ओमेगा फैटी थ्री एसिड से भरपूर अलसी है सेहत के लिए गुणकारी

  • ओमेगी फैटी थ्री एसिड से भरपूर होते हैं अलसी के बीज।flaxseed-300x450
  • अलसी के बीज रखते हैं र‍क्‍तचाप को नियंत्रित।
  • किसी विशेषज्ञ की सलाह से ही करें सेवन।
  • डायबिटीज और हृदय रोग में भी लाभकारी।
  • अलसी हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को आसान बनाने में अहम किरदार निभाती है। इसके छोटे से बीजों में सेहत के लिए फायदेमंद हजारों गुण होते हैं। पेट, दिल और रक्‍त आदि सभी के सुचारू रूप से काम करने में अलसी बेहद मददगार होती है। आइए जानते हैं अलसी किन-किन तकलीफों से आपको बचा सकती है।अलसी वास्‍तव में गुणों की खान है। यह बात दीगर हैं कि लोग इसके प्रति अधिक सजग नहीं होते। अलसी का नियमित सेवन हमें कई प्रकार के रोगों से छुटकारा दिला सकता है। अलसी में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है, जो हमें कई रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। ओमेगा 3 हमारे शरीर के अंदर नहीं बनता इसे भोजन द्वारा ही ग्रहण किया जा सकता है।

    शाकाहारियों के लिए अलसी ओमेगा फैटी थ्री एसिड का इससे अच्‍छा और कोई स्रोत नहीं है। अच्छा इसका कोई और स्रोत नहीं है। माँसाहारियों को तो यह मछली से मिल जाता है। अगर आप स्वयं को निरोग और चुस्तदुरुस्त रखना चाहते हैं, तो रोज कम से कम एक दो चम्मच अलसी को अपने आहार में शामिल करिए।

    अलसी के फायदे

    1. अलसी शरीर को ऊर्जा व स्फूर्ति प्रदान करती है।
    2. कैंसररोधी हार्मोन्स की सक्रियता बढ़ाती है।
    3. रक्त में शर्करा तथा कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करती है।
    4. जोड़ों के दर्द में राहत दिलाती है।
    5. पेट साफ रखने का घरेलू व आसान नुस्खा है।
    6. हृदय संबंधी रोगों के खतरे को कम करती है।
    7. हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल करती है।
    8. त्वचा को स्वस्थ रखता है एवं सूखापन दूर कर एग्जिमा आदि से बचाती है।
    9. यह शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाती है और खराब कोलेस्ट्रोल को कम करती है।
    10. इसका नियमित सेवन रजोनिवृत्ति संबंधी परेशानियां दूर करता है।
    11. यकृत को स्वस्थ रखती है।

    बीमारी के अनुसार अलसी का सेवन

    1. खांसी में अलसी के बीज का पाउडर बनाकर उसकी चाय पीने से लाभ होता है। इसका सेवन दिन में दो तीन बार करें।
    2. एक चम्मच अलसी पाउडर को आधा गिलास पानी में 12 घंटे तक भिगोकर रखें। दिन में दो बार इसका सेवन करें। पीने से पहले इसे छान लें।
    3. डायबीटिज के मरीज को 25 ग्राम अलसी खाना चाहिए।  उन्हें पीसी अलसी को आटे में मिलाकर रोटी बनाकर खाना चाहिए।
    4. कैंसर रोगियों को 3 चम्मच अलसी का तेल पनीर में मिलाकर उसमें सूखे मेवे मिलाकर देने चाहिए।
    5. अलसी सेवन के दौरान खूब पानी पीना चाहिए। इसमें अधिक फाइबर होता है, जिससे प्यास ज्यादा लगती है।
    6. अगर आप स्वस्थ हैं तो व्यक्ति को रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच अलसी का पाउडर पानी के साथ ,सब्जी, दाल या सलाद में मिलाकर लें।

    अलसी का तेल भी है गुणकारी

    अलसी का तेल भी गुणों से भरपूर है। अगर त्वचा जल जाये, तो अलसी का तेल लगाने से दर्द व जलन से राहत मिलती है। इसमें विटामिन ई होता है। इसका कुष्ठ रोगियों को सेवन करना चाहिए। त्वचा पर लाभ होगा।

    कुछ लोगों का मानना है कि अलसी गर्म होती है इसलिए गर्मी के मौसम में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। लेकिन, इस पर मतांतर है। कुछ लोगों का मानना है कि अलसी का सेवन किसी भी मौसम में किया जा सकता है। जबकि कुछ ऐसा नहीं सोचते।

    हालांकि अलसी में कई गुण होते हैं और इसका सेवन स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद होता है, फिर भी आपको चाहिए कि किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें। वरना कई बार असंतुलित मात्रा आपकी सेहत के लिए कुछ परेशानियां भी पैदा कर सकती हैं।

विभिन्‍न प्रकार की दालें औषधीय गुणों से भरपूर हैं

  • विभिन्‍न पौष्टिक दालें बीमारियों के लिए भी रामबाण हैं।  
  • चोट के घाव को भरने के लिए अरहर की पत्‍ती लगाइये।
  • उड़द के दाल की चूनी कई प्रकार के रोगों में फायदेमंद है।hg
  • प्रोटीन व रेशे युक्‍त मूंग की दाल आंखों की रोशनी बढ़ाती है।
  • दालों का हमारे भोजन में विशेष स्‍थान है। हम अक्‍सर तरह-तरह की दालें खाते हैं, लेकिन क्‍या आप जानते है कि इन दालों में कितने गुण छुपे हुए हैं

    दाल भारतीय थाली का एक अहम हिस्‍सा है। देश भर में यह अलग-अलग तरीके से पकाई जाती है। ये दालों सेहत के लिहाज से भी काफी उपयोगी हैं। दालों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, फास्‍फोरस और खनिज तत्‍व पाये जाते हैं जो स्‍वास्‍थ्‍य के‍ लिए बहुत जरूरी हैं। आइए जानते हैं दालों के औषधीय गुणों के बारे में।

    अरहर की दाल

    यह पित्त, कफ और खून के विकार को समाप्‍त करती है। इसमें प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट, फास्‍फोरस, विटामिन ए तथा बी तत्‍त पाये जाते हैं। इसका छिलका पशुओं के लिए बहुत फायदेमंद होता है।

    • अरहर के उबले हुए पत्तों को घाव पर बांधने से घाव भरने में मदद मिलती है।
    • अफीम का दुष्‍प्रभाव पड़ने पर अरहर के पत्‍तों का रस पिलाने से फायदा होता है।
    • खाने में छिलका रहित दाल का प्रयोग किया जाता है जिससे कफ और खांसी में आराम मिलता है।

    उड़द की दाल

    इसमें फास्‍फोरिक एसिड ज्‍यादा मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन भी होता है। इसकी चूनी का इस्‍तेमाल कई रोगों से उपचार के लिए किया जाता है।

    • उड़द की दाल वात, कब्‍जनाशक और बलवर्धक होती है।
    • फोड़ा होने पर उड़द की दाल की पीठी रखने से फायदा होता है।
    • हड्डी में दर्द होने पर इसे पीस कर लेप लगाने से फायदा होता है।

    मूंग की दाल

    इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा रेशे जैसे तत्‍व पाये जाते हैं। यह कफ और पित्‍त के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है। खाने के बाद यह आसानी से पच जाती है।

    • मूंग की दाल आंखों की रोशनी बढ़ाती है।
    • बुखार होने पर मूंग की दाल खाने से फायदा होता है।
    • चावल के साथ तैयार खिचड़ी मरीजों के लिए पौष्टिक और सुपाच्‍य होती है।
    • मूंग के आटे का हलवा शक्तिवर्धक होता है।

खीरे के आठ अद्भुत स्वास्थ्यवर्धक लाभ

  • खीरे के नियमित सेवन से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।cucumbers300x450
  • खीरे में मौजूद तत्व खाने को जल्द पचाते हैं।
  • खीरें में कैंसर जैसी गंभीर समस्या से बचाने वाले तत्व होते हैं।
  • खीरे के सेवन से मसूडो की समस्या से बचें।
  • खीरा सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। इसके सौंदर्य लाभ के बारे में तो आपने काफी कुछ सुना होगा, लेकिन यह आपकी सेहत के लिए कितना और किस तरह फायदेमंद है इसके बारे में आज हम आपको बताते हैं। कम फैट व कैलोरी से भरपूर खीरे का सेवन आपको कई गंभीर बीमारियों से बचाने में सहायक है।सलाद के तौर पर प्रयोग किए जाने वाले खीरे में इरेप्सिन नामक एंजाइम होता है, जो प्रोटीन को पचाने में सहायता करता है। खीरा पानी का बहुत अच्छा स्रोत होता है, इसमें 96% पानी होता है। खीरे में विटामिन ए, बी1, बी6 सी,डी पौटेशियम, फास्फोरस, आयरन आदि प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। नियमित रुप से खीरे के जूस शरीर को अंदर व बाहर से मजबूत बनाता है। खीरा कब्ज से मुक्ति दिलाने के साथ ही पेट से जुड़ी हर समस्या में फायदेमंद साबित होता है। इसके अलावा एसिडिटी, छाती की जलन में नियमित रूप से खीरा खाना लाभप्रद होता है। जानिए खीरे के ऐसे ही स्वास्थ्यवर्धक लाभ के बारे में जिनके बारे में आपने पहले कभी नहीं सुना होगा-

    बालों व त्वचा की देखभाल

    खीरे में सिलिकन व सल्फर बालों की ग्रोथ में मदद करते हैं। अच्छे परिणाम के लिए आप चाहें तो खीरे के जूस को गाजर व पालक के जूस के साथ भी मिलाकर ले सकते हैं। फेस मास्क में शामिल खीरे के रस त्वचा में कसाव लाता है। इसके अलावा खीरा त्वचा को सनबर्न से भी बचाता है। खीरे में मौजूद एस्कोरबिक एसिड व कैफीक एसिड पानी की कमी( जिसके कारण आंखों के नीचे सूजन आने लगती है।) को कम करता है।

    कैंसर से बचाए

    खीरा के नियमित सेवन से कैंसर का खतरा कम होता है। खीरे में साइकोइसोलएरीक्रिस्नोल, लैरीक्रिस्नोल और पाइनोरिस्नोल तत्व होते हैं। ये तत्व सभी तरह के कैंसर जिनमें स्तन कैंसर भी शामिल है के रोकथाम में कारगर हैं।

    मासिक धर्म में फायदेमंद

    खीरे का नियमित सेवन से मासिक धर्म में होने वाली परेशानियों से छुटकारा मिलता है। लड़कियों को मासिक धर्म के दौरान काफी परेशानी होती है, वो दही में खीरे को कसकर उसमें पुदीना, काला नमक, काली मिर्च, जीरा और हींग डालकर रायता बनाकर खाएं इससे उन्हें काफी आराम मिलेगा।

    मधुमेह व रक्तचाप में फायदेमंद

    मधुमेह व रक्तचाप की समस्या से बचने के लिए नियमित रुप से खीरे का सेवन फायदेमंद हो सकता है। खीरे के रस में वो तत्व हैं जो पैनक्रियाज को सक्रिय करते हैं। पैनक्रियाज सक्रिय होने पर शरीर में इंसुलिन बनती है। इंसुलिन शरीर में बनने पर मधुमेह से लड़ने में मदद मिलती है। खीरा खाने से कोलस्ट्रोल का स्तर कम होता है। इससे हृदय संबंधी रोग होने की आशंका कम रहती है। खीरा में फाइबर, पोटैशियम और मैगनीशियम होता है जो ब्लड प्रेशर दुरुस्त रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। खीरा हाई और लो ब्लड प्रेशर दोनों में ही एक तरह से दवा का कार्य करता है।

    वजन कम करने में मददगार

    जो लोग वजन कम करना चाहते हैं, उन लोगों के लिए खीरे का सेवन काफी फायदेमंद रहता है। खीरे में पानी अधिक और कैलोरी कम होती है, इसलिए वजन कम करने के लिए यह अच्छा विकल्प हो सकता है। जब भी भूख लगे तो खीरे का सेवन अच्छा हो सकता है। सूप और सलाद में खीरा खाएं। खीरा में फाइबर होते हैं जो खाना पचाने में मददगार होते हैं।

    आंखों के लिए लाभकारी

    अक्सर फेसपैक लगाने के बाद आंखों की जलन से बचने के लिए खीरे को स्लाइस की तरह काटकर आंखों की पलक के ऊपर पर रखते हैं। इससे आंखों को ठंडक मिलती है। खीरा की तासीर जलन कम करने की होती है। जरूरी नहीं है कि सिर्फ फेसपैक लगाने के बाद ही ऐसा कर सकते हैं। जब भी आंखों में जलन महसूस हो तो आप खीरे की मदद ले सकते हैं।

    मसूडे स्वस्थ रखता है

    खीरा खाने से मसूडों की बीमारी कम होती हैं। खीरे के एक टुकड़े को जीभ से मुंह के ऊपरी हिस्से पर आधा मिनट तक रोकें। ऐसे में खीरे से निकलने वाला फाइटोकैमिकल मुंह की दुर्गंध को खत्म करता है।

    जोड़ों की दवा

    खीरे में सीलिशिया प्रचुर मात्रा में होता है। इससे जोड़ों को मजबूती मिलती है और टिशू परस्पर मजबूत होते हैं। गाजर और खीरे का जूस मिलाकर पीने पर गठिया बाय रोग में मदद मिलती है। इससे यूरिक एसिड का स्तर भी कम होता है।

पान के 15 आश्‍चर्यजनक स्‍वास्‍थ्‍य लाभ

  • भारतीय समाज में पवित्र माना जाता है पान।paan-ke-fayede-300x450
  • सांस की बीमारी में पान का तेल है फायदेमंद।
  • पान का सेवन पायरिया से दिलाता है राहत।
  • बिना तम्‍बाकू वाले पान का ही करें सेवन।भारतीय समाज में पूजा में पान के पत्‍तों का प्रयोग पुरातन काल से किया जाता रहा है। पान खाने के शौकीन तो नवाबों से लेकर आम जनता तक रही है। और आज भी पान भारत के हर संस्‍कृति में उपयोग होता है। लेकिन, यह पान न केवल मुंह का रंग और जायका बदलता है, बल्कि इसके कई स्‍वास्‍थ्‍य लाभ भी हैं। आइये इस लेख के माध्यम से हम आपको बताते हैं पान के ऐसे ही 15 फायदे।

     

    पान को भारतीय सभ्यता और संकृति के हिसाब से बहुत शुभ माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पान खाने के भी बहुत फायदे हैं, बशर्ते यह तम्बाकू वाला न हो। पान खाना हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है।

    इसका प्रयोग करके कई प्रकार की बीमारियों को दूर किया जा सकता है। पान में क्लोरोफिल पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। इसलिए इसके रस को कई प्रकार की दवाईयां बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। आइए हम आपके स्‍वादिष्ट पान के गुणों के बारे में बताते हैं।

    मुंह की तकलीफों से लेकर डायबिटीज तक को दूर करने में पान बेहद उपयोगी होता है । पान का सेवन कई बीमारियों से बचाता है। साथ ही कई रोगों का इलाज भी पान की पत्तियों के जरिये किया जा सकता है।

    पान के लाभ –
     पायरिया के मरीजों के लिए पान बहुत फायदेमंद है। पायरिया होने पर पान में दस ग्राम कपूर को लेकर दिन में तीन-चार बार चबाने से पायरिया की शिकायत दूर हो जाती है। लेकिन पान की पीक पेट में जानी नहीं चाहिए।
     खांसी आने पर भी पान फायदा करता है। खांसी आने पर पान में अजवाइन डालकर चबाने से लाभ होता है। गर्म हल्दी को पान में लपेटकर चबाएं, फायदा होगा।
    किडनी खराब हो तो भी पान काफी फायदेमंद साबित होता है। किडनी खराब होने पर मसाले, मिर्च एवं शराब (मांस एवं अंडा भी) से परहेज करना चाहिए।
     चोट लगने पर पान बहुत फायदेमंद है। अगर कहीं चोट लग जाए तो पान को गर्म करके परत-परत करके चोट वाली जगह पर बांध लेना चाहिए। इससे दर्द में आराम मिलता है।
     जले पर पान लगाने से भी फायदा मिलता है। जल जाने पर पान को गर्म करके लगाने से दर्द कम होता है।
     मुंह के छालों के लिए पान बहुत फायेदेमंद होता है। छाले पड़ने पर पान के रस को देशी घी से लगाने पर प्रयोग करने से फायदा होता है।
     जुकाम होने पर पान को लौंग में डालकर खाना चाहिए।
     सांस की नली में दिक्कत होने पर पान का तेल प्रयोग फायदा देता है। पान के तेल को गर्म करके सोते वक्त  सीने पर लगाने से श्वास नली की बीमारियां समाप्त होती हैं।
     पान में पकी सुपारी व मुलेठी डालकर खाने से मन पर अच्छा असर पड़ता है।
    सावधानी
    हमारे देश में कई तरह के पान मिलते हैं। इनमें मगही, बनारसी, गंगातीरी और देशी पान दवाइयों के रूप में ज्यादा प्रयोग किया जाता है। लेकिन ज्यादा पान खाना स्वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इसलिए ज्यादा पान का प्रयोग करने से बचना चाहिए।

    पान के लाभ

    1. पान में दस ग्राम कपूर को लेकर दिन में तीन-चार बार चबाने से पायरिया दूर हो जाता है। लेकिन पान की पीक पेट में जानी नहीं चाहिए।
    2. खांसी आने पर पान में अजवाइन डालकर चबाने से लाभ होता है। गर्म हल्दी को पान में लपेटकर चबाएं, फायदा होगा।
    3. किडनी खराब होने पर पान का सेवन करना लाभकारी होता है। इस दौरान तेज मसाले, शराब एवं मांसाहार से परहेज करना चाहिए।
    4. चोट पर पान को गर्म करके परत-परत करके चोट वाली जगह पर बांध लेना चाहिए। इससे दर्द में आराम मिलता है।
    5. जले पर पान लगाने से भी फायदा मिलता है। जल जाने पर पान को गर्म करके लगाने से दर्द कम होता है।
    6. मुंह के छालों के लिए पान बहुत फायेदेमंद होता है। छाले पड़ने पर पान के रस को देशी घी से लगाने पर प्रयोग करने से फायदा होता है।
    7. जुकाम होने पर पान को लौंग में डालकर खाना चाहिए।
    8. पान के तेल को गर्म करके सोते वक्त  सीने पर लगाने से श्वास नली की बीमारियां समाप्त होती हैं।
    9. कब्‍ज होने पर पान का सेवन काफी फायदा करता है।
    10. माथे पर पान के पत्‍तों का लेप लगाने से सिरदर्द दूर हो जाता है।
    11. पान के पत्‍तों के रस में शहद मिलाकर पीने से अंदरूनी दर्द व थकावट और कमजोरी को दूर किया जा सकता है।
    12. धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं, तो पान के ताजा पत्‍ते चबायें। इससे आपको धूम्रपान छोड़ने में मदद मिलेगी।
    13. कमर दर्द से राहत पाने के लिए उस पर पान के पत्‍तों से मसाज करें, लाभ होगा।
    14. पान के पत्‍ते चबाने से डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है।
    15. मसूड़ों से खून आने पर पान के पत्‍तों को पानी में उबालकर उन्‍हें मैश कर लें। इन्‍हें मसूड़ों पर लगाने से खून बहना बंद हो जाता है।

    सावधानी

    हमारे देश में कई तरह के पान मिलते हैं। इनमें मगही, बनारसी, गंगातीरी और देशी पान दवाइयों के रूप में ज्यादा प्रयोग किया जाता है। लेकिन ज्यादा पान खाना स्वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इसलिए ज्यादा पान का प्रयोग करने से बचना चाहिए।पान में दस ग्राम कपूर को लेकर दिन में तीन-चार बार चबाने से पायरिया दूर हो जाता है। लेकिन पान की पीक पेट में जानी नहीं चाहिए।

  • पान में दस ग्राम कपूर को लेकर दिन में तीन-चार बार चबाने से पायरिया दूर हो जाता है। लेकिन पान की पीक पेट में जानी नहीं चाहिए।

अदरक की चाय माइग्रेन दूर भगाये

  • माइग्रेन की समस्‍या होने पर असहनीय दर्द होता है।migraine-1-633x319 
  • दिमाग की रक्‍त नलिकाओं के सिकुड़ने से यह होता है।
  • इसके प्राकृतिक उपचार के लिए अदरक की चाय पियें।
  • अदरक की चाय में शहद और नींबू का रस मिलायें।
  • माइग्रेन का दर्द असहनीय होता है और इसे बर्दाश्‍त करना बहुत मुश्किल खासकर सुबह के वक्‍त दर्द और तेज हो जाता है। माइग्रेन के कारण उल्‍टी और नौसा की समस्‍या हो सकती है। इस दर्द को दूर करने के लिए अदरक की चाय पियें। अदरक की चाय पीने से माइग्रेन का दर्द प्राकृतिक रूप से दूर होता है। सामान्‍यतया अस्वस्थ जीवनशैली और खानपान में पौष्टिक तत्‍वों के अभाव के कारण तनाव और सिरदर्द की समस्‍या आम होती जा रही है। तनाव और सिरदर्द अधिक दिनों तक रहे तो यह माइग्रेन का रूप ले लेता है। माइग्रेन का दर्द कुछ घंटे से लेकर कई दिनों तक रह सकता है। इस लेख में विस्‍तार से जानिये कैसे अदरक की चाय प्राकृतिक रूप से माइग्रेन को दूर करने में मददगार है।

    क्‍या है माइग्रेन

    पहले माना जाता था कि माइग्रेन मस्तिष्क की रक्त नलिकाओं के फैलने और सिकुड़ने के कारण होता है, लेकिन कई अनुसंधानों में यह बात सामने आई है कि माइग्रेन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की गड़बड़ी के कारण होता है, जिससे न्यूरोट्रांसमीटर्स का संचरण प्रभावित होता है, विशेष रूप से सेरोटोनिन हार्मोन में असंतुलन उत्पन्न हो जाता है और यह माइग्रेन बन जाता है।

    माइग्रेन के दो प्रकार होते हैं – क्लासिकल और नॉन क्लासिकल। जब माइग्रेन का दर्द ऑरा यानी दृष्टि संबंधी गड़बड़ी के बाद शुरू होता है, तब इसे क्लासिकल माइग्रेन कहते हैं। इसमें आमतौर पर सिरदर्द के 10-15 मिनट पहले ऑरा के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। जब सिरदर्द बिना ‘ऑरा’ और  दूसरे लक्षणों के साथ शुरू होता है, तब इसे नॉन क्लासिकल या सामान्य माइग्रेन कहते हैं। सामान्य माइग्रेन बच्चों और किशोरों में अधिक होता है। माइग्रेन के जो कुल मामले देखे जाते हैं, उनमें से 70 से 85 प्रतिशत सामान्य माइग्रेन और 15 से 30 प्रतिशत क्लासिकल माइग्रेन वाले होते हैं। छोटे बच्चों में माइग्रेन के दौरे शाम को पड़ते हैं।

    अदरक की चाय है फायदेमंद

    माइग्रेन के दर्द पर काबू पाने के लिए अदरक की चया का सेवन करना फायदेमंद माना जाता है। अदरक एक बेहतरीन नैचुरल पेनकिलर है। अदरक में एंटी-इन्‍फ्लेमेटरी तत्‍व होते हैं जो किसी भी प्रकार के दर्द पर आसानी से काबू पा लेते हैं। यानी अगर आपको सिरदर्द, तनाव, माइग्रेन की समस्‍या हो तो उसे दूर करने के लिए अदरक की चाय का सेवन कीजिए। इसके अलावा अदरक में ऐसे तत्‍व भी पाये जाते हैं जो पाचन क्रिया को सुचारु करते हैं। यानी माइग्रेन के कारण होने वाली मतली और उल्‍टी की शिकायत भी दूर होती है।migraine-633x319

  • कैसे करें प्रयोगअदरक की चाय बनाने के लिए अदरक का एक छोटा टकड़ा लेकर उसे अच्‍छे से छील लीजिए। फिर उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें, उबलते पानी में इन टुकड़ों को डाल लीजिए। फिर इसे 10-15 मिनट तक उबालिये। उसके बाद इसे छानकर पीजिए। इसमें चीनी या शुगर की बजाय इसका अधिक फायदा उठाने के लिए शहद या नींबू का रस मिलायें।

    माइग्रेन का दर्द असहनीय होता है ऐसे में अदरक का सेवन इसके दर्द को दूर करने में सहायक है। तो अगर माइग्रेन का दर्द सताये तो प्राकृतिक तरीके से उसपर काबू पाने के लिए अदरक की चाय पियें।

संतरे के छिलकों के अद्भुत फायदे

  • विटामिन्स एवं खनिज प्रचुर मात्रा में मौजूद होते है।Benefits-Of-Orange-Peel.300x450
  • ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा भी नहीं रहता।
  • हार्ट अटैक, स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर जैसे रोगों से बचाव।
  • त्वचा को जवान एवं चमकदार बनाए रखता है।संतरा गुणों की खान होता है। इसमें विटामिन सी एवं फाइबर प्रचुर मात्रा में होते हैं जो आपके शरीर को काफी फायदा पहुंचाता हैं।

    लेकिन इसका छिलका भी कम गुणवान नहीं होता। इसके छिलके में भी सैकड़ों गुण छुपे होते हैं जो आपके शरीर को ढेरों फायदा पहुंचाते हैं। आइये जाने संतरे के छिलकों के कुछ अद्भुत फायदे।

    विटामिन एवं खनिज से भरपूर

    संतरे के छिलकों में विटामिन्स एवं खनिज प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसमें मौजूद विटामिन बी में विटामिन बी 5 बी 6 और फोलेट पाए जाते हैं जो मस्तिष्क सम्बन्धी अनेकों विकारों को दूर करते हैं जैसे डिप्रेशन (अवसाद), तनाव, चिंता, माईग्रेन,  इत्यादि। विटामिन बी आपके नर्वस सिस्टम को भी स्वस्थ रखता हैं।

    संतरे के छिलकों में विटामिन ‘सी’

    संतरे के छिलकों में विटामिन सी भी भरपूर मात्रा में मौजूद रहता है, जो आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मजबूत करता है। और जिसकी वजह से रोग आपसे दूर हीं रहते हैं। विटामिन सी की मौजूदगी में कोई भी रोग आपको आसानी से अपना शिकार नहीं बना सकता। विटामिन सी आपकी त्वचा को जवान एंव चमकदार बनाए रखता है। यह विटामिन आपके बालों को भी मजबूती प्रदान करता है, बालों को झड़ने से रोकता है एवं बाल घने एवं काला करता है।

    विटामिन ‘ए’ की मौजूदगी

    संतरे के छिलकों में विटामिन ए भी काफी मात्रा में पाया जाता है जो आपकी आंखों को तंदुरुस्ती प्रदान करता है। यह आपकी आंखों की रोशनी तेज करता है एवं आंखों के आस-पास झुर्रियां पड़ने से रोकता है। यह विटामिन आपके शरीर में रक्त संचार भी दुरुस्त करता है जिससे आप सदैव स्वस्थ रहते हैं। यह विटामिन आपके बालों को भी मजबूती प्रदान करता है जिससे आपके बाल घने होते हैं एवं जल्दी झड़ते नहीं हैं।

    कैल्शियम से भरपूर

    संतरे के छिलकों में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में विराजमान रहता है जो आपकी हड्डियों की तंदुरुस्ती के लिए अति आवश्यक है। इससे आपकी हड्डियां मजबूत होती हैं तथा आपको ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा भी नहीं रहता।

    दिल की बीमारियों में लाभकारी

    संतरे के छिलकों में कई ऐसे गुण पाए जाते हैं जो दिल की बीमारियों को दूर करते हैं और इस तरह से इसका सेवन करने वाला व्यक्ति हार्ट एटेक, स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर जैसे रोगों से बचा रहता है। इन सबका एक प्रमुख कारण यह है कि संतरे के छिलके कोलेस्ट्रोल को कम करते हैं जिसकी वजह से आपकी रक्त वाहिनियां प्लेक से अवरोधित नहीं होतीं और आपके शरीर में रक्त संचार सुचारू रूप से होता रहता है।

    कब्ज में फायदेमंद

    संतरे के छिलकों में पेक्टिन पाया जाता है जिसे प्राकृतिक फाइबर के रूप में भी जाना जाता है। इसकी वजह से आपकी पेट की सारी बीमारियां दूर रहती हैं। यह कब्ज को दूर करने में बहुत हीं प्रभावकारी होता है।

    वजन को नियंत्रण में रखना

    संतरे के छिलकों में ऐसे गुण होते हैं जो आपकी भूख को नियंत्रण में रखते हैं तथा वजन बढ़ने नहीं देते। जिनका वजन बढ़ गया है उनके लिए यह बहुत ही उपयोगी है क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से वजन कम करता है। आपके शरीर को बिना कोई नुकसान पहुंचाए।

    कैंसर से बचाव करना

    संतरे के छिलके आपको फेफड़ों के कैंसर से भी बचाते हैं। इसके अलावा यह स्तन कैंसर, कोलोन कैंसर, पेट के कैंसर, गले के कैंसर, इत्यादि से भी आपका बचाव करता है।

    इसका प्रयोग कैसे करें?

    आप संतरे के छिलकों को सुखाकर उसकी चाय बनाकर पी सकते हैं जिससे आपका वजन कम हो सकेगा एवं आपको अन्य लाभ भी मिलेंगे। अक्सर संतरे के छिलकों को सुखाकर उसका पाउडर तैयार कर लिया जाता है फिर उसे चाय के रूप में पीया जाता है या अन्य खाद्य पदार्थों के साथ। मेडिकल स्टोर्स में इसके पाउडर इसके उपयोग की विधि के साथ उपलब्ध रहते हैं।

स्वास्थ्यवर्धक सौंफ

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मस्तिष्क संबंधी रोगों में सौंफ अत्यंत गुणकारी है। यह मस्तिष्क की कमजोरी के अतिरिक्त दृष्टि-दुर्बलता, चक्कर आना एवं पाचनशक्ति बढ़ाने में भी लाभकारी है। इसके निरंतर सेवन से दृष्टि कमजोर नहीं होती तथा मोतियाबिंद से रक्षा होती है।

  • उलटी, प्यास, जी मिचलाना, पित्त-विकार, जलन, पेटदर्द, अग्निमांद्य, पेचिश, मरोड़ आदि व्याधियों में यह लाभप्रद है।

  • सौंफ, धनिया व मिश्री का समभाग चूर्ण 6 ग्राम की मात्रा में भोजन के बाद लेने से हाथ-पाँव तथा पेशाब की जलन, अम्लपित्त (एसिडिटी) व सिरदर्द में आराम मिलता है।

  • सौंफ और मिश्री का समभाग चूर्ण मिलाकर रखें। दो चम्मच मिश्रण दोनों समय भोजन के बाद एक से दो माह तक खाने से मस्तिष्क की कमजोरी दूर होती है तथा जठराग्नि तीव्र होती है।

  • बच्चों के पेट के रोगों में दो चम्मच सौंफ का चूर्ण दो कप पानी में अच्छी तरह उबाल लें। एक चौथाई पानी शेष रहने पर छानकर ठण्डा कर लें। इसे एक-एक चम्मच की मात्रा में दिन में तीन-चार बार पिलाने से पेट का अफरा, अपच, उलटी (दूध फेंकना), मरोड़ आदि शिकायतें दूर होती हैं।

  • आधी कच्ची सौंफ  का चूर्ण और आधी भुनी सौंफ के चूर्ण में हींग और काला नमक मिलाकर 2 से 6 ग्राम मात्रा में दिन में तीन-चार बार प्रयोग कराएं इससे गैस और अपच दूर हो जाती है।

  • भूनी हुई सौंफ और मिश्री समान मात्रा में पीसकर हर दो घंटे बाद ठंडे पानी के साथ फँकी लेने से मरोड़दार दस्त, आँव और पेचिश में लाभ होता है। यह कब्ज को दूर करती है।

  • बादाम, सौंफ  और मिश्री तीनों बराबर भागों में लेकर पीसकर भर दें और रोज दोनों टाइम भोजन के बाद 1 टी स्पून लें। इससे स्मरणशक्ति बढ़ती है।

  • 5-6 ग्राम सौंफ  लेने से लीवर ठीक रहता है और आंखों की ज्योति बढ़ती है।(सभी प्रकार के यकृत, खून की कमी, पीलिया, रक्त- विकार, कमजोरी, भूख न लगना, अरुचि, कब्ज, पेट दर्दतथा गैस में ‘ अच्युतायलिवर टोनिक सिरप  ,अत्याधिक लाभप्रद है।

  • तवे पर भुनी हुई सौंफ  के मिक्स्चर से अपच के मामले में बहुत लाभ होता है। दो कप पानी में उबली हुई एक चम्मच सौंफ  को दो या तीन बार लेने से अपच और कफ  की समस्या समाप्त होती है।

  • सौंफ की ठंडाई बनाकर पीएं। इससे गर्मी शांत होगी। हाथ-पाव में जलन होने की शिकायत होने पर सौंफ के साथ बराबर मात्रा में धनिया कूट-छानकर, मिश्री मिलाकर खाना खाने के बाद 5 से 6 ग्राम मात्रा में लेने से कुछ ही दिनों में आराम हो जाता है।

  • अगर गले में खराश हो गई है तो सौंफ चबाना फायदेमंद होता है।

  • सौंफ चबाने से बैठा हुआ गला भी साफ हो जाता है। रोजाना सुबह-शाम खाली सौंफ खाने से खून साफ होता है जो कि त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है, इससे त्वचा चमकती है। वैसे तो सौंफ का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। इससे कई प्रकार के छोटे-मोटे रोगों से निजात मिलती है।

नमक का ये आसान प्रयोग कर देगा हर तरह के बुखार की छुट्टी

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बदलते मौसम में बुखार की चपेट में आना एक आम बात है। कभी वायरल फीवर के नाम परतो कभी मलेरिया जैसे नामों से यह सभी को अपनी चपेट में ले लेता है। फिर बड़ा आदमी हो या कोई बच्चा इस बीमारी की चपेट में आकर कई परेशानियों से घिर जाते हैं। कई बुखार तो ऐसे हैं जो बहुत दिनों तक आदमी को अपनी चपेट में रखकर उसे पूरी तरह से कमजोर बना देता है। पर घबराइए नहीं सभी तरह के बुखार की एक अचूक दवा है भुना नमक। इसके प्रयोग किसी भी तरह के बुखार को उतार देता है।

भुना नमक बनाने की विधि- खाने मे इस्तेमाल आने वाला सादा नमक लेकर उसे तवे परडालकर धीमी आंच पर सेकें। जब इसका कलर कॉफी जैसा काला भूरा हो जाए तो उतार कर ठण्डा करें। ठण्डा हो जाने पर एक शीशी में भरकर रखें।जब आपको ये महसूस होने लगे की आपको बुखार आ सकता है तो बुखार आने से पहले एक चाय का चम्मच एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर ले लें। जब आपका बुखार उतर जाए तो एक चम्मच नमक एक बार फिर से लें। ऐसा करने से आपको बुखार कभी पलट कर नहीं आएगा।

विशेष :-

  • हाई ब्लडप्रेशर के रोगियों को यह विधि नहीं अपनानी चाहिए।
  • यह प्रयोग एक दम खाली पेट करना चाहिए इसके बाद कुछ खाना नहीं चाहिए और ध्यान रखें कि इस दौरान रोगी  को ठण्ड न लगे।
  • अगर रोगी को प्यास ज्यादा लगे तो उसे पानी को गर्म कर उसे ठण्डा करके दें।
  • इस नुस्खे को अजमाने के बाद रोगी को करीब 48 घंटे तक कुछ खाने को न दें। और उसके बाद उसे दूध चाय या हल्का दलिया बनाकर खिलाऐं।

सादा बुखार

 सादे बुखार में उपवास अत्यधिक लाभदायक है। उपवास के बाद पहले थोड़े दिन मूँग लें फिर सामान्य खुराक शुरु करें। ऋषि चरक ने लिखा है कि बुखार में दूध पीना सर्प के विष के समान है अतः दूध का सेवन न करें।

पहला प्रयोगः सोंठ, तुलसी, गुड़ एवं काली मिर्च का 50 मि.ली काढ़ा बनाकर उसमें आधा या 1 नींबू निचोड़कर पीने से सादा बुखार मिटता है।

दूसरा प्रयोगः शरीर में हल्का बुखार रहने पर, थर्मामीटर द्वारा बुखार न बताने पर थकान, अरुचि एवं आलस रहने पर संशमनी की दो-दो गोली सुबह और रात्रि में लें। 7-8 कड़वे नीम के पत्ते तथा 10-12 तुलसी के पत्ते खाने से अथवा पुदीना एवं तुलसी के पत्तों के एक तोला रस में 3 ग्राम शक्कर डालकर पीने से हल्के बुखार में खूब लाभ होता है।

तीसरा प्रयोगः कटुकी, चिरायता एवं इन्द्रजौ प्रत्येक की 2 से 5 ग्राम को 100 से 400 मि.ली. पानी में उबालकर 10 से 50 मि.ली. कर दें। यह काढ़ा बुखार की रामबाण दवा है।

चौथा प्रयोगः बुखार में करेले की सब्जी लाभकारी है।

पाँचवाँ प्रयोगः मौठ या मौठ की दाल का सूप बनाकर पीने से बुखार मिटता है। उस सूप में हरी धनिया तथा मिश्री डालने से मुँह अथवा मल द्वारा निकलता खून बन्द हो जाता है।

स्वास्थ्य-रक्षक अनमोल उपहार – नीम

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जो व्यक्ति मीठे, खट्टे, खारे, तीखे, कड़वे और तूरे, इन छः रसों का मात्रानुसार योग्य रीति से सेवन करता है उसका स्वास्थ्य उत्तम रहता है। हम अपने आहार में गुड़, शक्कर, घी,दूध, दही जैसे मधुर, कफवर्धक पदार्थ एवं खट्टे, खारे पदार्थ तो लेते हैं किंतु कड़वे और तूरे पदार्थ बिल्कुल नहीं लेते जिसकी हमें सख्त जरूरत है। इसी कारण से आजकर अलग-अलग प्रकार के बुखार मलेरिया, टायफाइड, आँत के रोग, मधुमेह, सर्दी, खाँसी, मेदवृद्धि, कोलेस्ट्रोल का बढ़ना, रक्तचाप जैसी अनेक बीमारियाँ बढ़ गयी हैं।

भगवान अत्रि ने चरक संहिता में दिये अपने उपदेश में कड़वे रस का खूब बखान किया है जैसे कि

तिक्तो रसः स्वयमरोचिष्णुरोचकघ्नो विषघ्न कृमिघ्न ज्वरघ्नो दीपनः पाचनः स्तन्यशोधनो लेखः श्लेष्मोपशोषणः रक्षाशीतलश्च।

(चरक संहिता, सूत्र स्थान, अध्याय-26)

अर्थात् कड़वा रस स्वयं अरुचिकर है, फिर भी आहार के प्रति अरुचि दूर करता है। कड़वा रस शरीर के विभिन्न जहर, कृमि और बुखार दूर करता है। भोजन के पाचन में सहाय करता है तथा स्तन्य (दूध) को शुद्ध करता है। स्तनपान करानेवाली माता यदि उचित रीति से नीम आदि कड़वी चीजों का उपयोग करे तो बालक स्वस्थ रहता है।

आधुनिक विज्ञान को यह बात स्वीकार करनी ही पड़ी नीम का रस यकृत की क्रियाओं को खूब अच्छे से सुधारता है तथा रक्त को शुद्ध करता है। त्वचा के रोगों को, कृमि तथा बालों की रूसी को दूर करने में  अत्यंत उपयोगी है।

नींबू का रस(Lemon juice)

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शरीर मे जो अम्लता (खटाई) का विष उत्पन्न होता है, नींबू उसको नष्ट करता है। नींबू में स्थित पोटेशियम अम्ल विषों को नष्ट करने का कार्य करता है। प्रचुर मात्रा में स्थित विटामिन ‘सी’ शरीर की रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाता है और स्कर्वी के रोगों में उपयोगी है। नींबू हृदय को स्वस्थ रखता है। हृदय के रोगों में अंगूर से भी अधिक लाभ करता है।

नींबू प्रतिअम्लक है। अन्य फलों की तुलना में इसमें क्षारीयता का प्रमाण अधिक है। नींबू का रस जंतुनाशक है। दोषी आहार-विहार के कारण शरीर में यूरिक एसिड बनता है। उसका नाश करने के लिए प्रातः खाली पेट में गर्म पानी नींबू का रस लेना चाहिए। अदरक का रस भी उपयोगी है। पेशाब द्वारा नींबू यूरिक ऐसिड को निकालता है। साथ-साथ कब्ज,पेशाब में जलन, लहू में खराबी, मंदाग्नि, रक्तविकार और त्वचा के रोगों के लिए तो यह अक्सीर इलाज है। नींबू के रस से दाँत और मसूढ़ों की अच्छी सफाई होती है। पायरिया और मुख की दुर्गन्ध को वह दूर कर देता है। यकृत की शुद्धि के लिए नींबू अक्सीर है। नींबू का साईट्रिक ऐसिड भी यूरिक एसिड का नाश करता है। अजीर्ण, छाती में जलन, संग्रहणी, कालेरा,कफ, सर्दी, श्वास आदि में औषधि का काम करता है। नींबू के रस में टाइफाईड के जंतुओं का तुरन्त नाश होता है। खाली पेट नींबू का रस अनुपयोगी विषैला एसिड पैदा करने वाले कृमि का नाश करता है। नींबू के सेवन से पित्त शांत होता है। मुँह में से पड़ती लार बंद होती है। डॉ. रेडीमेलर लिखते हैं कि थोड़े ही दिनों तक नींबू के सेवन से नींबू के रक्तशोधक गुण का पता चल जाता है। रक्तशुद्धि होते ही शरीर में खूब ताजगी महसूस होती है। लहू में से विषैले तत्त्वों का नाश होते ही शरीर की मांसपेशियों को नया बल मिलता है। नींबू समस्त शरीर की सफाई करता है। आँखों का तेज बढ़ाता है। जिन कुटुम्बों में लोग प्रतिदिन एक नींबू का उपयोग करते हैं, वहाँ प्रत्येक स्वस्थ, सुखी और प्रसन्न रहते हैं।

गर्म पानी में नींबू का रस शहद मिलाकर लेने से सर्दी, कफ, इन्फलुएन्जा आदि में पूरी राहत मिलती है। नींबू, शहद का पानी लेते रहकर लम्बे समय तक उपवास द्वारा चिकित्सा हो सकती है।

सावधानीः कफ, खाँसी,  दमा, शरीर में दर्द के स्थायी रोगियों को नींबू नहीं लेनी चाहिए। रक्त का निम्न दबाव, सिरदर्द आदि में नींबू हानिकारक है।