सुनो पाक के नापाक दरिंदो


सुनोँ पाक के नापाक दरिँदो,
क्योँ बेवजह चिल्लाते हो।
क्या तुलना हैँ तुमसे हमारी,
तुम तो बर्बाद गुलिस्ताँ हो॥

तुम क्या तुम्हारी औकात क्या,
जो विश्वगुरू को ललकारते हो?
जाओ जाकर घर मेँ बैठो,
बच्चे हो,बाप से भिड़कर जरा भी नही शरमाते हो?

अरे तनिक भी शर्म तुम्हेँ,
आती भी हैँ या नहीँ।
जाके डूब मरो शैतानोँ,
गर बची हो तुममे हया कहीँ॥

देखोँ जरा इतिहास पुराना,
क्या हश्र हुआ था शर्मनाक तुम्हारा।
जब जब हम पर नजर उठायी,
तब तब तुमने मुहँ की खायी॥

तुम क्या तुम्हारी सौ पुश्ते भी,
कुछ नही बिगाड़ पायेगेँ।
जब तक जीवित हैँ सूर्य चन्द्रमा,
सब भारत को पायेगेँ॥

तुम तो कैँसर हो धरती का,
जिसे मिटाना मजबूरी हैँ।
ओ अमेरिका और चीन केचमचे,
तेरा इलाज जरूरी हैँ॥

आतंकवाद की फसल उगाकर,
क्योँ बर्बादी चाहते होँ?
क्योँ तुले हो मिट जाने पर,
क्योँ नही शान्ति से रहते हो?

मत देखोँ सपने कदाचित,
अखण्ड भारत को खण्डित करने का।
अंजाम तुम्हारा भी होगा कमोवेश,
जैसा हुआ तुम्हारे पुरखोँ का॥

अभी वक्त हैँ सम्भल जाओ,
वरन् होगा वही जो राम की मर्जी।
न तुम बचोगे न देश तुम्हारा,
खत्म हो जायेगा सब धन्धा फर्जी॥

दाऊद और हाफिज जैसी गन्दी नस्लोँ को,
क्योँ पालना चाहते होँ?
क्योँ गुमराह करते होँ नवयुवकोँ को,
क्योँ नफरत का विष घोलते हो?

भिखमंगे हो तुम चन्द डालर के वास्ते,
अमेरिका का तेल लगाते हो।
ब्लूचिस्तान सम्भाल नही पाते,
कश्मीर का ख्वाब सजाते हो?

अपना देश सम्भालोँ मूर्खो,
क्योँ हमसे टकराते हो।
सुनो पाक के नापाक दरिँदो,
क्योँ बेवजह चिल्लाते हो॥
— रचयिता- सौरभ पाण्डेय “शौर्य”

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