जय जवान


रुके न तू थमे न तू,
चले सदा थके न तू,
चाहे हो पाषाण खण्ड,
चाहे हो वनोँ का झुण्ड,
तू डटा रहे वहाँ सदा,
डरे न तू हटे न तू।।

चाहे प्रकृति कितना भी रंग  बदले,
बदलती रहे,
भीषण गर्मी बर्फबारी,
सागर के लहरोँ को चीरता,
तू वहाँ सदा टिका रहे,
चले सदा थके न तू॥

तू ही सच्चा सपूत हैँ,
प्रहरी!  सच्चा अग्रदूत हैँ,
तुझसे हैँ कौम मेँ अमन,
ऐ कौम भक्त! तुझे नमन,    मेरी शुभकामना तुझे,
तू यूँ ही सदा खड़ा रहे।।

सुरक्षा पथ के पथिक!
डिगो न वीर तुम तनिक!
ले दुआएँ देश की,
जीत का कदम बढ़ा,
जीते सदा हारे न तू,

रुके न तू थमे न तू,
चले सदा थके न तू ।।

रचयिता-  सौरभ पाण्डेय “शौर्य”

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