अगर मेट्रो झाँसी में चलन लगे तो एनाउंस कैसे हुएये।
जा झाँसी मेट्रो आय।
जा में अपन सबको स्वागत है
आगे को स्टेशन इलाईट है।
किवाड़ डेरे हाथ पे खुल्हें।
जौंन खों वंदना को बर्गर खाने होये,या फिर बनारसी पानखाने होए सो इतैइ उतर जइयो।
ऐ के बाद मेट्रो सदर में रुकहै।
नारायण की चाट के लाने इतैइ उतरियो।
किवाड़ों से चिपकियो ने,नई तो धप्प से गिर परहों।
गुटका और बीड़ी की तो सोचियों भी ने,नई तो पाँच सौ पै बुझ हो।
आगे के दो डिब्बा लुगाइयों के लाने आएं।
उन डिब्बाओं में कौनौ मोड़ा पकड़ो गओ तो अच्छी पीठ पूजहे।
धक्का मुक्की नइ दैयो डुकरा-दुकारियो को पहले जगह दैयो।
ईमानदारी से टिकट लैके चलवे को काम आएं।बी
जादा चतराई करी तो कैमरा लग रए है।
पकड़ गए तो जेल की चक्की पीस हों।
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