडेंट्स होता है जो फ्री रैडिकल्स से कोशिकाओं को समाप्त होने से बचाता है। सर्दियों और गर्मियों के मौसम में यह रूखी त्वचा के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसका प्रयोग करने से बालों से डैंड्रफ समाप्त होता है। झुर्रियों को समाप्त करने के लिए यह बहुत उपयोगी है। शरीर के हर अंग में इस ऑयल का प्रयोग किया जा सकता है। खाने में इसे शामिल कर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित किया जा सकता है।
    ऑलिव ऑयल के फायदे –
    त्वचा के लिए –
    नहाने के बाद शरीर पर ऑलिव ऑयल लगाएं, इससे शरीर से काले धब्बे समाप्त होंगे और त्वचा में दिनभर निखार रहेगा।
    चेहरे और गर्दन पर ऑलिव ऑयल लगाइए, इससे चेहरे पर रौनक आएगी और गर्दन का कालापन दूर होगा।
    काली त्वचा और काली कुहनियों की समस्या है तो चीनी को ऑलिव ऑयल में मिलाकर हर रोज 5 मिनट तक स्क्रब कीजिए।
    टैन्ड स्किन के लिए –
    नहाने के बाद हर रोज 20 मिनट तक ऑलिव ऑयल से मसाज करने से स्किन की टैनिन में आराम मिलेगा ।
    चंदन के पावडर में 2-3 बूंदे ऑलिव ऑयल की डालकर 7-10 मिनट तक चेहरे पर लगा रहने दीजिए, इससे बाद धुल लीजिए।
    ऑलिव ऑयल को चेहरे पर लगाकर भाप लीजिए, इससे त्वचा की टैनिन की समस्या समाप्त होगी।
    झुर्रियों के लिए –
    नींबू के रस में ऑलिव ऑयल को मिलाकर हफ्ते में तीन बार चेहरे की मालिश कीजिए इससे झुर्रियों से निजात मिलेगी।
    चेहरे पर अगर झुर्रियां हैं तो ऑलिव ऑयल को चंदन के पावडर के साथ मिलाकर 10 मिनट तक लगा रहने दीजिए।
    ऑलिव ऑयल की 2-3 बूंदों को फेस पैक में मिलाकर चेहरे पर हर रोज 20 मिनट तक लगा रहने दीजिए, एक महीने में झुर्रियों से निजात मिलेगी।
    बालों के लिए –
    बालों में ऑलिव ऑयल लगाने से बालों की कंडीशनिंग अच्छी होती है।
    थोडा सा ऑलिव ऑयल अपने हाथों में लेकर लगाइए, इससे बाल मुलायम और सिल्की हो जाएंगे।
    बालों में अगर डैंड्रफ की समस्या है तो ऑलिव ऑयल का प्रयोग करने से यह डैंड्रफ कम हो जाएंगे।
    होंठो के लिए –
    अगर आपके होठ रूखे और बेजान हैं तो होठों पर हर रोज  ऑलिव ऑयल से मालिश कीजिए, होठ कोमल हो जाएगें।
    फटे होठों पर सुबह-शाम ऑलिव ऑयल लगाइए। फटे होठों से निजात मिलेगी।
    नाखूनों के लिए –
    अगर आपके नाखून बहुत कठोर हैं तो ऑलिव ऑयल के प्रयोग से नाखूनों को लचीला बनाया जा सकता है।
    हर रोज करीब आधे घंटे नाखूनों को ऑलिव ऑयल में डूबोकर रखिए, इससे नाखून नरम और लचीले हो जाएंगे।
    पैरों पर ऑलिव ऑयल लगाकर सोने से पैर कोमल बनते हैं।
    दिल के लिए –
    ऑलिव ऑयल को खाने में मिलाकर खाने से दिल मजबूत होता है और दिल का दौरा पडने की संभावना कम होती है।
    ऑलिव ऑयल खाने से रक्त संचार अच्छे से होता है जिससे ब्लड प्रेशर को नियंत्रण किया जा सकता है।
    ऑलिव ऑयल कैसे प्रयोग करें –
    ऑलिव ऑयल का प्रयोग खाना बनाने में किया जा सकता है।
    सलाद में ऑलिव ऑयल मिलाकर खाया जा सकता है।
    ब्रेड की स्लाइस पर ऑलिव ऑयल को लगाकर खा सकते हैं।

    ऑलिव ऑयल के फायदे –

    त्वचा के लिए

    • नहाने के बाद शरीर पर ऑलिव ऑयल लगाएं, इससे शरीर से काले धब्बे समाप्त होंगे और त्वचा में दिनभर निखार रहेगा।
    • चेहरे और गर्दन पर ऑलिव ऑयल लगाइए, इससे चेहरे पर रौनक आएगी और गर्दन का कालापन दूर होगा।
    • काली त्वचा और काली कुहनियों की समस्या है तो चीनी को ऑलिव ऑयल में मिलाकर हर रोज 5 मिनट तक स्क्रब कीजिए।

    टैन्ड स्किन के लिए

    • नहाने के बाद हर रोज 20 मिनट तक ऑलिव ऑयल से मसाज करने से स्किन की टैनिन में आराम मिलेगा।
    • चंदन के पावडर में 2-3 बूंदे ऑलिव ऑयल की डालकर 7-10 मिनट तक चेहरे पर लगा रहने दीजिए, इससे बाद धुल लीजिए।
    • ऑलिव ऑयल को चेहरे पर लगाकर भाप लीजिए, इससे त्वचा की टैनिन की समस्या समाप्त होगी।

    झुर्रियों के लिए

    • नींबू के रस में ऑलिव ऑयल को मिलाकर हफ्ते में तीन बार चेहरे की मालिश कीजिए इससे झुर्रियों से निजात मिलेगी।
    • चेहरे पर अगर झुर्रियां हैं तो ऑलिव ऑयल को चंदन के पावडर के साथ मिलाकर 10 मिनट तक लगा रहने दीजिए।
    • ऑलिव ऑयल की 2-3 बूंदों को फेस पैक में मिलाकर चेहरे पर हर रोज 20 मिनट तक लगा रहने दीजिए, एक महीने में झुर्रियों से निजात मिलेगी।

    बालों के लिए

    • बालों में ऑलिव ऑयल लगाने से बालों की कंडीशनिंग अच्छी होती है।
    • थोडा सा ऑलिव ऑयल अपने हाथों में लेकर लगाइए, इससे बाल मुलायम और सिल्की हो जाएंगे।
    • बालों में अगर डैंड्रफ की समस्या है तो ऑलिव ऑयल का प्रयोग करने से यह डैंड्रफ कम हो जाएंगे।

    होंठो के लिए 

    • अगर आपके होठ रूखे और बेजान हैं तो होठों पर हर रोज  ऑलिव ऑयल से मालिश कीजिए, होठ कोमल हो जाएगें।
    • फटे होठों पर सुबह-शाम ऑलिव ऑयल लगाइए। फटे होठों से निजात मिलेगी।

    नाखूनों के लिए

    • अगर आपके नाखून बहुत कठोर हैं तो ऑलिव ऑयल के प्रयोग से नाखूनों को लचीला बनाया जा सकता है
    • हर रोज करीब आधे घंटे नाखूनों को ऑलिव ऑयल में डूबोकर रखिए, इससे नाखून नरम और लचीले हो जाएंगे
    • पैरों पर ऑलिव ऑयल लगाकर सोने से पैर कोमल बनते हैं।

    दिल के लिए

    • ऑलिव ऑयल को खाने में मिलाकर खाने से दिल मजबूत होता है और दिल का दौरा पडने की संभावना कम होती है।
    • ऑलिव ऑयल खाने से रक्त संचार अच्छे से होता है जिससे ब्लड प्रेशर को नियंत्रण किया जा सकता है।

    ऑलिव ऑयल कैसे प्रयोग करें

    • ऑलिव ऑयल का प्रयोग खाना बनाने में किया जा सकता है।
    • सलाद में ऑलिव ऑयल मिलाकर खाया जा सकता है।
    • ब्रेड की स्लाइस पर ऑलिव ऑयल को लगाकर खा सकते हैं।