उस दिन एक बूढ़े माता-पिता की लाचारी को बहुत नज़दीक से देखा। हाल ही के एक सफ़र के दौरान ये बूढ़े दम्पति मेरे सामने वाली सीट पर आकर बैठ गए। उनके चेहरे पर पड़ी झुर्रियाँ बता रही थीं कि वे 75 से कम नहीं होंगे। माताजी के चेहरे पर झुर्रियाँ भले ही थीं लेकिन उन्हें देखकर लग रहा था कि अपने समय में वे बेहद खूबसूरत रही होंगी, जिसका कुछ अंश अब भी उनके चेहरे पर दिख रहा था, बाबू जी भी कहीं से कम नहीं लग रहे थे, धोती कुरता पहने हुए थे, ऊपर से कोटी पहनी थी, और अच्छी कद काठी के थे। लगभग 2-3 घंटे बीतने के बाद मुझे नींद आने लगी, और मैं अपनी सीट पर सो गई, थोड़ी देर बार कोई स्टेशन आया मेरी आँख खुली तो उन्होंने पूछा कहाँ जाना है बेटा, मैंने कहा – जी भोपाल, उन्होंने कहा फिर ठीक है, सो जाओ अभी बहुत वक़्त है। लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी, इसलिए मैं उठकर बैठ गयी, और आपको कहाँ जाना है पूछते हुए उनसे आगे बात बढ़ाई। उन्होंने भी फिर अपने गंतव्य स्थान का नाम बताकर मेरे बारे में और पूछा क्या करती हो, कहाँ रहती हो, वगेरह वगेरह। फिर अपने पति से बोलीं – सच में हमसे गलती हो गयी, उसे भी अपने पैरों पर खड़ा किया होता तो आज ये दिन नहीं देखने पड़ते । मेरे कुछ बताने से पहले ही उन्होंने पूरी बात बतानी शुरू की। उनके 5 बेटे और 1 सबसे छोटी बेटी है, सभी बेटे इंजिनियर हैं, और अच्छी जगह पर हैं, बेटी भी एम्.ए है, जिसका विवाह उन्होंने 10 साल पहले किसी मीडिएटर के ज़रिये किये था। लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही लड़के ने अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए। असल में वह किसी ऐसी जगह काम करता था जहाँ 1 साल काम करता था, और 2 साल घर बैठता था, और जिस एक साल में वह काम करता था उसमे भी उसे महज़ 1500 रुपये महिना मिलते थे। और जिन दो सालों में वह काम नहीं करता था उनमे वह अपनी पत्नी को उसके मायके छोड़ आता यह कहकर कि मेरे पास इसे खिलाने को पैसे नहीं हैं। लगभग 3 साल पहले उनकी बेटी को बेटा हुआ लेकिन उसके बाद भी उसका पति उसे लेने नहीं आया, और वो मायके में ही रह रही है। ये बूढ़े दंपत्ति लगातार दो दिन से उस मीडिएटर के ज़रिये उसके पति को मनाने जा रहे थे, ताकि वह उनकी बेटी को ले जाए और उसका घर बन जाए। थोड़ी देर के लिए तो गुस्सा आया ऐसी लाचारी पर, कि आख़िर क्यूँ सहते हैं सब कुछ जानते हुए भी, लेकिन फिर ‘अभी के लिए तो’ यही इस समाज का दस्तूर है मानकर गुस्से को काबू में करके मैंने उन्हें कुछ सलाह दी।
जो इंसान 10 सालों 5 बार आपकी बेटी को सिर्फ यह कहकर मायके छोड़ गया कि उसके पास खिलाने को पैसे नहीं हैं, और फिर सालों तक लेने भी नहीं आया, उसके आगे हाथ पैर जोड़कर अगर इस बार आपने उसे फिर भेज भी दिया तो क्या गारंटी है कि वो फिर से नहीं छोड़ेगा। अभी तक तो लड़की अकेली थी, लेकिन अब उसका एक बेटा भी है, जब उसमे समझ आ जाएगी और उसे माता-पिता के बीच के इस तरह के रिश्ते के बारे में पता चलेगा तो उस पर क्या असर पड़ेगा। फिर वो बोलीं कि अब हम क्या करें, बाबूजी 82 साल के हैं, फिर भी हमारे खाने लायक कर लेते हैं, हमारे जाने के बाद बेटी का क्या होगा बस यही चिंता खाए जाती है। वे कहने लगे अब तो मन मारके हमें तलाक़ दिलवाना ही पड़ेगा, फिर जैसे तैसे कोई दूसरा घर ढूंढेंगे उसके लिए। मैंने कहा कि आप सबसे पहले उसे कहीं नौकरी करवाइए, एम्.ए. है, किसी भी प्राइवेट स्कूल में पढ़ा सकती है, या और भी कई काम कर सकती है। अभी तलाक़ के लिए जल्बाजी मत करिए, क्योंकि फिर बच्चे की कस्टडी पति के पास चली जाएगी, लेकिन अगर आपकी बेटी अच्छा कमाती होगी और बच्चे का पालन-पोषण करने में सक्षम होगी तो कस्टडी उसे ही मिलेगी। और उसके पुनर्विवाह से ज्यादा आपको उसे आत्मनिर्भर बनाने के बारे में सोचना चाहिए। क्योंकि अगर आपने उसका पुनर्विवाह कर भी दिया तो क्या पता फिर कोई आपात्ति आ जाये। काफी बातों के बाद मैं उन्हें यह समझाने में सक्षम हुई कि उन्हें उनकी बेटी के लिए क्या महत्वपूर्ण है। मैंने उन्हें कुछ महिला सहयोगी NGO के बारे में भी बताया जो काम वगेरह दिलवाने में मदद करते हैं। कुछ देर बाद उनका गंतव्य स्थान आ गया और वे चले गए लेकिन मन में फिर वही सवाल कुरेद गए।
5 बेटों के होते हुए भी 82 वर्ष की उम्र में उन्हें अपने खाने लायक कमाना पड़ता है। 5 भाइयों के होते हुए भी एक बहिन लाचार है और बूढ़े माता-पिता उसके लिए गिडगिडाते फिर रहे हैं। एक घर के बेटे ने ही एक बेटी को इस लाचारी के लिए छोड़ रखा है। लेकिन फिर भी ये सामाज बेटे चाहता है, फिर भी वे माता-पिता उस बेटी को अपने पैरों पर खड़ा करने की जगह, उसके पुनर्विवाह के ज़रिये उसके लिए एक मर्द का सहारा ढूंढ रहे हैं। सब कुछ देखते जानते हुए भी अंधे क्यूँ हैं ?
;-( Rona aa gya
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आपके आंसू बहुत कीमती है इन्हें यूँ ही जाया मत कीजिय
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sala yaha koi ladka hota to asu ki kimat nahi hoti
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