- कोल्ड, खांसी, त्वचा की समस्या बहुत होती है बच्चों को।
- शहद गले की खराश और हिचकी के लिए चीनी पास रखें।
- चिकनपॉक्स से बचाने के लिए ओटमील से स्नान करायें।
- बच्चों को हल्दी-दूध पिलायें, इससे ठंड बिलकुल नहीं लगेगी।
- भले ही आप अपने बच्चों की कितनी ही देखभाल क्यों न कर लें, आप सब चीजों से उनकी रक्षा नहीं कर सकते। बच्चों को ठण्ड, खांसी और त्वचा की समस्या बहुत जल्दी हो जाती हैं। इसके साथ ही कई अन्य बीमारियां भी उन्हें आए दिन परेशान करती हैं। लेकिन, इस पर इतना घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसे कई घरेलू उपाय मौजूद हैं, जिनसे आप इन छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज कर सकते हैं।
- गले में रखें खराश, तो शहद रखें पासगले की खराश और दर्द के लिए शहद बहुत अच्छा इलाज है। आयुर्वेद में भी एक चम्मच शहद को गले में खराश पैदा करने वाले कीटाणुओं को समाप्त करने की क्षमता होती हे। अच्छी बात यह है कि शहद मीठा होता है और इस कारण आपके बच्चे को इसका स्वाद भी बुरा नहीं लगेगा।
हिचकी के लिए चीनी
अगली बार जब आपके बच्चे की हिचकियां न रुकें, तो उसे एक चम्मच चीनी खिला दें। यह डायफरग्राम की मांसपेशियों को राहत मिलती है और इससे हिचकी रुक जाती है।
ओटमील का स्नान (चिकनपॉक्स में राहत)
शरीर में खुजली होने पर आप अपने बच्चे के नहाने के पानी में ओट्स मिला सकते हैं। यह उपाय उन बच्चों के लिए विशेष रूप से मददगार होता है, जिन्हें चिकनपॉक्स की समस्या होती है। चिकनपॉक्स की वजह से आपका बच्चा बहुत बेचैन हो जाता है। लेकिन, अकसर आपके पास इसका कोई खास इलाज मौजूद नहीं होता। चिकनपॉक्स के अपने आप ठीक होने का इंतजार करने के साथ-साथ अपने बच्चे को ओटमील से नहलाते रहें, इससे उसे खुजली में आराम मिलेगा।
ठंड भगाये हल्दी-दूध
हल्दी में कई औषधीय गुण होते हैं। इस मसाले का इस्तेमाल लंबे समय से चिकित्सीय लाभ के लिए किया जाता रहा है। दूध में हल्दी मिलाकर पीने से सामान्य ठण्ड में बड़ी राहत मिलती है।
पाचन में मददगार नींबू
बच्चे का हाजमा अगर खराब हो जाए, तो आपके लिए भी बड़ी परेशानी हो जाती है। ऐसे में नींबू आपकी काफी मदद कर सकता है। दस्त की समस्या साल्विया के अधिक उत्पादन के कारण होती है। जब आप बच्चे को नींबू चटाते हैं, तो इससे साल्विया के निर्माण में कमी आती है, जिससे दस्त में आराम मिलता है।
फ्रीज में मौजूद घरेलू नुस्खे
- फ्रिज में मौजूद चीजें घरेलू नुस्खे के काम आ सकती है।
- नींबू जुकाम में काफी फायदेमंद होता है।
- टी बैग को ठंडा कर आंखों पर रखें।
- केला सूजन को कम करने का काम करता है।
- ज्यादातर लोग छोटी-छोटी समस्याओं के लिए दवाओं पर निर्भर होते हैं। वो यह नहीं जानते हैं कि जिन छोटी समस्याओं के लिए वो दवा की मदद ले रहे हैं उसे आपके फ्रिज में मौजूद चीजें भी ठीक कर सकती हैं। जी हां, रोजमर्रा के जीवन में कई समस्याएं होती है जिनके लिए दवाओं का सहारा लेना ठीक नहीं।फ्रिज खोले देखें उसमें बहुत सारे ऐसे सामान होंगे जिनका प्रयोग आप घरेलू नुस्खों के रुप में कर सकते हैं। यह नुस्खे पूरी तरह से प्राकृतिक और सुरक्षित माने जाते हैं। इनके प्रयोग से आपकी सेहत पर कोई विपरीत असर भी नहीं होगा तो आइए जानते हैं फ्रिज में मौजूद घरेलू नुस्खों के बारे में।
केला
केला सेहतमंद फलों में से एक है। यह ना सिर्फ आपको पोषण देता बल्कि इसके अलावा भी आपके काफी काम आता है। केले को छील कर ब्लैंड कर सकते हैं और फिर इसे सूजन कम करने के लिए प्रयोग में ला सकते हैं। इसे लगाने के थोड़ी देर बाद ही आपको फर्क नजर आने लगेगा।
नींबू
सर्दी जुकाम में नींबू का प्रयोग उपयोगी होता है। इससे हमारे शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढती है। गुनगुने पानी में एक नींबू का रस निचोडकर और एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार पीना से सर्दी जुकाम में लाभ मिलता है।
टी बैग
क्या आप जानते हैं टी बैग आपके कितने काम आ सकती है? चाय बनाने के बाद भी यह बेकार नहीं होती है। चाय बनाने के बाद टी बैग फ्रीज में ठंडा होने के लिए रख दें और जब भी आपकी आंखों में थकावट या सूजन महसूस हो तो इस टी बैग का प्रयोग करें। इसके प्रयोग से आंखों की थकावट कुछ हू देर में गायब हो जाएगी और आपको काफी आराम मिलेगा।
मटर के दाने
अत्यधिक तनाव या सिर में दर्द होने पर कई तरह के घरेलू नुस्खे होते हैं लेकिन अगर आप एक प्लास्टिक बैग में मटर के दानों को फ्रीज में रख दें फिर इसे पांच से दस मिनट तक दर्द सिर के किनारों पर रखें। इसे आप एक से ज्यादा बार भी प्रयोग कर सकते हैं। इससे मिलने वाली ठंडक रक्त धमनियों को सिकोड़ता है जिससे दर्द में आराम मिल सकता है।
शहद
शहद में घाव को जल्द भरने का गुण होता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं जो कुछ बैक्टीरिया की वृद्धि को रोकते हैं और इसलिए यह घावों, कटे और जले हुए स्थानों पर तथा खरोंच पर लगाया जाता है।
छोटा सा आसान प्रयोग: अपनाकर डाइबिटीज को रखें कंट्रोल में हमेशा
वर्तमान समय में हर उम्र वाले लोगों में डाइबिटीज के रोगी देखे जा सकते हैं। डाइबिटीज एक ऐसा रोग है जो अगर एक बार इंसान को लग जाए तो उसे जिंदगी भर दवाईयां खानी पड़ती है। अगर आपके साथ भी यही समस्या है तो योग के कटिचक्रासन के माध्यम से आप इस पर काबू पा सकते हैं।
कटिचक्रासन पहली विधि- कटिचक्रासन का अभ्यास करने के लिए पहले सीधे खड़े हो जाएं। दोनों पैरों के बीच डेढ़ से दो फुट की दूरी रखें। अब कंधों की सीध में दोनों हाथों को फैलाएं। इसके बाद बाएं हाथ को दाएं कंधे पर रखें और दाएं हाथ को पीछे से बाईं ओर लाकर धड़ से लपेटे। सांस क्रिया सामान्य रूप से करते हुए मुंह को घुमाकर बाएं कंधों की सीध में ले आएं। इस स्थिति में कुछ समय तक खड़े रहें और फिर दाईं तरफ से भी इस क्रिया को इसी प्रकार से करें। इस क्रिया को दोनों हाथों से 5-5 बार करें। ध्यान रखें कि कमर को घुमाते हुए घुटने न मुड़े तथा पैर भी अपने स्थान से बिल्कुल न हिलें।
दूसरी विधि- इसके लिए पैरों के बीच 1 फुट की दूरी रखकर सीधे खड़े हो जाएं। दोनों हाथों कोकंधों की सीध में सामने की ओर करें तथा दोनों हथेलियों को आमने-सामने रखें। अब सांस सामान्य रूप से लेकर हाथों को धीरे-धीरे घुमाकर दाईं बगल में कंधे की सीध में ले आएं। अब शरीर को भी धीरे-धीरे घुमाते हुए मुंह को बाईं ओर कंधे के सामने लाएं। इस स्थिति में दाएं हाथ को कंधे की सीध में रखें तथा बाएं हाथ को कोहनी से मोड़कर छाती से थोड़े आगे करके रखें। इस तरह इस क्रिया को दूसरी तरफ से भी करें।
बच्चे का मन पढ़ाई में न लगे तो..
बच्चे का मन पढ़ाई में न लगे तो….
यदि आपके बच्चे-बच्चियाँ पढ़ाई में ध्यान न देते हों, आलसी अथवा चंचल हों
और आप चाहते हें कि वे पढ़ाई में ध्यान दें तो क्या करें ? डाँटने,
फटकारने, मारने से काम नहीं चलेगा। बेटे-बेटी को ज्यादा डाँट-फटकारें तो
वे सोचते हैं कि ‘ये तो मुझे डाँटते ही रहते हैं !’
इसके लिए एक छोटा सा प्रयोग है। अशोक वृक्ष के तीन-तीन पत्तों से बंदनवार
(तोरण) बनाकर बच्चे के कमरे के दरवाजे की चौखट पर गुरुवार के दिन बाँध
दें और संकल्प करें कि मेरे बच्चे का मन पढ़ाई में लगे। अगले गुरुवार को
पहले वाले उतारकर ताजे पत्तों की नयी बंदनवार लगा दें। फिर तीसरे गुरुवार
भी ऐसा करें। इस प्रकार तीन गुरुवार के बाद एक गुरुवार छोड़ दें। तीन-तीन
करके कुल नौ गुरुवार तक यह प्रयोग करें। इससे लाभ होगा।
विद्यार्थी के लिए……..
नवरात्रि के दिनों में खीर की २१ या ५१ आहुति गायत्री मंत्र बोलते हुए
दें । इससे विद्यार्थी को बड़ा लाभ होगा।
यादशक्ति बढाने और बुद्धिमान बन्ने के लिए……
बुद्धू से बुद्धू छोरे भी सुबहमे ‘ गं गं गं गणपते नमः । ‘ का जप कर के
सारस्वत्य मंत्र का जप करे तो बुद्धिमान होगे ।
पढ़ते समय नींद आना……..
जिनको पढ़ते समय नींद आती हो, वे पान के पत्ते में १ लौंग डालकर चबा लें,
तो नींद नहीं आयेगी ।
बुद्धि के विकास के लिए इन से सावधान रहे……
कभी भी जूठे मुँह अपना हाथ सिर पर न जाए , नहीं तो बुद्धि का विकास रुक
जाता है… कफ़ की वृद्धि बुद्धि के विकास को, श्रवण शक्ति को रोक देती
है ।
जिनकी स्मरणशक्ति कमजोर हो…….
अथर्ववेद की गणेश उपनिषद के अनुसार जिनकी स्मरणशक्ति कमजोर है, ऐसे
विद्यार्थी गुड वाले पानी से गणपतिजी को अभिषेक दें तो वो वारुनी अर्थात
विद्या को शीघ्र कंठस्थ कर लेने वाला बुद्धिमान हो जाता है ।
परीक्षा के दिनों में…….
परीक्षा के दिनों में विद्यार्थी क्या करें ? ” गं…गं …गं …” जपें
और भ्रूमध्य में गणेशजी को देखें या ओंकार को और ” ॐ गं गं गणपतये नमः ‘
ऐसा थोड़ा जप करके फिर पेपर लिखें … सरल तो लिख दो ..लेकिन कठिन है तो
जीभ तालू में लगा दो और भ्रूमध्य में ॐ को या गं…गं को देखो फिर लिखो
सरल तो सरल होगा …कठिन का बाप भी सरल हो जायेगा . मार्क्स अच्छे आएंगे।
यादशक्ति व बल बढ़ाने के लिए……..
यादशक्ति और बल बढ़ाना है तो काजू (३ काजू बच्चे व ५ काजू बड़े) व मधु
ज़रा लगा के चबा-चबा के खाएं । इससे यादशक्ति व बल बढेगा । पेट की वायु
सम्बन्धी बीमारियाँ दूर होंगी ।
परीक्षा के समय……..
विद्यार्थी जब पेपर देने जाए तब ….थोड़ी – थोड़ी देर में ….. जीभ तालू
में लगाये रखो … याद आयेगा मानसिक संतुलन अच्छा बना रहेगा … पेपर
अच्छा जायेगा ।
विद्यार्थी आचरण……
विद्यार्थी जीवन में बच्चों को ठांस-ठांस कर नहीं खाना चाहिये । इससे
बुद्धि बैल के जैसी मंद हो जाती है और बीमारियाँ पकडती हैं । जो भोजन
अच्छे से पच जाए, उससे ही पौष्टिक तत्व मिल जाते हैं ।
काक चेष्टा बको ध्यानं, श्वान निद्रा तथैव च ।
अल्पहारी गृह त्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणं ॥
जब खाना खाने का मन ही न करे तो आजमाएं ये अचूक नुस्खे
कहते हैं भूखे पेट भजन ना होय – यह उक्ति अक्षरश: सत्य है, और भूख न लगना अनेक रोगों में एक लक्षण भी होता है।
-अगर भूख लगी हो और भोजन भी स्वादिष्ट हो ,फिऱ भी भोजन अच्छा न लग रहा हो तो -अरुचि ,
भोजन का नाम सुनने ,स्मरण करने ,देखने या स्पर्श करने से या गंध से ही अनिच्छा,उद्वेग और द्वेष होना -भक्त्द्वेश,
क्रोध के कारण ,डर जाने से या द्वेष के कारण मन के अनुकूल भोजन रहने पर भी भोजन ग्रहण करने क़ी इच्छा न होना – अभक्तछंद के नाम से जाना जाता है।
आयुर्वेद इन सभी के पीछे शारीरिक और मानसिक कारण मानता है, आधुनिक विज्ञान भी गेस्ट्राइटीस,गेस्ट्रिककैंसर ,एनीमिया ,हाईपोक्लोरोहाईड्रीया आदि कारणों से इसे उत्पन्न होना मानता है। मानसिक कारणों में शोक,लोभ, क्रोध तथा मन के लिए अरुचि उत्पन्न करने वाले कारणों से इसकी उत्पत्ति माना गया है।
आइये आपको हम कुछ साधारण आयुर्वेदिक नुस्खे बताते हैं जिससे इसे दूर किया जा सकता है ,लेकिन इनका सेवन आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श से हो तो बेहतर होगा।
-भूना सफेद जीरा -250 मिलीग्राम ,सैंधा नमक -125 मिलीग्राम ,भूनी हींग -500 मिलीग्राम,चीनी – 250मिलीग्राम ,काली मिर्च -125 मिलीग्राम ,पीपर-250 मिलीग्राम इन सबको सुबह- शाम देने से रोगी में लाभ मिलता है।
-काली मिर्च-250मिलीग्राम ,सौंफ-250मिलीग्राम ,सैंधा नमक -250 मिलीग्राम ,जीरा -250मिलीग्राम ,चीनी -2.5 ग्राम एवं भूनी हींग 500मिलीग्राम को चूर्ण के रूप में सुबह शाम गुनगुने पानी से लेना फायदेमंद रहता है।
-एक ही प्रकार के भोजन को लगातार लेने से बचना चाहिए।
-रोगी को मनोनकूल सादा एवं हल्का भोजन देना चाहिए।
-भोजन से पूर्व अदरख या सौंठ का प्रयोग भी भूख बढाता है।
-कई बार मानसिक तनाव के कारण भी भूख नहीं लगती है,ऐसे में तनाव मुक्त होने मात्र से भूख लगने लगती है।
अत: हमें अपनी अग्नि का खय़ाल रखते हुए सात्विक,हल्का एवं स्वच्छ एवं पौष्टिक व् संतुलित आहार लेना चाहिए ,कहा भी गया है ‘जैसा खाओगे अन्न वैसा रहेगा मन।
4 बूंद नाक में डालो, बेहोश व्यक्ति तत्काल होश में आएगा
प्रकृति ने मनुष्य को ऐसे-ऐसे वरदानों से नवाजा है कि वह चाहे तो भी जीवनभर उनसे उऋण नहीं हो सकता है। तुलसी भी ऐसा ही एक अनमोल पौधा है जो प्रकृति ने मनुष्य को दिया है। सामान्य से दिखने वाले तुलसी के पौधे में अनेक दुर्लभ और बेशकीमती गुण पाए जाते हैं। आइये जाने कि तुलसी का पूज्यनीय पौधा हमारे किस-किस काम आ सकता है-
– शरीर के वजन को नियंत्रित रखने हेतु भी तुलसी अत्यंत गुणकारी है।
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इसके नियमित सेवन से भारी व्यक्ति का वजन घटता है एवं पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है यानी तुलसी शरीर का वजन आनुपातिक रूप से नियंत्रित करती है।
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तुलसी के रस की कुछ बूंदों में थोड़ा-सा नमक मिलाकर बेहोंश व्यक्ति की नाक में डालने से उसे शीघ्र होश आ जाता है।
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चाय(बिना दूध की)बनाते समय तुलसी के कुछ पत्ते साथ में उबाल लिए जाएं तो सर्दी,बुखार एवं मांसपेशियों के दर्द में राहत मिलती है।
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10 ग्राम तुलसी के रस को 5 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से हिचकी एवं अस्थमा के रोगी को ठीक किया जा सकता है।
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तुलसी के काढ़े में थोड़ा-सा सेंधा नमक एवं पीसी सौंठ मिलाकर सेवन करने से कब्ज दूर होती है।
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दोपहर भोजन के पश्चात तुलसी की पत्तियां चबाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है।
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10 ग्राम तुलसी के रस के साथ 5 ग्राम शहद एवं 5 ग्राम पिसी कालीमिर्च का सेवन करने से पाचन शक्ति की कमजोरी समाप्त हो जाती है।
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दूषित पानी में तुलसी की कुछ ताजी पत्तियां डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है।
सरल वास्तु टिप्स(Simple Vastu Tips)
- घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाएं। इससे परिवार में प्रेम बढ़ता है। तुलसी के पत्तों के नियमित सेवन से कई रोगों से मुक्ति मिलती है।
- ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) को हमेशा साफ-सुथरा रखें ताकि सूर्य की जीवनदायिनी किरणें घर में प्रवेश कर सकें।
- भोजन बनाते समय गृहिणी का हमेशा मुख पूर्व की ओर होना चाहिए। इससे भोजन सुपाच्य और स्वादिष्ट बनता है। साथ ही पूर्व की ओर मुख करके भोजन करने से व्यक्ति की पाचन शक्ति में वृद्धि होती है।
- जो बच्चे में पढ़ने में कमजोर हैं, उन्हें पूर्व की ओर मुख करके अध्ययन करना चाहिए। इससे उन्हें लाभ होगा।
*जिन कन्याओं के विवाह में विलम्ब हो रहा है, उन्हें वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) के कमरे में रहना चाहिए। इससे उनका विवाह अच्छे और समृद्ध परिवार में होगा। - रात को सोते वक्त व्यक्ति का सिर हमेशा दक्षिण दिशा में होना चाहिए। कभी भी उत्तरदिशा की ओर सिर करके नहीं सोना चाहिए। इससे अनिद्रा रोग होने की संभावना होती है साथ ही व्यक्ति की पाचन शक्ति पर विपरीत असर पड़ता है।
- घर में कभी-कभी नमक के पानी से पोंछा लगाना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है।
*घर से निकलते समय माता-पिता को विधिवत (झुककर) प्रणाम करना चाहिए। इससे बृहस्पति और बुध ठीक होते हैं। इससे व्यक्ति के जटिल से जटिल काम बन जाते हैं। - घर का प्रवेश द्वार एकदम स्वच्छ होना चाहिए। प्रवेश द्वार जितना स्वच्छ होगा घर में लक्ष्मी आने की संभावना उतनी ही बढ़ जाती है।
- प्रवेश द्वार के आगे स्वस्तिक, ॐ, शुभ-लाभ जैसे मांगलिक चिह्नों को उपयोग अवश्य करें।
- प्रवेश द्वार पर कभी भी बिना सोचे-समझे गणेशजी न लगाएं। दक्षिण या उत्तरमुखी घर के द्वार पर ही गणेशजी लगाएं।
- विवाह पत्रिका कभी भूलकर भी न फाड़े क्योंकि इससे व्यक्ति को गुरु और मंगल का दोष लग जाता है।
- घर में देवी-देवताओं की ज्यादा तस्वीरें न रखें और शयन कक्ष में तो बिलकुल भी नहीं।
- शयन कक्ष में टेलीविजन कदापि न रखें क्योंकि इससे शारीरिक क्षमताओं पर विपरीत असर पड़ता है।
- दफ्तर में काम करते समय उत्तर-पूर्व की ओर मुख करके बैठें तो शुभ रहेगा, जबकि बॉस (कार्यालय प्रमुख) का केबिन नैऋत्य कोण में होना चाहिए।
- घर के भीतर शंख अवश्य रखें। इससे बजाने से 500 मीटर के दायरे में रोगाणु नष्ट होते हैं।
- पक्षियों को दाना खिलाने और गाय को रोटी और चारा खिलाने से गृह दोष का निवारण होता है।
प्लाट के लिए जमीन का चयन करने के लिए वास्तु टिप्स
प्लाट के लिए जमीन का चयन करने के लिए वास्तु टिप्स :
मकान निर्माण के लिए वास्तु अनुसार शुभ भूमि का चयन करते समय निम्नलिखित बाते मुख्तया ध्यान रखने वाली हें :
- प्लाट के चारो कॉर्नर समकोण पर हो अर्थात प्लाट का आकार आयताकार यावर्गाकार हो. यदि प्लाट उत्तर-पूर्व दिशा में बढ़ा हुआ हो तो भी ठीक है पर दक्षिण-पशिम और दक्षिण-पूर्व में बढ़ा हुआ भूखंड उपयुक्त नहीं होता हें.
- दो बड़े प्लाट की बीच स्थित एक अपेक्षाकृत छोटा प्लाट आर्थिक समृद्धि के लिए उपयुक्त नहीं होता हें.
- प्लाट के पूर्व, उत्तर एवं उत्तर पूर्व दिशा में कोई बड़ा या भारी निर्माण नहीं होना चाहिए.
- यदि प्लाट के उतर-पूर्व मे कोई पानी का स्थान हें तो यह शुभ होगा पर दक्षिण-पशिम दिशा मे पानी का स्थान कदापि नहीं होना चाहिए.
- प्लाट समतल होना चाहिए, यही प्लाट समतल नहीं हे पर ढलान उत्तर या पूर्व दिशा की और होना चाहिए. दक्षिण या पशिम दिशा की और का ढलान नहीं होना चाहिए.
- प्लाट टी (T) पॉइंट पर नहीं होना चाहिए यानि प्लाट के किसी भी दिवार पर पर आकार कोई रास्ता बंद नहीं हो जाना चाहिए.
- प्लाट मंदिर, मकबरा, शमशान के सामने नहीं होना चाहिए एवं उस पर मंदिर अथवा पीपल के पेड की छाया पड़नी चाहिए.
प्लाट की दिशाये:
- पूर्वमुखी प्लाट (East Facing Plot) : पूर्व को देखता हुआ प्लाट शिक्षा, धर्म एवं अध्यात्म के कार्य मे लगे व्यक्तियो के लिए उपयुक्त होता हें.
- पश्चिम मुखी प्लाट (West Facing Plot) : पश्चिम को देखता हुआ प्लाट समाज को सर्विस प्रदान करने वालों लोगो जैसे की डाक्टर के लिए उपयुक्त होता हें.
- उत्तर मुखी प्लाट (North Facing Plot) : उत्तर को देखता हुआ प्लाट, सरकारी सेवा,पुलिस, सेना मे कम करने वालो के लिए उत्तम होता हें. यह अधिकारों में वृद्धि के लिए अच्छा हें.
- दक्षिण मुखी (South Facing Plot) : दक्षिण को देखता हुआ प्लाट व्यापारियों एवं व्यापारिक संस्थानों में कार्य करने के लिए उपयुक्त होता हें.
सौन्दर्य का खजाना
पहला प्रयोगः खुली हवा में घूमने से, कच्ची हल्दी का सेवन करने से तथा सप्ताह में एक बार 2 से 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण को गर्म पानी के साथ लेने से सौन्दर्य बढ़ता है।
दूसरा प्रयोगः मसूर की दाल के आटे को शहद में मिलाकर लगाने से मुख सुन्दर होता है।
तीसरा प्रयोगः कोहनी की कठोरता एवं कालिमा को दूर करने के लिए रस निकले हुए आधे नींबू में आधी चम्मच शक्कर डालकर घिसें। कोहनी साफ और कोमल हो जायेगी।
घर में लगाइये मच्छरों को दूर भगाने वाले पौधे
मच्छरों को भगाने के लिए ऐसे पौधे आपके आसपास ही मौजूद हैं। तुलसी, गेंदा, रोजमेरी और लौंग कुछ ऐसे ही पौधों के उदाहरण हैं जिन्हें लगा कर आप मच्छरों से भी बच जाएंगे और आपके पैसे भी नहीं खर्च होंगे। साथ ही आप कैमिकल्स के प्रभाव से भी बचे रहेंगे। आइए जानते हैं इन पौधों के बारे में:
- गेंदे का फूल : यह बहुत ही आम फूल है और हर घर में पाया जाता है। इसकी गंध बहुत तीखी होती है इसलिए यह मच्छरों को दूर भगाने में सहायक होता है। इसके आसपास तक मच्छर नहीं फटकते हैं।
- सिट्रोनेला : : दरअसल, यह एक घास की प्रजाति का एक पौधा है जिसमें से नींबू की तरह सिट्रस की खुशबू आती है।
- तुलसी : : हर हिंदू घर में तुलसी का पौधा जरूर होता है। इसकी तेज खुशबू मच्छरों को परेशान कर देती है और वे भाग जाते हैं।
- हार्समिंट : : यह एक तरह का मिंट पौधा है जिसमें से कसैली गंध आती है। इसको लगा कर आप मच्छरों को दूर रख सकते हैं।
- विडालपर्णास : : इस पौधे में मच्छरों को भगाने वाले क्वॉयल और स्प्रे से कहीं ज्यादा कैमिकल होता है।
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लेमन बाल्म : यह दिखने में पुदीने के पौधे की तरह लगता है, लेकिन इसमें नींबू की महक आती है। इस पौधे को घर में रखें या बाहर लगाएं, आपको पूरा फायदा होगा।
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लैवेंडर : : इस पौधे की खुशबू बड़ी तेज होती है इसलिए यह मच्छरों को भगाने का काम कर सकती है।
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रोजमेरी : : इस पौधे के कई स्वास्थ्यवर्धक फायदे हैं। यह एंटी बैक्टीरियल होता है और गार्डन में लगाने पर मच्छर और कीट दोनों का ही सफाया होता है।
लौंग: इस मसाले में बहुत तेज खुशबू होती है, जिसको सूंघने से मच्छर ज्यादा देर तक नहीं टिकते।
मच्छरों से करें बचाव
-घर या ऑफिस के आस-पास पानी जमा न होने दें, गड्ढों को मिट्टी से भर दें और रुकी हुई नालियों को साफ करें।
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अगर पानी जमा होने से रोकना मुमकिन नहीं है तो उसमें पेट्रोल या केरोसीन ऑइल डालें।
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रूम कूलरों, फूलदानों का सारा पानी हफ्ते में एक बार और पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह से खाली करें, उन्हें सुखाएं और फिर भरें। घर में टूटे-फूटे डिब्बे,टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें। अगर रखें तो उलटा करके रखें।
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डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं इसलिए पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें।
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अगर मुमकिन हो तो खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर में आने से रोकें।
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ऐसे कपड़े पहनें, जिनसे शरीर का ज्यादा-से-ज्यादा हिस्सा ढका रहे। खासकर बच्चों के लिए यह सावधानी बहुत जरूरी है। बच्चों को मलेरिया सीजन में निकर व टी-शर्ट न पहनाएं।
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रात को सोते समय मच्छरदानी लगाएं।