- फेफड़ों की नसों पर दबाव के कारण होती है खांसी।
- तीन सप्ताह से अधिक खांसी टीबी का संकेत है।
- शहद और नींबू में एंटीबैक्टीरियल गुण पाये जाते हैं।
- ये प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत भी बनाते हैं।
- मौसम के बदलने के साथ सर्दी-जुकाम की समस्या होती है और उसके कारण भी खांसी भी होती है। लोग इसे हल्के में लेते हैं, लेकिन अगर खांसी तीन सप्ताह या उससे अधिक समय तक रहती है तो यह टीबी का संकेत हो सकती है। इसके अलावा दमा या स्वाइन फ्लू के कारण भी खांसी हो सकती है। इस स्थिति में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। सामान्यतया लोग खांसी के उपचार के लिए चिकित्सक के पास जाने से बचते हैं। तो क्यों न घर में मौजूद शहद और नींबू से इसका उपचार किया जाये। इस लेख में विस्तार से जानिये कि नींबू और शहद खांसी के लिए कितने फायदेमंद हैं।
क्यों आती है खांसी
चिकित्सकों का मानना है कि खांसी अपने आप में कोई रोग नहीं होता, बल्कि यह शरीर की सामान्य प्रतिक्रिया अथवा किसी बीमारी का संकेत होती है। लेकिन ऐसे में भी खांसी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। आमतौर पर खांसी का कारण इंसान के फेफड़ों, सांस नली या गले में संक्रमण होता है। दरअसल, यह एक ऎसा मैकेनिज्म है, जो शरीर में होने वाली किसी समस्या की तरफ भी इशारा करता है हमें बीमारियों के लिए एक प्रकार का संकेत भी देता है।
क्या हैं खांसी के कारण
खांसी के लिए कई कारणों को जिम्मेदार माना जा सकता है। फेफड़ों की नसों पर अधिक दबाव होने या दिल का एक हिस्सा बड़ा हो जाने पर भी खांसी की समस्या होने लगती है, इसे दिल का अस्थमा कहते हैं। लगातार और लम्बे समय तक चलने वाली खांसी किसी बड़ी बीमारी का कारण या संकेत हो सकती है। दमा, गले में संक्रमण, टॉन्सिलाइटिस, फेरनजाइटिस, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों का संक्रमण, निमोनिया के कारण खांसी हो सकती है। लगातार तीन हफ्ते या इससे ज्यादा चलने वाली खांसी टीबी का संकेत हो सकती है।
शहद और नींबू
खांसी के उपचार के लिए बहुत पहले से ही शहद और नींबू का प्रयोग किया जा रहा है। शहद में ऐसे एंटीबैक्टीरियल तत्व पाये जाते हैं जो खांसी का संक्रमण फैलाने वाले कीटाणुओं से बचाव करते हैं। इसके अलावा शहद में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर, मैगनीज, सेलेनियम और फ्लोरॉयड होता है जो हमारी कोशिकाओं को बनने में मदद करता है। शहद हमारे शरीर के लिए एंटी-ऑक्सीडेंट की तरह है।
नींबू में विटामिन सी पाया जाता है। नींबू का जूस और नींबू पानी भी शरीर के लिए फायदेमंद है। विटामिन सी हमारे शरीर के लिए जरूरी विटामिन में से एक है जो इम्यून सिस्टम के लिए जरूरी है और यह बहुत ही शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट है। इसके अलावा यह शरीर में संक्रमण पैदा करने वाले कीटाणुओं से बचाव करता है।
खांसी को सामान्य समस्या की तरह न लें, तीन सप्ताह से अधिक आने वाली खांसी टीबी का संकेत है। ऐसी स्थिति में चिकित्सक से संपर्क जरूर करें।
चिकन पाक्स
- चिकनपॉक्स होने पर बहुत अधिक ऑयली भोजन से बचना चाहिए।
- इस दौरान बुखार होने पर एस्प्रिन का सेवन नहीं करना चाहिए।
- इसके साथ ही तैलीय पदार्थों से दूर रहने में ही है आपका फायदा।शरीर में तेजी से खुजली होना, लाल दाने निकल आना इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। घरेलू उपचार से इसका इलाज संभव है।ठंड समाप्त होने के बाद गर्मी की शुरूआत हो जाती है। ऐसे में अगर शरीर का ध्यान ठीक से नहीं रखा जाए तो कई वायरल संबंधित बीमारियां जैसे चिकन पाक्स, खेसरा, काला जार व डायरिया होने की संभावना बढ जाती है।
लेकिन बच्चों में चिकन पाक्स का खतरा बढ जाता है। ज्यादातर 1 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक के बच्चों में चिकन पाक्स का खतरा ज्यादा होता है। खान-पान में आई अनियमितता चिकन पाक्स के फैलने का प्रमुख कारण होती है।
चिकन पाक्स के घरेलू नुस्खे
- चिकन पाक्स में शरीर में बहुत तेज खुजली होती है। खुजली से बचने के लिए जई के आटे को पानी में मिलाकर स्नान करना चाहिए। 2 लीटर पानी में 2 कप जई का आटा मिलाकर लगभग 15 मिनट तक उबालें, पके आटे को एक कॉटन के बैग में अच्छी तरह से बांधकर बॉथ टब में डालकर बच्चे को नहलाएं।
- आधा कप भूरे सिरके को पानी में डालकर नहाने से शरीर में हो रही खुजली से निजात पायी जा सकती है।
- नींबू का रस पीने से चिकन पाक्स में राहत मिलती है। सब्जी का जूस और अन्य फलों का जूस भी इसमें राहत देता है।
- नीम की पत्तियों को गर्म पानी में डालकर नहाने से खुजली समाप्त होती है।
- आधा चम्मच बेकिंग सोडा को एक गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर पूरे शरीर पर लगाइए, लेप को सूखने दीजिए। इससे चिकनपॉक्स जल्द ठीक हो जाता है।
- आधा कप सेब के सिरके को हल्के गर्म पानी में मिलाकर नहाने से राहत मिलती है।
- विटामिन-ई युक्त तेल को शरीर पर लगाइए, राहत मिलेगी।
- चिकन पाक्स में गाजर बहुत लाभकारी होता है। उबले गाजर और धनिया को खाने से चिकन पाक्स से आई कमजोरी को कम किया जा सकता है। गाजर और धनिया का सूप बनाकर पीने से राहत मिलती है।
- तुलसी, गेंदा और कैमोमाइल को मिलाकर चाय बनाइए फिर उसमें शहद या नींबू मिलाकर पीजिए। इन सबसे मिलकर बनी चाय को दिन में कई बार पीने से राहत मिलती है।
- हरी मटर को पानी में पकाइए, इसके पानी को शरीर में लगाइए, इससे चिकन पाक्स के लाल चकत्ते समाप्त होते हैं।
- शरीर में खुजली होने पर शरीर में लगाने वाला कोई भी पावडर लगाइए। अपने नाखून से चकत्तों को हटाने की कोशिश मत कीजिए, इससे यह फैलता है।
- लाल चकत्तों पर शहद लगाइए। शहद लगाने से चकत्ते समाप्त होते हैं। शहद लाल चकत्तों को हटाने का सबसे कारगर घरेलू नुस्खा है।
- चिकन पाक्स के समय खान-पान का उचित ध्यान रखें। मसालेदार और ऑयली खाना खाने से बचें।
- चिकनपॉक्स होने पर विटामिन ई का तेल लगायें। इससे जल्द आराम मिलता है।
- बाथ टब में ठंडा पानी लें और उसमें अदरक डालकर तीस मिनट तक छोड़ दें। उसके बाद इस पानी में बैठ जाएं। इससे चिकनपॉक्स की खुजली में आराम मिलता है।
चिकनपॉक्स के किसी मरीज को कभी एस्प्रिन नहीं देनी चाहिए। इससे उसकी हालत खराब हो सकती है। और चिकनपॉक्स में बुखार होने पर बिना डॉक्टरी सलाह के कोई दवा न दें। चिकन पाक्स होने पर बाहर और भीड वाली जगह पर जाने से परहेज करें। हो सके तो इस दौरान लोगों से दूर रहें।
वायरल बुखार
- वायरल बुखार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा।
- नींबू को तलेवों पर रगड़ने से मिलता है आराम।
- स्नान करने से भी होता है फायदा।
- बुखार में शरीर का तापमान नियंत्रित करना जरूरी।
- तेज बुखार अपने आप में कोई बीमारी नहीं है, यह किसी छुपी हुई परिस्थिति का संकेत हो सकता है। आमतौर पर यह बुखार या तबीयत खराब का संकेत हो सकता है।हालांकि, बुखार के कई गैर-संक्रामक कारण भी हो सकते हैं, लेकिन वायरल संक्रमण बुखार का एक सामान्य लक्षण हो सकता है। वायरल संक्रमण कई प्रकार के वायरस से हो सकता है। इनमें इंफ्लूएंजा यानी फ्लू सबसे ज्यादा प्रचलित है। वायरल शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकता है जैसे आंत, फेफड़े, वायु मार्ग और अन्य कई हिस्से। इस बात से कोई अंतर नहीं पड़ता कि आपके शरीर का कौन सा हिस्सा इससे प्रभावित हुआ है, आपको सामान्य तौर पर बुखार की शिकायत होती है। इसके अलावा सिरदर्द, बहती नाक, गले में सूजन, आवाज बैठना, खांसी, मांसपेशियों में दर्द, पेट में दर्द, डायरिया और/अथवा उल्टी जैसी शिकायतें हो सकती हैं।
जब आपको बुखार होता है, तो इसका अर्थ है कि बीमारी या संक्रमण की प्रतिक्रिया के रूप में आपके शरीर का तापमान बढ़ गया है। विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि बुखार संक्रमण के प्रति शरीर की कुदरती प्रतिरक्षा का हिस्सा है। गर्मी से शरीर संक्रमण को नष्ट करने का काम करता है।
और यह बात समझ लें कि एंटी बायोटिक्स का संक्रमण पर कोई असर नहीं होगा। ऐसे में आप कुछ घरेलू उपाय आजमा सकते हैं।
स्नान करें
गुनगुने या ठंडे पानी के टब में बैठने से आपको बेहतर महसूस होगा।
गर्मी को नियंत्रित रखें
कमरे के तापमान को कम करें इसके लिए आप खिड़की खोल सकते हैं। और अगर ठंड हो तो अपने पास एक गर्म कंबल रखें। अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए उन कपड़ों का इस्तेमाल करने के बजाय जिन्हें उतारना मुश्किल हो, कंबल का इस्तेमाल बेहतर रहता है। ठंडा भोजन करने से भी आपको मदद मिल सकती है।
खूब पानी पियें
वायरल की हालत में आपको खूब पानी पीना चाहिये। इसके अलावा जूस और कैफीन रहित चाय का सेवन करें। ज्यादातर फलों में एंटी-ऑक्सीडेंट्स पाये जाते हैं जिनका सेवन करने से आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं। अगर आपको डायरिया या उल्टी की शिकायत है तो इलेक्ट्रॉल का सेवन आपके लिए फायदेमंद होगा। इसके अलावा, नींबू, लैमनग्रास, पुदीना, साग, शहद आदि भी आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
नींबू के पानी की जुराब
एक कप गर्म पानी में एक नींबू का रस निचोड़ लें। इस पानी में रूई के पतले फोहे डुबो लें। अतिरिक्त पानी को निचोड़ लें और इसे जुराबों के जोड़े में डालकर रात भर पहनकर सो जाएं।
ठंडी और गर्म जुराब
एक कटोरा गर्म पानी और एक कटोरा ठंडा पानी लें। अब एक जुराब को ठंडे पानी में डुबोयें और इस दौरान अपना दूसरा पैर एक मिनट के लिए गर्म पानी में डुबोकर रखें। इसके बाद अतिरिक्त पानी को निचोड़कर उसे पहन लें। फिर उस जुराब के ऊपर दो अन्य जुराबें भी पहन लें। इस जुराब को कुछ घंटे तक पहने रखें।
नींबू
नींबू को बीच में से काट लें और फिर इस टुकड़े से पैरों के तलों पर मसाज करें। आप चाहें तो नींबू के इस कटे हुए टुकड़े को जुराबों में डालकर सारी रात पहनकर रख सकते हैं।
सिरका
अपने नहाने के पानी में आधा कप सिरका मिला लें और कम से कम दस मिनट तक उसे ऐसा ही रहने दें। इस पानी से नहाने से भी आपको फायदा होता है। आप चाहें तो आलू के कुछ टुकड़ों को सिरके में डुबोकर इसे अपने माथे पर बांध लें।
मुंह के छालों से हैं परेशान तो खायें आंवला
- छालों की समस्या से बचने में मददगार है आंवला।
- विटामिन सी की कमी से होती है, छालों की समस्या।
- आंवला विटमिन सी का सबसे अच्छा स्रोत होता है।
- आंवला का पेस्ट छालों पर लगाने से फायदा होता है।
- सेहत संबंधी कई समस्याओं को रोग नहीं कहा जा सकता, लेकिन दर्द, संक्रमण, खाने में दिक्कत आदि समस्याओं के चलते यह हमारे लिए परेशानी का कारण बन सकता है। मुंह के छाले इनमें से एक ऐसी ही समस्या है। मुंह के छाले वैसे तो बहुत छोटे होते हैं लेकिन इनमें दर्द बहुत होता हैं। आमतौर पर ये छाले शरीर में पौष्टिकता की कमी के कारण होते हैं। लेकिन कभी-कभी खराब जीवनशैली या खान-पान में गड़बड़ी के कारण भी मुंह में छाले की समस्या उत्पन्न होती है। वैसे तो डॉक्टर इलाज के रूप में मल्टीविटामिन देते हैं जिससे छाले धीरे-धीरे ठीक होने लगते हैं लेकिन छालों की समस्या से बचने के लिए आप घरेलु नुस्खे के रूप में आंवला को अपना सकते हैं।
आंवला
आंवला विटमिन सी का प्रमुख स्रोत है। इसमें मौजूद विटमिन कभी भी खत्म नहीं होता। आंवले के रस में संतरे के रस की तुलना में 20 गुना अधिक विटामिन सी पाया जाता है। इसके अलावा इसमें गैलिक एसिड, टैनिक एसिड, शुगर और कैल्शियम भी पाया जाता है। आंवले को आयुर्वेद में ‘रसायन’ वर्ग में रखा गया है। अर्थात इसमें शरीर को पोषण करने के गुण होते है। आधुनिक संदर्भ में इसे बेहतरीन एंटी ऑक्सीडेंट माना गया है। अत: इसके सेवन से व्यक्ति सदा स्वस्थ रहता है। इतना ही नहीं ये मुंह के छालों को भी दूर करने में कारगर होता है। आंवला फल के सीधे सेवन के अलावा चूर्ण एवं स्वरस के रूप में इसका सेवन किया जा सकता है।
मुंह के छालों के लिए आंवला
मुंह में छालों की समस्या विटामिन सी की कमी के कारण भी होती है, इसलिए विटामिन सी से भरपूर आहार के सेवन से छालों की समस्या से राहत पाई जा सकती है। और आंवला में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होती है। मुंह के छाले होने पर यदि आंवले की पत्तियों को चबाया जाए, छालों में आराम मिल जाता है। साथ ही आंवला के पत्तों का काढ़ा बनाकर मुंह में कुछ देर रखकर दिन में 2 से 3 बार गरारे व कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा आंवला उबालकर पेस्ट बनाएं और छाले पर लगाएं। इससे भी छाले ठीक हो जाते है। आइए, आंवले के कुछ अन्य गुणों के बारे में भी जानते हैं।
डायबीटीज भी करता है कंट्रोल
शरीर में पैनक्रियाज का ब्लड ग्लूकोज स्तर कंट्रोल न कर पाना डायबिटीज होने का संकेत देता हैं। और आंवला डायबीटीज कंट्रोल करने में भी काफी फायदेमंद होता है। आंवले के सूखे फलों और पत्तियों की समान मात्रा लेकर उसे पीस लें। फिर इस मिश्रण में हल्दी का चूर्ण मिलाकर, दिन में कम से कम दो बार खाने के बाद लिया जाए तो डायबीटीज पर कंट्रोल पाया जा सकता है।
- पेट की समस्याओं में फायदेमंदपेट की समस्याओं के लिए आंवला बहुत फायदेमंद होता है, इसमें मौजूद लेक्सेटिव क्वॉलिटीज की वजह से यह डायरिया जैसी परेशानियों को दूर करने में बहुत फायदेमंद होता है। साथ ही पेट में बहुत ज्यादा जलन हो तो बस एक आंवला ले लीजिए। अगर जरूरत से ज्यादा एसिडिटी हो तो एक ग्राम आंवला पाउडर में थोड़ी सी चीनी मिलाकर पानी या दूध के साथ ले लें तो इससे काफी आराम मिलता है। एक रिसर्च के अनुसार, खाना खाने से पहले आंवले का पाउडर, शहद और मक्खन मिलाकर खाने से भूख अच्छी लगती है।
एनर्जी देता है आंवला
शारीरिक ताकत और मजबूती के लिए आंवले को उत्तम माना गया है। आंवले के फलों के चूर्ण के साथ अगर गिलोय के तने का चूर्ण भी मिला लिया जाए, तो शरीर में ऊर्जा का जबरदस्त संचार होता है।
अन्य लाभ
- शहद के साथ आंवले के चूर्ण को खाने से भी मानसिक ताकत बढ़ती है। आंवले को तिल के साथ मिलाकर 20 दिनों तक हर दिन सुबह खाली पेट खाया जाए, तो शरीर को चुस्त होने में वक्त नहीं लगता है।
- आंवला और छोटी पीपली का चूर्ण, शहद के साथ चटाने से हिचकियां रोकी जा सकती हैं।
- आंवले का छिलका कूटकर पानी में भिगोकर रखें। इसे कपड़े से साफ छानकर दिन में तीन बार 2-2 बूंद आंखों में टपकाएं।
- पेशाब में जलन होने पर आंवले का रस शहद में मिला कर सेवन करें।
- पथरी होने पर सूखे आंवले का चूर्ण मूली के रस में मिला कर 40 दिन तक सेवन करने से आराम मिलता है।
जोड़ों में कैसा भी दर्द हो ये नुस्खे अचूक हैं
अप्राकृतिक जीवनशैली ने शरीर की दंतुरुस्ती को बुरी तरह से प्रभावित किया है। प्रगति और विकास के नाम पर इंसान ने भले ही सुख-सुविधा के ढेरों-ढेर साधन जुटा लिये हों लेकिन इस पाने के एवज में जो खोया है वह उससे भी ज्यादा कीमती था। चारों तरफ तेजी से फेलते प्रदूषण और नैतिक ह्रास से आधुनिक इंसान शारीरिक और मानसिक दोनों ही स्तरों पर कमजोर और खोखला होता जा रहा है।
हर दिन सैकड़ों नई बीमारियां पैदा हो रही हैं। चिकित्सा विज्ञान जब तक एक रोग का इलाज खोज पाता है, तब तक चार नए रोग सीना तान कर खड़े हो जाते हैं। जोड़ों का दर्द हो भी गलत खान-पान और प्रदूषण के दुष्प्रभाव का ही एक नतीजा है। असल में हमार शरीर इस प्रकृति का ही एक हिस्सा है। इसलिये शरीर से जुड़ी समस्याओं का समाधान भी हमें प्रकृति की गोद में ही मिल सकता है। आइये देखते हैं जोड़ों के दर्द का क्या है उत्तम समाधान….
- दो तीन दिन के अंतर से खाली पेट अरण्डी का 2 से 20 मि.ली. तेल पियें। इस दौरान चाय-कॉफी न लें। साथ में दर्दवाले स्थान पर अरण्डी का तेल लगाकर, उबाले हुए बेल के पत्तों को गर्म-गर्म बाँधने से वात-दर्द में लाभ होता है।
- निर्गुण्डी के पत्तों का 10 से 40 मि.ली. रस लेने से अथवा सेंकी हुई मेथी का कपड़छन चूर्ण तीन ग्राम, सुबह-शाम पानी के साथ लेने से वात रोग में लाभ होता है। यह मेथीवाला प्रयोग घुटने के वातरोग में भी लाभदायक है। साथ में वज्रासन करें।
- लहसुन की 10 कलियों को 100 ग्राम पानी एवं 100 ग्राम दूध में मिलाकर पकायें। पानी जल जाने पर लहसुन खाकर दूध पीने से दर्द में लाभ होता है।
- 250 मि.ली. दूध एवं उतने ही पानी में दो लहसुन की कलियाँ, 1-1 चम्मच सोंठ और हरड़ तथा 1-1 दालचीनी और छोटी इलायची डालकर पकायें। पानी जल जाने पर वही दूध पीयें।
- सिंहनाद गुगल की 2-2 गोली सुबह, दोपहर व शाम पानी के साथ लें।
‘चित्रकादिवटी’ की 2-2 गोली सुबह-शाम अदरक के साथ 20 मि.ली. रस व 1 चम्मच घी के साथ लें।
विशेष:
अपनी क्षमता के अनुसार सुबह के समय आसन विशेषकर सूर्य नमस्कार और प्राणायाम करने से जोड़ों के दर्द से स्थाई रूप से छुटकारा पाया जा सकता है।
पाचन तंत्र ठीक करने के तरीके
- वज्रासन में बैठ के श्वास बाहर निकालें, मन में रं रं….जप करें…….जठरा प्रदीप्त होगी । ५०-६० सेकंड श्वास बाहर रोके और पेट को अंदर बाहर करें तो जह्त्रा प्रदीप्त होने से उस को पाचन ज्यादा चाहिये तो बदले में आम को पचा लेगी ।
- एक सेब ले लो..उस मीठे सेब फल में जितने लगा सके उतने लौंग अंदर भोंक दो…….और वो सेब फल पडा रहे छाया में ७ -११ दिन तक …सेब सड़ जायेगा …और लौंग मुलायम हो जायेगा…वो लौंग बन गया पाचन तंत्र को तेज करनेवाली औषधि….ये पाचन तंत्र के लिए एकदम वरदान है ।
- एक रबड़ का पायदान आता है, जिसके एक तरफ गोल सुराख़ होते हैं और एक तरफ लम्बे नुकीले दाने होते हैं । उस पर रोज़ ५ मिनट खड़े रहें ।
मोटापा दूर करे इस सुंदर उपायों से
- 10 ग्राम शोधन कल्प (आश्रम वाला), १० ग्राम शहद घोल बना के सुबह खाली पेट चाट लो । १-२ बार शौच होगा । इससे मोटापा, कोलेस्ट्रोल दूर होगा ।
पहला प्रयोगः केवल सेवफल का ही आहार में सेवन करने से लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः अरनी के पत्तों का 20 से 50 मि.ली. रस दिन में तीन बार पीने से स्थूलता दूर होती है।
तीसरा प्रयोगः चंद्रप्रभावटी की 2-2 गोलियाँ रोज दो बार गोमूत्र के साथ लेने से एवं दूध-भात का भोजन करने से ‘डनलप’ जैसा शरीर भी घटकर छरहरा हो जायेगा।
चौथा प्रयोगः आरोग्यवर्धिनीवटी की 3-3 गोली दो बार लेने से व 2 से 5 ग्राम त्रिफला का रात में सेवन करने से भी मोटापा कम होता है। इस दौरान केवल मूँग, खाखरे, परमल का ही आहार लें। साथ में हल्का सा व्यायाम व योगासन करना चाहिए।
पाँचवाँ प्रयोगः एक गिलास कुनकुने पानी में आधे नींबू का रस, दस बूँद अदरक का रस एवं दस ग्राम शहद मिलाकर रोज सुबह नियमित रूप से पीने से मोटापे का नियंत्रण करना सहज हो जाता है।
1 : नींबू
25 ग्राम नींबू के रस में 25 ग्राम शहद मिलाकर 100 ग्राम गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से मोटापा दूर होता है।
एक नींबू का रस प्रतिदिन सुबह गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से मोटापे की बीमारी दूर होती है।।
1 नींबू का रस 250 ग्राम पानी में मिलाकर थोड़ा सा नमक मिलाकर सुबह-शाम 1-2 महीने तक पीएं। इससे मोटापा दूर होता है।
नींबू का 25 ग्राम रस और करेला का रस 15 ग्राम मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा नष्ट होता है।
250 ग्राम पानी में 25 ग्राम नींबू का रस और 20 ग्राम शहद मिलाकर 2 से 3 महीने तक सेवन करने से अधिक चर्बी नष्ट होती है।
1-1 कप गर्म पीनी प्रतिदिन सुबह-शाम भोजन के बाद पीने से शरीर की चर्बी कम होती है। इसके सेवन से चर्बी कम होने के साथ-साथ गैस, कब्ज, कोलाइटिस (आंतों की सूजन) एमोबाइसिस और कीड़े भी नष्ट होते हैं।
2 : सेब और गाजर
सेब और गाजर को बराबर मात्रा में कद्दूकस करके सुबह खाली पेट 200 ग्राम की मात्रा में खाने से वजन कम होता है और स्फूर्ति व सुन्दरता बढ़ती है। इसका सेवन करने के 2 घंटे बाद तक कुद नहीं खाना चाहिए।
3 : मूली
मूली का चूर्ण 3 से 6 ग्राम शहद मिले पानी में मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापे की बीमारी से छुटकारा मिलता है।
मूली के 100-150 ग्राम रस में नींबू का रस मिलाकर दिन में 2 से 3 बार पीने से मोटापा कम होता है।
मूली के बीजों का चूर्ण 6 ग्राम और ग्राम यवक्षार के साथ खाकर ऊपर से शहद और नींबू का रस मिला हुआ एक गिलास पानी पीने से शरीर की चर्बी घटती है।
6 ग्राम मूली के बीजों के चूर्ण को 20 ग्राम शहद में मिलाकर खाने और लगभग 20 ग्राम शहद का शर्बत बनाकर 40 दिनों तक पीने से मोटापा कम होता है।
मूली के चूर्ण में शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
4 : मिश्री
मिश्री, मोटी सौंफ और सुखा धनिया बराबर मात्रा में पीसकर एक चम्मच सुबह पानी के साथ लेने से अधिक चर्बी कम होकर मोटापा दूर होता है।
5 : चूना
बिना बुझा चूना 15 ग्राम पीसकर 250 ग्राम देशी घी में मिलाकर कपड़े में छानकर सुबह-शाम6-6 ग्राम की मात्रा में चाटने से मोटापा कम होता है।
6 : सहजन
सहजन के पेड़ के पत्ते का रस 3 चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से त्वचा का ढीलापन दूर होता है और चर्बी की अधिकता कम होती है।
7 : विजयसार
विजयसार के काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।
8 : अर्जुन
अर्जुन के 2 ग्राम चूर्ण को अग्निमथ के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा दूर होता है।
9 : भृंगराज
भृंगराज के पेड़ के ताजे पत्ते का रस 5 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ प्रयोग करने से मोटापा कम होता है।
10 : शहद
120 से 240 ग्राम शहद 100 से 200 मिलीलीटर गुनगुना पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से शरीर का थुलथुलापन दूर होता है।
11 : विडंग
विडंग के बीज का चूर्ण 1 से 3 ग्राम शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा में लाभ मिलता है।
वायविंडग, सोंठ, जवाक्षार, कांतिसार, जौ और आंवले का चूर्ण शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा में दूर होता है।
12 : तुलसी
तुलसी के कोमल और ताजे पत्ते को पीसकर दही के साथ बच्चे को सेवन कराने से अधिक चर्बी बनना कम होता है।
तुलसी के पत्तों के 10 ग्राम रस को 100 ग्राम पानी में मिलाकर पीने से शरीर का ढीलापन व अधिक चर्बी नष्ट होती है।
तुलसी के पत्तों का रस 10 बूंद और शहद 2 चम्मच को 1 गिलास पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा कम होता है।
13 : बेर
बेर के पत्तों को पानी में काफी समय तक उबालकर पीने से चर्बी नष्ट होती है।
14 : टमाटर
टमाटर और प्याज में थोड़ा-सा सेंधानमक डालकर खाना खाने से पहले सलाद के रूप में खाने से भूख कम लगती है और मोटापा कम होता है।
15 : त्रिफला
रात को सोने से पहले त्रिफला का चूर्ण 15 ग्राम की मात्रा में हल्के गर्म पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इस पानी को छानकर शहद मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे मोटापा जल्दी दूर होता है। त्रिफला, त्रिकुटा, चित्रक, नागरमोथा और वायविंडग को मिलाकर काढ़ा में गुगुल को डालकर सेवन करें।
त्रिफले का चूर्ण शहद के साथ 10 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार (सुबह और शाम) पीने से लाभ होता है।
2 चम्मच त्रिफला को 1 गिलास पानी में उबालकर इच्छानुसार मिश्री मिलाकर सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
त्रिफला का चूर्ण और गिलोय का चूर्ण 1-1 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटने से पेट का बढ़ना कम होता है।
16 : हरड़
हरड़ 500 ग्राम, 500 ग्राम सेंधानमक व 250 ग्राम कालानमक को पीसकर इसमें 20 ग्राम ग्वारपाठे का रस मिलाकर अच्छी तरह मिलाकर सूखा लें। यह 3 ग्राम की मात्रा में रात को गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सेवन करने से मोटापे के रोग में लाभ मिलता है।
हरड़ पीसकर बारीक चूर्ण बना लें और इसे नहाने से पहले पूरे शरीर पर लगाकर नहाएं। इससे पसीने के कारण आने वाली बदबू दूर होती है।
हरड़, बहेड़ा, आंवला, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, सरसों का तेल और सेंधानमक को एक साथ पीसकर6 महीने तक लगातार सेवन करने से मोटापा, कफ और वायु रोग समाप्त होता है।
17 : सोंठ
सोंठ, जवाखार, कांतिसार, जौ और आंवला बराबर मात्रा में लेकर पीसकर छान लें और इसमें शहद मिलाकर पीएं। इससे मोटापे की बीमारी समाप्त हो जाती है।
सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल, चव्य, सफेद जीरा, हींग, कालानमक और चीता बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण सुबह 6 ग्राम चूर्ण में गर्म पानी के साथपीने से मोटापा कम होता है
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18 : गिलोय
गिलोय, हरड़, बहेड़ा और आंवला मिलाकर काढ़ा बनाकर इसमें शुद्ध शिलाजीत मिलाकर खाने सेमोटापा दूर होता है और पेट व कमर की अधिक चर्बी कम होती है।
गिलोय 3 ग्राम और त्रिफला 3 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता है।
गिलोय, हरड़ और नागरमोथा बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। यह 1-1 चम्मच चूर्ण शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से त्वचा का लटकना व अधिक चर्बी कम होता है।
19 : जौ
जौ का रस व शहद को त्रिफले के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है।
जौ को 12 घंटे तक पानी में भिगोकर सूखा लें और इसका छिलका उतारकर पीसकर एक कपदूध में खीर बनाकर प्रतिदिन सुबह कुछ दिनों तक खाने से कमजोरी दूर होती है।
20 : गुग्गुल
गुग्गुल, त्रिकुट, त्रिफला और कालीमिर्च बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को अच्छी तरह एरण्ड के तेल में घोटकर रख लें। यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मोटापा की बीमारी ठीक होती है।
1 से 2 ग्राम शुद्ध गुग्गुल को गर्म पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से अधिक मोटापा कम होता है।
21 तिल
तिल के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से शरीर पर बनी हुई अधिक चर्बी कम होती है।
22 : सरसो
सरसो के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से मोटापा नष्ट होता है।
23 : अपामार्ग
अपामार्ग के बीजों को पानी में पकाकर खाने से भूख कम लगती है और चर्बी कम होने लगती है।
24 : कुल्थी
100 ग्राम कुल्थी की दाल प्रतिदिन सेवन करने से चर्बी कम होती है।
25 : पीपल
4 पीपल पीसकर आधा चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है।
26 : पालक
पालक के 25 ग्राम रस में गाजर का 50 ग्राम रस मिलाकर पीने से शरीर का फैट (चर्बी) समाप्त होती है। 50 ग्राम पालक के रस में 15 ग्राम नींबू का रस मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है।
27 : पानी
भोजन से पहले 1 गिलास गुनगुना पानी पीने से भूख का अधिक लगना कम होता है और शरीर की चर्बी घटने लगती है।
बासी ठंडे पानी में शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से मोटापा में लाभ मिलता है।
250 ग्राम गुनगुने पानी में 1 नींबू का रस और 2 चम्मच शहद मिलाकर खाली पेट पीना चाहिए। इससे अधिक चर्बी घटती है और त्वचा का ढीलापन दूर होता है।
28 डिकामाली
डिकामाली (एक तरह का गोंद) लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में गर्म पानी के साथ मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापा कम होता है।
29 कूठ
कूठ को गुलाब जल में पीसकर पेट पर लेप करने से पेट की बढ़ती हुई अवस्था में लाभ होता है। इसका लेप हाथ, पांव पर लेप करने से सूजन कम होती है।
30 : माधवी
माधवी के फूल की जड़ 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम छाछ के साथ सेवन करने से कमर पतली व सुडौल होता है।
31 बरना
बरना के पत्तों का साग नियामित रूप से सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
32 : एरण्ड
एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
एरण्ड के पत्तों का रस हींग मिलाकर पीने और ऊपर से पका हुआ चावल खाने से अधिक चर्बी नष्ट होती है।
33 : पिप्पली
पिप्पली का चूर्ण लगभग आधा ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ प्रतिदिन 1 महीने तक सेवन करने से मोटापा समाप्त होता है।
पीप्पल 150 ग्राम और सेंधानमक 30 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर कूटकर 21 खुराक बना लें। यह दिन में एक बार सुबह खाली पेट छाछ के साथ सेवन करें। इससे वायु के कारण पेट की बढ़ी हुई चर्बी कम होती है।
पिप्पली के 1 से 2 दाने दूध में देर तक उबाल लें और दूध से पिप्पली निकालकर खा लें और ऊपर से दूध पी लें। इससे मोटापा कम होता है।
तलुओं की जलन
पहला प्रयोगः तुकमरिया को भीगोकर पैर के तलुओं में बाँधें।
दूसरा प्रयोगः हाथ-पैर के तलुओं में यदि जलन होती हो तो लौकी को कद्दूकस करके उसकी पट्टी बाँधने से अथवा रस चुपड़ने से खूब ठंडक मिलती है।
गोखरू (कदर)- पैर अथवा हाथ में गोखरू होने पर उसे काटकर उसमें नीले थोथे का चूर्ण भर दें अथवा उबलते तेल का पोता रखने से गोखरू हमेशा के लिए मिट जाता है।
लूः लक्षण तथा बचाव के उपाय
गर्मी के दिनों में जो हवा चलती है उसे लू कहते हैं।
लक्षणः लू लगने से चेहरा लाल हो जाता है, नब्ज तेज चलने लगती है। साँस लेने में कष्ट होता है, त्वचा शुष्क हो जाती है। प्यास अधिक लगती है। कई बार सिर और गर्दन में पीड़ा होने लगती है। कभी-कभी प्राणी मूर्च्छित भी हो जाता है तथा उसकी मृत्यु भी हो सकती है।
उपायः लू चलने के दिनों में पानी अधिक पीना चाहिए। सुबह 700 मि.ली. से सवा लीटर पानी पीने वालों को लू लगने की संभावना नहीं होती। घर से बाहर जाते समय कानों को रूमाल से ढँक लेना चाहिए। जब गर्मी अधिक पड़ रही हो तब मोटे, सफेद और ढीले कपड़े पहनने चाहिए। दिन में दो बार नहाना चाहिए। एक सफेद प्याज (ऊपर का छिलका हटाकर) हमेशा साथ रखने से लू लगने की संभावना नहीं रहती। प्याज और पुदीना लू लगने के खतरे से रक्षा करते हैं। घर से बाहर जाने से पहले पानी या छाछ पीकर निकलने से लू नहीं लगती। नींबू का शरबत पीना हितकर होता है।
लू व गर्मी से बचने के लिए रोजाना शहतूत खायें। पेट, गुर्दे और पेशाब की जलन शहतूत खाने से दूर होती है। यकृत और आँतों के घाव ठीक होते हैं। नित्य शहतूत खाते रहने से मस्तिष्क को ताकत मिलती है।
यदि लू लग जाय तो लू का असर दूर करने के लिए कच्चे आम उबालकर उसके रस में पानी मिलाकर घोल बनायें तथा उसमें थोड़ा सेंधा नमक, जीरा, पुदीना डालकर पियें।
खून की कमी
चकुंदर (उसको बीट भी कहें ते है )के टुकड़े करके चाशनी में डालकर पका लें l जैसे आंवला केंडी बनती है, वैसे ही ये चकुंदर केंडी बन गयी । थोडा रोज खाये …खूब खून बनेगा…. भोजन के बाद या कैसे भी खाये इसके अलावा गन्ना खाएं तथा टमाटर का जूस व किशमिश भिगा के उसका जूस पियें । और भोजन के बाद किशमिश, टमाटर या गाजर ( उसमे से पीला भाग नीकाल दें ) उसका जूस पियें तो भी खून बनेगा ।
बीट एक फायदे अनेक
बीट जो एक कंदमूल है उसे लोग सलाद के रूप में भी लेते है।यह हमारे लिए बहुत ही उपयोगी कंदमूल है।इसे नियमित रूप से खाने से खून साफ रहता है तथा शरीर में खून की कमी भी नही होती है। इसका उपयोग कई तरह से किया जाता है। टमाटर के सूप का स्वाद और रंग बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है।
बीट का नियमित रूप से यदि प्रतिदिन सेवन किया जाए तो कमजोरीभी दूर हो जाती है। जिन लोगों में खून की कमी हो जाती है या पाई जाती है उन लोगों को भी बीत खाने की सलाह डॉक्टर द्वारा दी जाती है। मोच आने पर बीट के पत्ते को रगड़ के लगाया जाए तो दर्द में राहत मिलता है।इस तरह बीट कई बिमेरियों से राहत पाने के लिए भी बहुत ही उपयोगी है।कब्जियत में बीट लाभकारी साबित होता है।
(१)पथरी से राहत के लिए चुकंदर :
चुकंदर को पानी में उबाल कर इसका सूप पीने से पथरी में लाभ होता है .मात्र तीस मिली -लीटर (६ चाय के चम्मच के बराबर ) सूप दिन में चार बार लें ।
इससे गुर्दे की सूजन भी दूर होती है .ये पेशाब ज्यादा लाता है .मूत्रल है.डाय-युरेतिक्स का काम करता है .गुर्दे के रोगों में भी लाभदायक है ।
(२)सांस नाली को साफ़ रखता है :चुकंदर बलगम को निकालकर श्वसन मार्ग ,सांस -नली को साफ़ करता है ।
(३)बाल गिरना कम करता है :चुकंदर के ताज़े पत्ते मेहँदी के साथ पीसकर सिर पर लेप करने से बालों का गिरना बंद हो जाता है .बाल तेज़ी से उगतें ,बढतें हैं ।
(४)गंजपन का समाधान :चुकंदर के पत्तों को पीसकर इसमें थोड़ी सी हल्दी मिलाकर लेप करने से बाल उग आतें हैं ।
(५ )एग्जिमा में लाभ :चुकंदर के पत्तों के रस में शहद मिलाकर लगाने से दाद (एग्जिमा )ठीक हो जाता है ।
(६)गोरा बनाने का देशी सौदा :
एक कप चुकंदर के रस में एक कप पके लाल टमाटर का रस तथा दो चमच कच्ची हल्दी का रस (या एक चम्मच हल्दी पाउडर )मिलाकर सुबह शाम १५ दिन सेवन करने से त्वचा का रंग गोरा होता है ।
(७)उच्च रक्त चाप (हाई -पर -टेंशन /हाई -ब्लड प्रेशर )में राहत के लिए :
एक कप चुकंदर एक कप लाल टमाटर तथा आधा कप पपीता का रस और आधा कप किन्नू (नारंगी )का रस मिलाकर नित्य दो मर्तबा पीने से उच्च रक्त चाप में आराम आता है ।
बत्लादें आपको चुकंदर खून की नालियों ब्लड वेसिल्स को चौड़ा करता है ,नाइट्रेट्स से भरपूर है .