रियल कम वर्चुअल… एंड कमीने आल्सो… दोस्त टाइप जंतु – चैतन्य अंजली


कुछ दोस्त ऐसे होते हैं जो फेसबुक पर मिलते हैं,उनसे दोस्ती होती है, फिर दोस्ती परवान चढ़ती है और फिर एक दिन देवदूत लगने वाले ये दोस्त यथार्थ के धरातल पर उतरते हैं, उस दिन आपको पता चलता है की ये शब्द और तस्वीरों के अलावा भी एक और व्यक्तित्व रखते हैं और सेम टू सेम आपके जैसा फ्रेम वाला चश्मा लगाते हैं । कई बार घातक तो कई बार इतने प्यारे निकलते हैं कि दोंनो ही सूरतों में आपकी जिंदगी बदल जाती है, पर आज हम इनकी बात नही करेंगे। कुछ दोस्त ऐसे होते हैं जिन्हें आप सालो से जाने हैं, ये आपके सहपाठी या रिश्तेदार भी हो सकते हैं, यों तो ये बड़े ही निरीह जीव होते हैं इनकी समस्त सामर्थ्य आपकी मम्मी के कानो पर निर्भर करती है वो कितने कच्चे या पक्के कानों की हैं, पर असल जिन्दगी को अगर छोड़ दें तो फेसबुक पर ये आपको बिलकुल भी नुकसान नही पहुचाते, मगर हम इनकी भी बात नही करेंगे।

आज हम तीसरी केटेगरी की बात करेंगे… ये वो होते है जो आपको शादी – बड्डे पार्टी या मीटिंग में मिलते हैं | ये प्रायः आपके खास दोस्तों के खास दोस्त या फिर बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड होते हैं। ये अलग ही केटेगरी होती है जनाब! इन्हें सारी दुनिया छोडकर सिर्फ आप पसंद आ जाते हैं, अगर विपरीत लिंगी हुए तो आप कुछ और ज्यादा पसंद आते हैं… इवन मोर दैन हिज गर्लफ्रेंड समटाईम्स !!!! ये सबसे घातक प्राणी हैं, प्लस पॉइंट बस ये है की ये आपकी पर्सनल, सोशल, वर्चुअल , प्रोफेशनल लाइफ में आपका कुछ नही उखाड़ सकते मगर फिर भी ये आपको जिस मात्रा में त्रास देते हैं, उसकी तीनों लोकों में कोई सुनवाई नही है । एक तो ये लोग जब आपको रिक्वेस्ट भेजते हैं तो अपनी प्रोफाइल पिक में भी खुद की फोटो लगाकर नही रखते। ऊपर से जो बचा-खुचा है उसे भी यूं हाईड करके रखते हैं जैसे उनके फोटो / जानकारी नही कारुं का खजाना हो । हद तो तब हो जाती है जब वो ये चाहते हैं हम अपनी दिव्य दृष्टि उन्हें पहचान लें, भले ही वो हमसे मौसी की ननद की शादी में छः साल पहले मिले थे और हम साथ साथ गोलगप्पे की टेबल के आगे लाइन में खड़े थे। चलो यहाँ तक तो फिर भी ठीक है, अब इंसान इंसान से ही तो उम्मीद करेगा न! पर इतने सब के बावजूद वो ये भी इच्छा व्यक्त करते हैं हम उनकी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करने के साथ साथ उनकी वाल पर आकर धन्यवाद लिख जाएँ…. अनुनय कुछ इन शब्दों में किया जाता है ” यार तू लिख देगी तो इम्प्रेसन बन जायेगा अपना ” । उनके अनुसार हमे व्यक्त करना है ऐसे जैसे उनके हमें ऐड करने से हम असीम गर्व की अनुभूति कर रहे हों, और भियो तुम्हे कौन समझाए… अपन आजतक अपना इम्प्रैशन तो बना नही पाए तुम्हरा कैसे बन जाएगा ??? और एक बार कहीं उनके एक शब्द के प्रति असम्म्मान व्यक्त करने की हिम्मत कर दी मैंने तो उलाहने तो कुछ यों मिले जैसे मैंने उनकी बेटी को अपनी बहू बनाने से इनकार कर दिया हो, और उसकी करेंट सास उसे दहेज़ के लिए प्रताड़ित करती हो, जिसकी एकमात्र जवाबदेह मैं होऊं |

खैर, अब जब ये फ्रेंडलिस्ट में आ ही गये तो गाहे बगाहे हमें आकर हमारी नासमझी और लापरवाही के लिए हमे आवश्यकतानुसार प्रताड़ना देते रहते हैं । सबसे ह्रदय विदारक होती है इनकी डेडलाइन.. और डेडलाइन की हेडलाइन होती है ” यार शाम तक में गुल्लू का पेज प्रमोट कर दे” या “मैने तुझे क्योंटी प्रपात वाली फोटो में टैग किया था तूने अब तक लाइक नहीं किया ” और तो और सबसे दुखदायी उदगार होते हैं ” दो घंटे पहले टैग की हुई पोस्ट तेरी टाइमलाइन पर नही दिख रही है, अब तक तो आ जानी चाहिये” …… हद्द है यार, घन्टे आध घंटे की देरी तो मेरा बॉस भी माफ़ कर देता है , पर साहब इनको चैन नही है ऊपर से हमारी टाइम लाइन पर क्या हो उस पर भी इनका नियंत्रण!!! “यार ये रूही कित्ती क्यूट है मैं डीपी में लगाऊं क्या ?” कहते हुए कभी भी धमक पड़ेंगे …. और घंटे भर कैसी है , क्या कर रही पूछने के बाद … तेरी पोस्ट पर बीस मिनट में सौ लाइक कैसे आ जाते हैं मुझे तो सात के लाले हैं … और फिर किसी भी प्रकार से आपको ये सिद्ध करना जरुरी हो जाता है की लाइक्स ज्यादा आने का किस्मत अच्छी होने से कोई सम्बन्ध नही है । खबरदार कंटेंट के बारे में कोई सलाह न दें! वरना सीधे आपका शाब्दिक चीरहरण कर लिया जायगा कुछ इन शब्दों में “हाँ !हाँ !तू तो बड़ी राइटरनी हो गयी है न, हम तो जाहिल हैं । अब कोई कैसे ये कह दे कि अबे भूतिए!!! जाहिल तुझसे सात श्रेणी ऊपर का जीव है |

रही सही कसर उनका पिक्चर या घूमने चलने का इनविटेशन निकाल देता है… अरे सुन यार वो सारथी बोल रहा था खजराना चलने को… चलती है क्या? या पल्लवी का फोन आया था चोरल का प्रोग्राम बनाते हैं !!! घर से परमिशन न मिलने की बात कहकर आप इनसे पल्ला झाड सकते हैं | पर क्या करियेगा अगर फिल्म देखने बुला लिया… और वो भी वह फिल्म जिसका पहला पोस्टर देखते ही आपने कहा था इसे जरुर देखूंगी ! भले ही आप अपनी नन्ही सी भांजी वही फिल्म दिखाने का वादा कर चुके हों पर नहीं उनके साथ जाना आपका परम कर्तव्य है… नन्ही रिद्धि का दिल आप तोड़ सकते हैं पर इन कमबख्तों का नही, और सबसे विभत्स वो मौका होता है जब ये अचानक अपना प्लान कैंसिल करते हैं क्यूंकि वो सब इकट्ठे नही हो पा रहे जिन सबों को ये एक साथ पीवीआर ले जाना चाहते थे । जूतों से मारने का दिल करता है उस वक़्त क्यूंकि इधर हम अपने गाजियाबाद वाले तथाकथित बॉयफ्रेंड को भी कह चुके होते हैं कि “जानू तुम बुधवार को जा रहे हो न, हम भी उसी दिन जायेंगे, साथ साथ न सही पर फिर भी साथ ही मूवी देख सकेंगे। मगर नहीं पिछले चार दिन से भेजे की दही करने के बाद वो अचानक गायब हैं….और फिलहाल… हमारा मूड ख़राब है, भयंकर जुकाम है, पिक्चर कैंसिल है, गाजियाबाद वाला बीमार हो गया है और रिद्धि उदास है… और अब ये तितली की प्रोफाइल पिक वाली रिक्वेस्ट किसकी आई बे ?

–चैतन्य अंजलि

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